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बड़ी खबर: अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में आएंगे ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल, मंत्रालय ने की अधिसूचना जारी

नयी दिल्ली: ‘फेक न्यूज’ को लेकर पत्रकारों की मान्यता समाप्त करने वाले विवादित आदेश के बाद सूचना व प्रसारण मंत्रालय (Information & Broadcasting Ministry) ने ऑनलाइन न्यूज पोर्टल और मीडिया वेबसाइट को रेग्युलेट करने के लिए नियम बना लिया है. मंत्रालय ने इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है, जिसके मुताबिक अब ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल, ऑनलाइन कॉन्टेंट प्रोवाइडर सूचना व प्रसारण मंत्रालय के दायरे में आएंगे.
केंद्र सरकार ने इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि ऑनलाइन माध्यमों का रेग्युलेशन टीवी से ज्यादा जरूरी है. अब सरकार ने ऑनलाइन माध्यमों से न्यूज़ या कॉन्टेंट देने वाले माध्यमों को मंत्रालय के तहत लाने के लिए यह कदम उठाया है.
न्यूज पोर्टल और मीडिया वेबसाइट को रेग्युलेट करने के लिए सरकार ने 10 सदस्यीय कमिटी बनाई थी. इस कमिटी में सूचना व प्रसारण, कानून, गृह, आईटी मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी और प्रमोशन के सचिवों को शामिल किया गया. इसके अलावा MyGov के चीफ एग्जिक्यूटिव और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन और इंडियन ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन के प्रतिनिधियों को भी सदस्य बनाया गया है. कमिटी से ऑनलाइन मीडिया, न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन कॉन्टेंट प्लैटफॉर्म के लिए ‘उचित नीतियों’ की सिफारिश करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट में दिए गए केंद्र के हलफनामे के मुताबिक, देशभर में सरकार ने 385 चैनलों को नियमित न्यूज चैनल के लाइसेंस दिए हैं. ये चैनल समाचारों के साथ मनोरंजन से इतर कार्यक्रम प्रसारित करते हैं. इनमें समाचार, बहस कार्यक्रम और जनता तक जानकारी पहुंचाने के अन्य कई कार्यक्रम भी होते हैं.
इसके अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 530 ऐसे चैनलों को भी लाइसेंस दिया हुआ है जो पूरी तरह मनोरंजन, खेल और भक्ति, अध्यात्म के कार्यक्रम प्रसारित करते हैं. इन खबरिया चैनलों ने आत्म नियमन के लिए सबसे पहले न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) बनाया. इसमें देश के कई अग्रणी न्यूज चैनल्स शामिल हैं. इसकी सदस्यता ऐच्छिक है. इसकी प्रशासनिक व्यवस्था के अगुआ सुप्रीम कोर्ट के ही सेवा निवृत्त न्यायाधीश जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी हैं. दूसरा संगठन हाल ही में अस्तित्व में आया है न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (NBF) जिसके प्रशासनिक समिति के अगुआ अभी तय होने बाकी हैं.

अभी भी 237 ऐसे चैनल हैं जो दोनों में से किसी भी संगठन के सदस्य नहीं हैं. ऐसे चैनलों के खिलाफ आने वाली शिकायतों, गड़बड़ियों या लापरवाहियों पर कार्रवाई करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अंतर मंत्रालय समिति बना रखी है. ये समिति शिकायतों पर या फिर स्वत:संज्ञान लेकर भी कार्रवाई करती है.

बीते 3-4 सालों में बढ़ा ऑनलाइन मीडिया का प्रभाव
इंटरनेट और डिजिटल इंडिया के बढ़ते प्रभाव में आज वेब न्यूज़ चैनल की पत्रकारिता अत्यंत प्रबल माध्यम बन चुका है. इस नई विधा से अब सभी खबरें टीवी के अंदाज़ में ही वेब न्यूज़ पर देखने को मिलती हैं. जिससे ज्यादातर लोग मोबाइल पर खबरें देखने में रुचि लेने लगे। कोई भी शख्स अपने मोबाइल पर फेसबुक, यूट्यूब, न्यूज़ वेबसाइट या न्यूज़ एप्प के माध्यम से अपने शहर, गाँव, कस्बे, मोहल्ले या कॉलोनी से सम्बंधित खबरें बिलकुल टीवी के अंदाज़ में देख सकता हैं.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन (Regulation of Digital Media) टीवी से ज्यादा जरूरी है. सरकार ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट दिशा-निर्देशों पर विचार करना चाहता है, तो कोर्ट को वेब आधारित डिजिटल मीडिया को विनियमित करना होगा. हलफनामे में सरकार ने कहा कि डिजिटल मीडिया ने जहरीली नफरत फैलाते हुए जान-बूझकर न केवल हिंसा, बल्कि आतंकवाद को भी बढ़ावा दिया है. वेब आधारित डिजिटल मीडिया व्यक्तियों और संस्थानों की छवि को धूमिल करने में सक्षम है और यह प्रथा काफी खतरनाक है.
9 नवंबर को जारी इस अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने वेब फिल्म्स, डिजिटल न्यूज और करेंट अफेयर्स कंटेंट को सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन लाने के आदेश को मंजूरी दे दी है. अब सरकार ने ऑनलाइन फिल्मों के साथ ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम, ऑनलाइन समाचार और करंट अफेयर्स के कंटेंट को सूचना प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने का कदम उठाया है.