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महाराष्ट्र के पालघर और डहाणू में भूकंप के झटके!

पालघर: महाराष्ट्र के पालघर जिले में 2.5 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि शुक्रवार दोपहर 3.27 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। डहाणू में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
रिपोर्ट के मुताबिक, जिला आपदा नियंत्रण प्रकोष्ठ के प्रमुख विवेकानंद कदम ने कहा, भूकंप के झटके से किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है। लेकिन नवंबर 2018 से इस क्षेत्र में अलग-अलग परिमाण के कई झटके महसूस किए गए।

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसे किसी भी तरह से रोका नहीं जा सकता। यहां तक कि वैज्ञानिक इसका पूर्वानुमान भी नहीं लगा सकते कि ये कब आएगा? ऐसे में भूकंप के समय बरती जाने वाली सावधानियों को हमेशा ध्यान में रखना होगा।

इन बातों का रखें ध्यान…
* भूकंप के समय अगर आप घर के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। किसी मजबूत टेबल या किसी फर्नीचर के नीचे छुप जाएं। अगर आसपास टेबल नहीं है तो हाथ से चेहरे और सिर को ढक लें। घर के किसी कोने में चले जाएं। कांच, खिड़की, बाहरी दरवाजे और दीवार और झूमर आदि जैसी किसी भी गिरने वाली चीज से दूर रहें। अगर बिस्तर पर हैं तो लेटे रहें, तकिया से सिर ढक लें।
* आसपास ऐसा भारी फर्नीचर है, जिसके गिरने का खतरा है तो उससे दूर रहें। ऊंची इमारतों में रहने वाले भूकंप के समय लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें। लिफ्ट पेंडुलम की तरफ हिलकर दीवारों से टकरा सकती है। बिजली जाने से भी वो रुक सकती है और आप उसमें फंस सकते हैं। ऐसी सीढ़ी का भी इस्तेमाल न करें जो मजबूत ना हो।
* जब तक झटके आ रहे हों घर के अंदर ही रहें, झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। भूकंप के समय अगर आप घर के बाहर हैं तो ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें। जब तक झटके खत्म न हो बाहर ही रहें। भूकंप के समय अगर आप किसी चलती गाड़ी में हैं तो जितनी जल्दी हो सके गाड़ी रोक लें और गाड़ी में बैठे रहें।
* भगवान न करें, अगर आप मलबे में दब गए हों तो माचिस न जलाएं, क्योंकि लीक हुई गैस आदि से आग का खतरा हो सकता है। मलबा हटाने के लिए हाथ पैर न चलाएं। मुंह को रुमाल या किसी कपड़े से ढंक लें। जोर से आवाज लगाने से आपके मुंह में धूल जा सकती है। पाइप या दीवार पर थाप देकर बचावकर्मी का ध्यान खींच सकते हैं। कोई उपाय न हो तभी जोर से आवाज लगाएं।
भूकंप की तीव्रता का क्या होता है असर:
0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।
2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है।
3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है।
4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।
5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है।
6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।
8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।
9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी। भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।