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महाराष्ट्र का सियासी संग्राम: उद्धव गुट का दावा- रद्द होगी 16 बागी विधायकों की सदस्यता; ‘शिंदे गुट’ पहुंचा SC, कल होगी सुनवाई

मुंबई,(राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र में पिछले एक सप्ताह से जारी राजनीतिक उठापटक किस करवट बैठेगा, इसका बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों को अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है. बागियों की बढ़ती ताकत के बीच शिवसेना के ‘ठाकरे गुट’ ने बड़ी ही चालाकी से अपने कदम आगे बढ़ाने में जुटी है, जबकि बागियों के खेमे में उनके 8वां मंत्री उदय सामंत भी रविवार को शामिल हो गए है.
महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे के गुट ने कानूनी दांवपेंचों के सहारे यह बताने का प्रयास किया है कि भले ही बागी गुट के पास 55 में से 40 से ज्यादा विधायक हो गए हों, लेकिन यह ज्यादा मायने नहीं रखता है.
रविवार को शिवसेना सांसद अरविंद सावंत व वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत के साथ प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से सामने आए. यहां पत्रकारों से बातचीत में सीनियर एडवोकेट कामत ने कहा कि यह नैरेटिव बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि सिर्फ दो तिहाई बहुमत होने के कारण उन्हें अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ेगा. आप किसी भी संवैधानिक जानकार से पूछिए तो पता चल जाएगा कि ये गलत है. दो तिहाई बहुमत का तर्क तब लागू होता है, जब वो किसी अन्य दल के साथ मिल गए हों. शिवसेना के वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 16 बागी विधायकों के अयोग्यता की कार्यवाही शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि कई जजमेंट हैं…सु्प्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधायकों का सदन के बाहर भी पार्टी विरोधी कृत्य अयोग्यता के दायरे में आता है. कामत ने ‘जनता दल यूनाइटेड’ शरद यादव के अय़ोग्य ठहराने का भी हवाला दिया, क्योंकि वो नीतीश कुमार के धुर-विरोधी लालू प्रसाद यादव की रैली में शामिल हुए थे.
कामत ने कहा, किसी दूसरे राज्य में जाना, एक बीजेपी शासित राज्य में, बीजेपी नेताओं से मिलना, सरकार को गिराने का प्रयास करना, सरकार के खिलाफ पत्र लिखना, ये सब खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है…यही स्पीकर को दी गई हमारी याचिका में है. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वो कह रहे हैं कि डिप्टी स्पीकर का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है, यह पूरी तरह गलत है. स्पीकर की गैर-मौजूदगी में, डिप्टी स्पीकर के पास पूरी शक्तियां होती हैं. हम सभी 16 बागी विधायकों को अय़ोग्य ठहराने का प्रयास करेंगे ताकि वो चुनाव का सामना करें. उनकी सदस्यता रद्द करने के खिलाफ कार्रवाई शुरू भी कर दी गई है.

अयोग्यता नोटिस के खिलाफ ‘शिंदे गुट’ पहुंचा SC, कल होगी सुनवाई
महाराष्ट्र का सियासी संग्राम अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है. शिवसेना के कद्दावर नेता व उद्धव सरकार में कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले बागी खेमे ने अजय चौधरी की शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में नियुक्ति और डिप्टी स्पीकर के खिलाफ दिए अविश्वास प्रस्ताव की अस्वीकृति को चुनौती दी है. शिंदे खेमे द्वारा आज डिप्टी स्पीकर की ओर से जारी अयोग्यता नोटिस और अजय चौधरी को शिवसेना के विधायक दल का नेता बनाए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं. जबकि बागियों ने सुप्रीम कोर्ट से डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को हटाने के प्रस्ताव पर फैसला होने तक उनके खिलाफ शिवसेना द्वारा दायर अयोग्यता याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है. याचिका में उन्होंने बागी विधायकों के परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए महाराष्ट्र सरकार को निर्देश देने की भी मांग की है.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की हॉलिडे बेंच इस मामले की सोमवार को सुनवाई करेगी. याचिका में तर्क दिया गया है कि डिप्टी स्पीकर द्वारा अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल (SSLP) के नेता के रूप में मान्यता देना अवैध है. देश की शीर्ष अदालत से शिंदे ने शिवसेना के दो तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए अनुरोध किया कि जब तक डिप्टी स्पीकर को हटाने से संबंधित मुद्दे पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक अयोग्यता नोटिस पर कार्यवाही रोक दी जानी चाहिए.
बता दें कि बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को अपने 37 विधायकों की लिस्ट सौंपी थी. इसके साथ ही दो प्रस्तावों को भी जोड़ा गया था, जिसमें कहा गया था कि शिंदे शिवसेना विधायक दल के प्रमुख बने रहेंगे और विधायक भरत गोगावले को नया मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है.
उधर, शिवसेना ने डिप्टी स्पीकर को पत्र लिखकर 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी. पार्टी और विधायकों के बीच दरारें तब और गहरी हो गई, जब शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे को चीफ व्हिप पद से पार्टी ने हटा दिया और उनकी जगह पर अजय चौधरी को नया चीफ व्हिप बनाया. शिंदे का कहना है कि उन्हें 40 विधायकों और एक दर्जन निर्दलीय और छोटे दलों का समर्थन हासिल है.