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धनतेरस 2020: कुबेर को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम, जरूर खरीदें ये चीजें, होगी धन-धान्य की वर्षा! जानें- पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि…

धनतेरस का पर्व दिवाली से दो दिन पहले आता है. समुद्र मंथन के दौरान देवासुर संग्राम के वक्त भगवान धनवन्तरी स्वर्णमयी कलश लेकर उत्पन्न हुए थे. तभी से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष तिथि को त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मानाया जा रहा है. शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस 2020 के दिन नया सामान घर लाना बेहद शुभ माना गया है और इसका फल आपको अप्रत्यक्ष रूप से मिलता है. इस साल शुक्रवार, 13 नवंबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. धनतेरस पर खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त 27 मिनट का रहेगा. यह मुहूर्त 13 नवंबर को 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 01 मिनट तक रहेगा. इस शुभ घड़ी में आप अपनी जरूरत का कोई भी सामान खरीद सकते हैं. धनतेरस के दिन धनिया के बीज, पीतल या चांदी के बर्तन, झाड़ू खरीदना काफी शुभ माना जाता है. झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. इससे दरिद्रता का नाश होता है. मान्यता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने पर घर में सकारात्मकता का संचार ​होता है. धनिया को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसलिए धनतेरस के दिन धनिया खरीदना बहुत शुभ होता है. हालांकि इस दिन ज्यादातर लोग बर्तन ही खरीदते हैं. धनतेरस के दिन सोना भी खरीदने का शुभ मुहूर्त होता है.
धनतेरस के दिन स्टील, एल्यूमीनियम, कांच, प्लास्टिक या चीनी मिट्टी, सेरामिक और लोहे की चीजें खरीदने से बचें. इस दिन नुकीली या धारदार चीजें भूलकर भी न खरीदें. काले रंग की वस्तुओं की खरीदारी न करें. यदि आप कोई बर्तन खरीद रहे हैं तो उसे घर खाली न लेकर आएं. इस दिन किसी को वस्तु उधार नहीं दी जानी चाहिए.

धनतेरस पर शाम 05 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 07 तक प्रदोष काल रहेगा. पूजा के लिए यही समय सबसे अधिक उत्तम रहेगा. यदि आप शुभ मुहूर्त में कुछ नहीं खरीद पाए हैं तो प्रदोष काल में खरीद सकते हैं. वृषभ लग्न के लिए इस मुहूर्त में खरीदारी बहुत ही शुभ मानी जा रही है.
संध्याकाल में उत्तर की ओर कुबेर तथा धनवन्तरी की स्थापना करें. दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जलाएं. कुबेर को सफेद मिठाई और धनवन्तरी को पीली मिठाई चढ़ाएं. पहले ‘ॐ ह्रीं कुबेराय नमः’ का जाप करें. फिर ‘धनवन्तरीस्तोत्र’ का पाठ करें. धनवन्तरी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करना अनिवार्य है. भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिट्टी के दीप जलाएं. उनके के चरणों में फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं. प्रसाद ग्रहण करें.

धनतेरस पर कुबेर को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम
धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के लिए पूजन के बाद रात को 21 चावल के दाने लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या पैसे रखने वाली जगह पर रखना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से अपार समृद्धि आती है.

यमराज के लिए दीपक
धनतेरस के दिन अकाल मृत्यु से बचने के लिए प्रदोष काल में घर के बाहर यमराज के नाम एक दिया जलाया जाता है, जिसे ‘यम दीप’ या यम का दीपक भी कहते हैं. लोगों में ऐसी मान्यता है कि इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और वे उस परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं. सूर्यास्त के बाद यमराज के लिए दीपदान जरूर करना चाहिए.

इस दिन दीपक जलाना है खास
धनतेरस के दिन दीपक जलाने का खास तरीका है. यदि आपके घर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की तरफ है तो आपको तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए. साथ ही इस दीपक में काली किशमिश जरूर डालें.

लक्ष्मी माता तथा गणेश जी की मूर्ति
धनतेरस के दिन आपको दिवाली के दिन होनी वाली लक्ष्मी पूजा के लिए माता लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की मूर्ति खरीदनी चाहिए. यह आपके लिए सौभाग्य, सुखदायक और शुभता प्रदान करने वाला होगा. माता लक्ष्मी की धन वर्षा करती हुई मूर्ति दिवाली के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

पूजन सामग्री
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते तथा प्रसाद.

झाड़ू का महत्व
घर की सुंदरता बढ़ाने और साफ-सफाई में झाड़ू का महत्वपूर्ण काम होता है. अन्यथा इस अद्भुद धन के आगमन को प्रदान करने वाले झाड़ू को कौन पूछता. प्राचीन लोक-कथाओं के अनुसार झाड़ू को घर के अंदर एक विशेष स्थान प्राप्त हुआ जिसे आज के युग में लोग भूल चुके हैं.
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, झाड़ू को माँ लक्ष्मी का ही प्रतीक माना गया है. प्राचीन परंपराओं को मानने वाले लोग आज भी झाड़ू पर पैर लगने के बाद उसे प्रणाम करते हैं. इसीलिए झाड़ू पर पाऊं यानि पैर लगने या पावं मारने से देवी माँ लक्ष्मी का अपमान यानी अनादर माना जाता है.

माँ लक्ष्मी जी दो बहिने थी. एक का नाम तो लक्ष्मी और दूसरे का नाम दरिद्रता. माँ धन लक्ष्मी साफ जगह निवास करती है तो दरिद्रता सदैव गन्दगी में निवास करती है. यदि किसी भी जातक के घर में साफ-सफाई व स्वछता रहती है तो वह व्यक्ति धन की कमी होने के बाद भी भौतिक सुखों को आनंद से प्राप्त करता है भौतिक सुखों का पूरा श्रेय झाड़ू को ही जाता है. क्योंकि यही झाड़ू साफ-सफाई का कारक माना जाता है. यही एक वस्तु है जो कि घर की गरीबी रूपी कचरे को बाहर निकालती है और घर की साफ-सफाई बनाए रखती है.
यदि घर साफ और स्वच्छ रहता है तो हमारे जीवन में धन संबंधी कई परेशानियां स्वतः ही दूर हो जाती हैं। यदि घर या कार्यालय में झाड़ू का कार्य न हो तब उसे ऐसे स्थान पर रख दें जहां किसी की नजर या पॉंव न जाये. जिस कारण देवी माँ लक्ष्मी का निरादर न हो सके. यदि भूलवश झाड़ू को पैर लग जाए तो महालक्ष्मी से क्षमा की प्रार्थना कर लेना चाहिए और झाड़ू को सदैव एक स्वच्छ स्थान व गुप्त स्थान पर रखना चाहिए जहाँ किसी नज़र न पड़े. इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. अगर परिवार के सदस्य किसी खास कार्य से घर से बाहर जाएं तो उनके जाने के बाद घर में तुरंत झाड़ू नहीं लगाना चाहिए. घर के मुख्य दरवाजे के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए. इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए. माना जाता है कि झाड़ू खड़ा रखने से घर में कलह पैदा होता है.