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जानें- इन छह राज्‍यों से महाराष्ट्र में आने वाले यात्रियों के लिए सरकार ने जारी की नई SOP

मुंबई: महाराष्ट्र में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के कारण पैदा हुई भयावह स्थिति को देखते हुए देश के छह राज्‍यों को बेहद संवेदनशील माना है। जिसे देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने नई एसओपी जारी की है जिसके अनुसार केरल, गोवा, राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर, गुजरात और उत्तराखंड के ट्रेन यात्रियों को महाराष्ट्र की यात्रा से 48 घंटे पहले आरटी-पीसीआर टेस्‍ट करवाना होगा। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही राज्‍य में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।
राज्‍य सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए इन राज्‍यों से लंबी दूरी की ट्रेनों में आने वाले यात्रियों के लिए ये नई एसओपी जारी की है। रेलवे स्‍टेशन पर सभी यात्रियों को अनिवार्य रूप से जांच की जाएगी और उसके बाद ही यात्रियों को महाराष्ट्र के लिए ट्रेनों में चढ़ने की अनुमति दी जाएगी।
महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने रविवार को एक आदेश में कहा, यात्रा के दौरान कोविड नियमों का पूरी तरह से पालन करना होगा। इस दौरान शारिरिक दूरी का ध्‍यान रखना सबके लिए जरूरी होगा। इन छह राज्यों से चलने वाली ट्रेनों पर महाराष्ट्र के लिए कोई अनारक्षित टिकट जारी नहीं किया जाना चाहिए।

राज्य सरकार ने रेलवे मंत्रालय को स्टेशनों में सभी निकास स्थानों पर थर्मल स्कैनर उपलब्ध कराने और ट्रेनों में कोविड-19 के नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए कहा है। भारतीय रेलवे ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह ट्रेनों सहित रेलवे परिसर में फेस मास्क नहीं पहनने और थूकने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाएगा। इस संबंध में जारी आदेश को लेकर रेलवे छह महीने की अवधि के लिए तत्काल प्रभाव से कार्रवाई कर सकता है।

नियम तोड़ने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई: गृहमंत्री
राज्य के गृहमंत्री दिलीप वसले पाटील ने चेतावनी दी है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। रविवार को राज्य में दिशानिर्देशों का पालन कराने को लेकर वलसे पाटील ने रविवार को राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय पांडे समेत दूसरे आला अधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद एक वीडियो संदेश जारी कर वलसे पाटील ने कहा कि 14 अप्रैल से कोरोना को लेकर धारा 144 के साथ कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। सिर्फ अत्यावश्यक सेवाओं की इजाजत दी गई है। लोगों ने कहा कि प्रतिबंध कोरोना संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने के लिए लगाए गए हैं इसलिए लोगों का सहयोग जरूरी है। पुलिसवालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन हो। पुलिस कर्मचारी दिन रात सड़क पर उतरकर काम कर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आम लोग भी उनकी मदद करें। उन्होंने पुलिसवालों से भी अपील की कि अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते समय संवेदनशीलता बरतें और इनका दुरूपयोग न करें। अगर कोरोना से जुड़े दिशानिर्देशों जैसे मास्क पहनने, बार बार हाथ धोने, बिना जरूरत बाहर न निकलने जैसे नियमों का पालन किया गया तो निश्चित रूप से इसका प्रसार रोका जा सकता है। बता दें कि राज्य सरकार द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंध 1 मई की सुबह 7 बजे तक जारी रहेंगे।

सरकारी काम में हस्तक्षेप विपक्ष पर कार्रवाई के संकेत
रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पाद करने वाली ब्रुक्स फार्मा कंपनी के मालिक के समर्थन में पुलिस थाने पहुचें पूर्व सीएम और नेता विपक्ष देवेंद्र फड़नवीस के साथ भाजपा नेताओं के खिलाफ गुनाह दाखिल कर उनके खिलाफ कारवाई करने का संकेत राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने दिया है। रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए गृहमंत्री पाटिल ने विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाया कि सरकारी काम में बाधा डालने और पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने का काम विपक्ष ने किया है, जिसे गंभीरता से लेते हुए उन पर कारवाई की जा सकती है।
गृहमंत्री के इस चेतावनी का जवाब देते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि अपनी नाकामी छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर आरोप लगाने वाली राज्य सरकार को ऐसी परिस्थिति में राजनीति करना ठीक नही है। गृहमंत्री पर निशाना साधते हुए पाटिल ने कहा कि अगर आप गुनाह दाखिल करना चाहते है तो खुशी-खुशी कीजिये, हम घबराने वाले नही है।
पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख आपकी ही तरह विपक्ष को धमकी देते-देते चले गए। पाटिल ने बताया की कोरोना की हालात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुख़्यमंत्री उध्दव ठाकरे की फोन पर बात हो चुकी है। ऑक्सीजन के संबंध में भी चर्चा हुई है। लेकिन प्रधानमंत्री फोन पर उपलब्ध नहीं है, ऐसा झूठा आरोप लगाना ठीक नही है। पाटिल ने कहा कि वैक्सीन को लेकर सरकार को श्वेतपत्र निकालना चाहिए। मरीजों का इलाज तो छोड़ दीजिए लोगों की जांच नहीं हो पा रही है। कोविड सेंटर शुरू करने के लिए सभी विधायको को अपने फंड में एक करोड़ रुपए देने का निर्णय सरकार ने लिया है जो स्वागत योग्य है।