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जानें – महाशिवरात्रि का महत्व और पूजा विधि..

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन शिव-रात्रि का यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से पूरे भारत देश में मनाया जाता है. इतिहास के शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जब सृष्टि का प्रारंभ होने वाला था तो इसी दिन मध्य-रात्रि में भगवान शंकर का ब्रह्मा से रूद्र के रूप में अवतार हुआ था.
एक बार ऐसा हुआ था की शिव रात्रि के दिन प्रदोष के वक्त भगवान शिव तांडव कर रहे थे और तांडव करते हुए ही उन्होंने ब्रह्मांड को अपनी तीसरे नेत्र की ज्वाला से विश्व को समाप्त कर देते. इसलिए इसी दिन को महा शिवरात्रि अथवा कालरात्रि के रूप से मनाया जाता है. कई जगह पर तो यह चर्चा भी होती है की इसी दिन भगवान शिव का विवाह भी हुआ था. तीनों भुवनों की अपार सुन्दरी और शीलवती गौरी को अर्धांगिनी बनाने वाले भगवान शिवजी प्रेतों व पिशाचों के बीच घिरे रहते हैं.
उनका जो रूप है वो सबसे अजीब है.शरीर (बॉडी) पर सम्सानों की भस्म है, उनके गले में सर्पो की माला, कंठ में विष, जटाओ में पावन-गंगा और माथे में प्रलयंकर ज्वाला है.
शिवजी बैल को अपना वाहन के रूप में प्रोयोग करते है. शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते है और धन-सम्पत्ति प्रदान करते है.


शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक भिन-भिन तरीके से किया जाता है जलाभिषेक : जो की जल (पानी) से किया जाता है|
दूध : दूसरा दूध से किया जाया है|
सुबह-सुबह भगवान शिव के मन्दिरों में भक्तो की बहुत लम्बी लाइन जमा हो जाती है वे सभी शिवलिंग की पूजा करने के लिए आते है और भगवान से अपने और अपने चाहने वालो के लिए प्रार्थना करते हैं.

सभी भक्त सूर्योदय के वक्त पवित्र स्थानों पर स्नान करने के लिए जाते है जैसे की गंगा या फिर खुजराहो के शिव सागर में या फिर किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में. स्नान शरीर को शुद्ध करता है जोकि सभी हिन्दू त्योहारों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. जब स्नान कर लेते हो तो उसके बाद साफ़ कपड़े (स्वच्छ वस्त्र) पहनने होते है. सभी भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मंदिर के अन्दर पानी का बर्तन ले जाते हैं.

सभी महिलाये और पुरुष दोनों सूर्य शिव और विष्णु की प्रार्थना करते हैं. इसमें आपको 3 या 7 बार शिवलिंग की परिक्रमा करनी होती है. और फिर उसमे पानी और दूध भी डालते हैं.

शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में 6 वस्तुओ को जरुर शामिल करना चाहिए :

शिव लिंग का जल (पानी), शहद और दूध के साथ अभिषेक, बेर या बेर के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं;
स्नान के बाद शिवलिंग को सिंदूर का पेस्ट लगाया जाता है| यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है;
फल, यह दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं;
धन, जलती धूप, उपज (अनाज);
दीपक, यह ज्ञान की प्राप्ति के लिए बहुत ही अनुकूल है;
सांसारिक सुखों के लिए पान के पत्ते बहुत जरूरी है यह संतोष अंकन करते हैं;
भगवान शिव की अन्य पारंपरिक पूजा

‘बारह ज्योतिर्लिंग’ जिसका अर्थ है (प्रकाश के लिंग) यह पूजा के लिए शिव भगवान के पवित्र धार्मिक स्थल और केन्द्रों में से है. यह स्वयम्भू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अनमोल अर्थ हैं “स्वयं उत्पन्न”. 12 जगह पर 12 ज्‍योर्तिलिंग स्थापित हैं :

  • सोमनाथ, यह शिवलिंग आपको गुजरात के काठियावाड़ स्थान पर मिलेगा.
  • श्री शैल मल्लिकार्जुन, यह शिवलिंग आपको मद्रास में कृष्ण नदी के किनारे वाले पर्वत पर स्थापित मिलेगा जिसका नाम श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग है.
  • महाकाल उज्जैन में अवंति नगर स्थापित आपको महाकालेश्वर नाम का शिवलिंग मिलेगा. यहाँ पर शिव भगवान ने दैत्यों का नाश किया था.
  • ॐकारेश्वर, यह मध्यप्रदेश के एक धार्मिक स्थान ओंकारेश्वर में नर्मदा के तट पर पर्वतराज विंध्य की कठीन तपस्या से प्रसंग होकर वरदाने देने हुए शिवजी इस स्थान पर प्रकट हुए थे. उसी समय से इस स्थान पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया था.
  • नागेश्वर, यह ज्योतिर्लिंग आपको गुजरात के द्वारकाधाम के निकट मिलेगा.
  • बैजनाथ ज्योतिर्लिंग, जोकि बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित है.
  • भीमाशंकर, यह ज्योतिर्लिंग आपको महाराष्ट्र में भीमा नदी के किनारे स्थापित मिलेगा.
  • त्र्यंम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित है.
  • घुमेश्वर, घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग आपको महाराष्ट्र स्टेट के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गाँव में मिलेगा.
  • केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिमालय का दुर्गम ज्योतिर्लिंग है जोकि हरिद्वार से 150 मिल दूरी पर ही स्थित है.
  • विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग जो काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित हैं.
  • रामेश्वरम, यह ज्योतिर्लिंग श्रीराम द्वारा स्थापित है जो आपको मद्रास में समुंद्र तट के निकट मिलेगा.