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बॉम्बे हाई कोर्ट की टिप्पणी: महिला को पता होता है कि कोई पुरुष उसे किस मंशा से छू रहा है…

मुंबई: एक महिला भले ही कम पढ़ी-लिखी हो, लेकिन जब कोई पुरुष उसे स्पर्श करता है या उसकी तरफ देखता है तो उसकी भावना और मंशा को वह बहुत अच्छी तरह से भांप लेती है। बंबई हाई कोर्ट ने पूर्व अभिनेत्री के साथ छेड़छाड़ के मामले में दोषी की सजा को निलंबित करते हुए उक्त टिप्पणी की।
जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण व्यवसायी विकास सचदेवा की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। सचदेवा को दिसंबर, 2017 में दिल्ली से मुंबई की उड़ान के दौरान फ्लाइट में पूर्व अभिनेत्री के साथ छेड़छाड़ के मामले में सजा हुई है। 15 जनवरी, 2020 को सत्र अदालत ने सचदेवा को तीन साल की सजा सुनाई थी। सत्र अदालत ने सचदेवा को उसी दिन जमानत देते हुए सजा को तीन महीने के लिए निलंबित भी कर दिया था, ताकि वो आगे अपील कर सके। सजा के खिलाफ सचदेवा की अपील स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका पर फैसला होने तक सजा को निलंबित रखने का आदेश दिया।
सचदेवा के वकील अनिकेत निकाम ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल को गलत तरीके से सजा हुई है और यदि उसका पैर अभिनेत्री से स्पर्श भी कर गया होगा तो निश्चित रूप से ऐसा गलती से हुआ होगा।
इस पर जस्टिस चव्हाण ने कहा, सचदेवा प्लेन के बिजनेस क्लास में यात्रा कर रहे थे, जिसमें दो सीटों के बीच अच्छी जगह होती है। ऐसे में उन्होंने अपने आगे की सीट के हत्थे पर अपने पैर क्यों फैलाए थे। जज ने कहा, ‘एक महिला भले ही कम जानती हो, लेकिन वह ज्यादा समझती है। यह एक प्राकृतिक उपहार…स्पर्श…नजर…को एक पुरुष नहीं समझेगा, लेकिन एक महिला उसके पीछे के इरादे को समझ जाती है। पीडि़ता ही आरोपित की मंशा के बारे में बता सकती है। आरोपित कभी स्वीकार नहीं करेगा कि उसने जानबूझ कर उसे स्पर्श किया।
निकाम ने कहा कि पीडि़ता ने विमान में किसी से कोई शिकायत नहीं की, विमान से भी वह मुस्कुराते हुए बाहर निकली थी। इस पर अदालत ने कहा कि इस तरह की घटनाओं पर महिलाओं को किस तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए इसका कोई फॉर्मूला नहीं है। यह कोई गणित नहीं है। इसका कोई स्थापित सूत्र नहीं है कि इस तरह की स्थिति आने पर महिला को किस तरह से बर्ताव करना चाहिए।
फिल्मों को अलविदा कह चुकी अभिनेत्री ने विमान से उतरने के बाद इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर अपनी आपबीती सुनाई थी। उसके बाद सचदेवा की गिरफ्तारी हुई थी। घटना के वक्त अभिनेत्री की उम्र 18 साल से कम थी, इसलिए सचदेवा को पॉक्सो कानून के तहत भी सजा सुनाई गई है।