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महाराष्ट्र: तेलगी मामले में लापरवाही को लेकर DGP जायसवाल के खिलाफ आरोपों पर सरकार ने मांगी रिपोर्ट

मुंबई: देश के चर्चित फर्जी स्टांप पेपर स्कैम प्रकरण के मुख्य दोषी अब्दुल करीम तेलगी प्रकरण की जांच में कथित तौर पर कोताही बरतने को लेकर विशेष कोर्ट की ओर से की टिप्पणियों को लेकर अब राज्य के पुलिस महानिदेशक सुबोध जायसवाल जांच के घेरे में आ गए हैं।
राज्य सरकार ने गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव को महानिदेशक डीजीपी सुबोध जायसवाल के खिलाफ आरोपों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त राजेंद्र कुमार त्रिवेदी की ओर से की गई शिकायत पर गौर करने के बाद दिया गया है। शिकायत के बारे में त्रिवेदी ने बताया कि 26 जून 2007 को पुणे की महाराष्ट्र संगठित अपराध कानून (मकोका) की विशेष अदालत ने साल 2003 के तेलगी प्रकरण की जांच के दौरान दिखाई गई निष्क्रियता व जांच के तौर तरीके को लेकर तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) सुबोध जायसवाल पर कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने बताया कि मकोका कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक जायसवाल ने तेलगी फर्जी स्टैम्प पेपर मामले से जुड़े आरोपियों की मदद की थी।
उन्होंने बताया कि मकोका कानून की धारा 24 के अनुसार इन टिप्पणीयों के आधार पर सुबोध जायसवाल की संदिग्ध भूमिका की जांच होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसके उलट उन्हें कई महत्वपूर्ण पदों पर पदोन्नति दी गई।

पूर्व एसीपी त्रिवेदी के मुताबिक, प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले के मुताबिक, यदि किसी अधिकारी के खिलाफ अदालत की ऐसी टिप्पणी हो तो पदोन्नति के लिए उसके नाम पर विचार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि हालांकि मकोका कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ श्री जायसवाल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। तब न्यायमूर्ति बी एच मरलापल्ली (अब सेवानिवृत्त) ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था। जिसके मुताबिक मकोका कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी के आधार पर जायसवाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी और राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था पर अब तक इस मामले में सरकार का जवाब नहीं आया। जबकि हाईकोर्ट में कई बार सुनवाई के लिए यह मामला सूचीबद्ध हुआ है।

त्रिवेदी ने दावा किया कि श्री जायसवाल को राज्य के पुलिस महानिदशक से लेकर अन्य पदों पर पदोन्नति देते समय मकोका कोर्ट के फैसले को रिकॉर्ड में लाया ही नहीं गया। मेरे पास सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिले जवाब हैं। उन्होंने कहा कि मकोका कोर्ट की गंभीर टिप्पणीयों के बावजूद श्री जायसवाल को राज्य का पुलिस महानिदेशक बना दिया गया है। इन तमाम मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट व मकोका कोर्ट के फैसले के आधार पर मैैंने राज्य के गृह विभाग के पास शिकायत की थी। राज्य के गृहमंत्री ने मेरी बातों को विस्तार से सुना और जांच के आदेश दिए हैं। गृहविभाग के सचिव ने भी मुझे जांच को लेकर आश्वस्त किया है।

20 हजार करोड़ का फर्जी स्टाम्प घोटाले के लिए तेलगी ने 16 राज्यों में फैलाया था नेटवर्क
गौरतलब है कि अब्दुल करीम तेलगी ने 10 साल में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली, प. बंगाल सहित देश के लगभग 16 राज्यों में 20000 करोड़ रुपए से ज्यादा के फर्जी स्टाम्प पेपर बाजारों में चलाकर देश के सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया था।

कर्नाटक के खानपुर का रहने वाला तेलगी केले बेचता था। 1980 में वह मुम्बई आया। 10 साल तक धंधा जमाने के बाद उसने फर्जी स्टाम्प छापने और बेचने की तरकीब निकाली। स्टाम्प पेपर छापने के लिए तेलगी ने दक्षिण मुंबई के फोर्ट इलाके में एक प्रिंटिंग प्रेस शुरू की। उसने जो मशीन लगाई, उसे वह नासिक स्थित रुपए मुद्रण करने वाली सरकारी प्रेस से नीलामी में खरीदी थी।