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महाराष्ट्र: महाविकास आघाडी ने अपने विधायकों और मंत्रियों को दिया शांति का मंत्र

(फाइल फोटो)

कहा – ऐसा कोई बयान न दें, जिससे विपक्ष को मुद्दा मिल जाए

मुंबई: महाविकास आघाडी ने अपने विधायकों और मंत्रियों को सोमवार को शांति मंत्र दिया। इसके तहत विधायकों और मंत्रियों से कहा गया है कि विपक्ष को जो हंगामा करना है, करने दें और उकसावे में न आएं। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर), नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) पर बयान देने से बचें। साथ ही हिंदुत्व व वीर सावरकर के मुद्दे पर भी बोलने से परहेज करें। उनसे कहा गया कि ऐसा कोई मुद्दा या फिर बयान न दें, जिससे विपक्ष को मुद्दा मिल जाए। उन्हें विश्वास दिलाया गया कि यह सरकार मजबूती से पूरे 5 साल चलने वाली है।

बीजेपी ने दिखाए आक्रामक तेवर
महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के पहले ही दिन विरोधी दल बीजेपी ने आक्रामक तेवर दिखाए। बीजेपी विधायकों के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी। सदन में हंगामे के बाद ही महाविकास आघाडी के मंत्रियों और विधायकों के अलावा सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की बैठक हुई। बैठक में विपक्ष का मुकाबला करने के लिए विधानसभा और विधानपरिषद की बैठक में सत्ताधारी दल के विधायकों को हमेशा सदन में उपस्थित रहने का आदेश दिया गया। साफ कहा गया कि जब तक सदन की कार्यवाही चलती है, तब तक विधायक सदन छोड़कर नहीं जाएं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, बालासाहेब थोरात सहित अन्य दिग्गज नेताओं व मंत्रियों ने विधायकों को संबोधित किया। विधायकों से साफ कहा गया बेहतर होगा कि सत्ताधारी दल व उसे समर्थन देने वाले दल का कोई भी विधायक सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर कोई बयान देने से बचे।

सरकार में बेहतर तालमेल है
ठाकरे ने कहा कि पिछले तीन महीने से सहयोगियों के बीच ‘अच्छा तालमेल और सहयोग’ है। उन्होंने गठबंधन सहयोगियों के बीच आगे सहयोग मजबूत करने की बात कही। तीनों दलों के बीच ‘सुगम’ रिश्ते हैं। एक सूत्र ने बताया कि ठाकरे ने विधायकों से कहा कि वह राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और कांग्रेस नेतृत्व के साथ लगातार संपर्क में हैं और गठबंधन में मतभेद के बीजेपी के दुष्प्रचार पर विश्वास न करें। बैठक के बाद एक मंत्री ने बताया कि ठाकरे ने विधायकों से कहा कि हाल में दिल्ली की मेरी यात्रा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अच्छी बातचीत हुई। हमने एक घंटे तक तकरीबन हर मुद्दे पर चर्चा की।
गौरतलब है कि सीएए और एनपीआर को लेकर जहां प्रमुख सत्ताधारी दल शिवसेना समर्थन में है, वहीं सरकार में शामिल कांग्रेस विरोध कर रही है। राकांपा ने पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसे में विधायक या किसी मंत्री का सीएए और एनआरसी पर बोलने का मतलब है विपक्ष को मौका देना। अब देखना दिलचस्प होगा कि महाविकास आघाडी के विधायक खुद पर कितना संयम रख पाते हैं?