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महाराष्ट्र की राजनीति ने बदली करवट, अब ‘ठाकरे’ को ‘ठाकरे’ देंगे मात! खतरे में एमवीए…बनेगी बीजेपी और मनसे की सरकार?

मुंबई,(राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र की राजनीति कब किस करवट बैठेगी यह कोई सधा राजनीतिक पंडित भी नहीं बता सकता। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि यहां न तो कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है और न ही स्थायी दुश्मन! ऐसा ही कुछ नज़ारा महाराष्ट्र का है…जिसे देखकर लगता है महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार का दिन अब भर चुका है।
सूत्रों की मानें तो ‘शिंदे गुट’ एमवीए सरकार से समर्थन वापस लेने की तैयारी में है। जिससे MVA सरकार कभी भी गिर सकती है। इसी क्रम में ‘शिंदे गुट’ जल्द ही महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से संपर्क कर सकता है। इस बीच भाजपा के चमत्कारी नेता व पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के आवास पर महाराष्ट्र भाजपा की कोर कमेटी की बैठक भी चल रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुवाहाटी में मौजूद ‘शिंदे गुट’ द्वारा एमवीए सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए जल्द ही राज्यपाल से संपर्क करने की संभावना है। शिवसेना के बागी विधायक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर जोर दे सकते हैं।


गौरतलब है कि शिवसेना से विद्रोह करने वाले करीब 40 विधायक गुवाहाटी के होटल रैडिसन ब्लू में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मौजूद है। पार्टी के असंतुष्ट विधायक अब भी शिवसेना का हिस्सा होने का दावा कर रहे है और पार्टी का एक अलग ब्लॉक बनाने की तैयारी में जुटे हैं।
दरअसल, शिंदे ने शिवसेना के दो-तिहाई से अधिक विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है। ऐसे में अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो शिवसेना प्रमुख व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले एमवीए सरकार का गिरना निश्चित है।
रविवार को बागी विधायक दीपक केसरकर ने कहा कि ‘शिंदे गुट’ महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए तैयार है, लेकिन वह अपने गुट के लिए मान्यता चाहता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि असंतुष्ट विधायक एमवीए सरकार का समर्थन नहीं करेंगे। ऐसे में एमवीए सरकार के गिरने की अटकले तेज हो गई हैं। अब महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बनाने के काफी करीब है। कुछ ऐसे घटनाक्रम हैं जो इसकी ओर इशारा कर रहे हैं।

इन समीकरण को समझना जरुरी होगा!
सूत्रों की मानें तो ‘शिंदे गुट’ राजनीति के नए विकल्प तलाश कर रही है। शिवसेना के नाम पर राजनीति करने वाला ‘शिंदे गुट’ ठाकरे नाम और हिंदुत्व दोनों को ही नहीं छोड़ना चाहता है। ऐसे में एकनाथ शिंदे गुट के 38 विधायक राज ठाकरे की पार्टी मनसे में शामिल हो सकते हैं। उसके लिए सबसे आसान यही है कि वह ‘राज+ठाकरे’ की पार्टी मनसे में विलय कर जाएं। इसकी सम्भावना इसलिए भी बन रही है कि एकनाथ शिंदे ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे का हालचाल के बहाने उनसे दो बार फोन पर बातचीत भी की है। राजनीतिकार बताते है कि अगर बागी विधायक राज ठाकरे के साथ जाते हैं तो ‘मनसे और बीजेपी मिलकर महाराष्ट्र में नई सरकार बना सकती है।

केंद्रीय मंत्री राव साहेब दानवे का बड़ा बयान
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच केंद्रीय मंत्री राव साहेब दानवे ने कहा है कि मैं अब भी दो से तीन दिन तक विपक्ष में हूं। केंद्रीय मंत्री दानवे ने अम्बड में एक कार्यक्रम के दौरान जब ये बयान दिया तब महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे भी वहां मौजूद थे। राव साहेब दानवे ने कहा, ‘टोपे साहेब…मैं पिछले ढ़ाई साल से केंद्रीय मंत्री हूं और आप राज्य सरकार में मंत्री। इसलिए आप जो करना चाहते हैं, जल्दी करिए। मैं अगले दो से तीन दिन और विपक्ष में रहूंगा। तब तक मैं विपक्ष के नेता के तौर पर आपके बाद ही अपने विचार रखूंगा। राव साहेब दानवे के इस स्पष्ट बयान को महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बनाने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

‘ठाकरे’ नाम भी और हिंदुत्व का एजेंडा भी
महाराष्ट्र में पिछले एक सप्ताह से चल रहे सियासी ड्रामे के बीच अब राजनीति ने करवट बदली है। यहाँ बन रहे नए समीकरण को देखकर माना जा रहा है कि अब बीजेपी और मनसे की सरकार बनना लगभग तय है?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ‘शिंदे गुट’ का महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) में विलय दो दिन पहले देवेंद्र फडणवीस से एकनाथ शिंदे की गुपचुप मुलाकात में ही तय हो गया था। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे और यहीं नई सधी रणनीति पर चर्चा हुई थी। हालांकि, भाजपा अभी भी शिंदे गुट के मनसे में विलय को लेकर संशय में है। इसकी वजह राज ठाकरे के तेवर बताये जा रहे हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि उद्धव सरकार से नाराज़ राज ठाकरे यह मौका हाथ से जाने नहीं देंगे।

जानें- क्यों पड़ रही विलय जरूरत?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भले ही एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 38 बागी विधायकों का समर्थन हो, लेकिन नई पार्टी के रूप में उनको मान्यता मिलना आसान नहीं है। ऐसे में ‘शिंदे गुट’ राष्ट्रपति चुनाव से पहले इस मसले को हल करना चाहता है। इसलिए, उसके लिए सबसे आसान यही है कि वह राज ठाकरे की पार्टी ‘मनसे’ में विलय कर ले। ऐसे में उसके पास ‘ठाकरे’ नाम भी बचा रहेगा और हिंदुत्व का एजेंडा भी!

उद्धव सरकार ने 9 बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को आवंटित किये
वहीँ सीएम उद्धव ठाकरे ने गुवाहाटी के होटल में ठहरे 9 बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को आवंटित कर दिये हैं। इस संदर्भ में पहले से ही अटकलें चल रहीं थीं। सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि प्रशासन चलाने में आसानी हो।