पुणेब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में ‘जीका वायरस’ का दूसरा मामला सामने आया; पिछले 2 साल में मिले तीन संक्रमित

मुंबई: महाराष्ट्र में इस वर्ष जीका वायरस के दूसरे मामले की पुष्टि हुई। स्वास्थ्य विभाग ने इस बात की जानकारी शुक्रवार को दी। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि 67 वर्षीय एक वरिष्ठ नागरिक जीका वायरस से संक्रमित पाया गया है।
बता दें कि अब तक राज्य में पिछले दो साल में ‘जीका वायरस’ के 3 मामले सामने आए हैं। इस वर्ष इससे पहले जीका का एक मामला सामना आया था।

संक्रमित 6 नवंबर को आया था पुणे
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, वरिष्ठ नागरिक नासिक का रहने वाला है और वह 6 नवंबर को पुणे आया था। इससे पहले उसकी सूरत जाने की बात सामने आई है। 16 नवंबर को उन्हें बुखार, खांसी और जोड़ों में दर्द हुआ। इसके बाद, उन्होंने निजी लैब में जांच कराई और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

रिपोर्ट के बाद एहतियाती कदम
बाद में उनका सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी पुणे भेजा गया और 30 नवंबर को उनकी रिपोर्ट जीका पाजिटिव आई। राज्य निगरानी अधिकारी डा. प्रदीप आवटे ने कहा, हमने क्षेत्र में सभी एहतियाती उपाय करना शुरू कर दिया है। हमें इस तरह का कोई अन्य संदिग्ध मामला नहीं मिला। हमें एडीज एजिप्टी मच्छरों के प्रजनन का भी पता नहीं चला।

दो साल में सामने आये तीन मामले
अधिकारी ने कहा कि आसपास फागिंग कराई जा रही है। राज्य में अब तक जीका वायरस का यह तीसरा मामला सामने आया है। बता दें कि पहला मामला पिछले साल पुणे के ग्रामीण इलाके से सामने आया था और इस साल दूसरा मामला पालघर से सामने आया था। और अब तीसरा सामने आया है।

क्‍या है जीका संक्रमण?
जीका वायरस के संक्रमण का असर डेंगू के बुखार, पीला ज्वर, वेस्ट नाइल वायरस के बुखार की तरह ही होता है। यह संक्रमण एईडीज इजिप्टाय मच्छर के काटने से होता है। इसकी प्रजाति से डेंगू का वायरस भी फैलता है।यह सक्रमण प्रमुख रूप से मच्छर के काटने से ही फैलता है, लेकिन यह गर्भवती मां से बच्चे में भी आ सकता है। वैसे तो यह संक्रमण किसी को भी को हो सकता है, लेकिन इसका जोखिम सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं को होता है। इसके अलावा असुरक्षित यौन संबंधों से भी यह संक्रमण फैल सकता है।

क्या होते हैं इसके लक्षण?
संक्रमण होने पर जीका वायरस संक्रमित व्यक्ति के खून में अमूमन एक सप्ताह तक रहता है। इस संक्रमण के लक्षण में आमतौर पर हलके ही होते हैं। इसमें बुखार, बदन पर दाने, जोड़ों में दर्द जैसे ही लक्षण देखे जाते हैं, लेकिन अधिकांश लोगों में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। सामान्यतया पांच में से एक ही संक्रमित में इसके लक्षण दिखाई देते हैं। अहम बात यह है कि इस बीमारी से किसी को मरते नहीं देखा गया है।