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महाराष्ट्र में तेजी से पैर पसारती आंखों की जानलेवा बीमारी ‘म्युकरमायकोसीस’, स्वास्थ्य मंत्री बोले- राज्य के एक हजार अस्पतालों में होगा मुफ्त इलाज़

मुंबई: कोरोना महामारी के बीच देश में एक नया जानलेवा रोग कहर बरपा रहा है। लोगों की जान का दुश्मन बन रही ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्युकरमाइकोसिस की बीमारी देश में लगातार पैर पसारती नज़र आ रही है।महाराष्ट्र में तेजी से पैर पसारती आंखों की जानलेवा बीमारी म्युकरमायकोसीस यानी ब्लैक फंगस से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने नया प्लान बनाया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि इस बीमारी का इलाज मुफ्त में किया जाएगा। राज्य भर के 1000 अस्पतालों में महात्मा फुले जन आरोग्य योजना के माध्यम से लोगों का मुफ्त इलाज किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि ब्लैक फंगस से निपटने के लिए जिस इंजेक्शन की जरूरत है। उसकी एक लाख डोज राज्य सरकार खरीदने वाली है ताकि मरीजों को अस्पताल में आसानी से उचित दाम पर दवा मिल सके।

एक शीशी की कीमत 5 हज़ार से 8 हज़ार रुपये
बता दें कि म्युकरमायकोसीस बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां इंजेक्शन बाजार में काफी महंगे दामों में मिल रहे हैं। इन शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि अब दवाई और इंजेक्शन के दाम पर नियंत्रण रखा जाएगा। इस बीमारी में काम आने वाली एन्टी फंगल ड्रग ऐम्फोटेरिसिन बी की एक शीशी की कीमत 5 हज़ार से 8 हज़ार रुपये तक आती है। इस दवा को कई हफ्तों तक लेना पड़ता है। औसतन मरीज को प्रतिदिन 60 हज़ार से 80 हज़ार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। कई लोग इतने महंगे इलाज को सुनकर ही वापस लौट जाते हैं।

राज्य में तेजी से फैल रहा है ब्लैक फंगस
महाराष्ट्र के कई जिलों में ब्लैक फंगस तेजी से फैल रहा है। खासतौर पर विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र में इसके मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। इस फंगल इन्फेक्शन में वह लोग ज्यादा शिकार होते हैं जो डायबिटीज से पीड़ित होते हैं। ऐसे में डायबिटीज वाले मरीजों को अपना विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। अक्सर यह देखा जाता है कि जो लोग कोरोना महामारी से निपटकर वापस घर लौटते हैं। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है और स्टेरॉयड लेने और डायबिटीज होने की वजह से वे इस बीमारी की चपेट में आसानी से आ जाते हैं।

महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस ने ली 10 की जान, 200 मरीजों का उपचार जारी
महाराष्ट्र में म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। ये मरीज कोरोना को मात दे चुके थे। राज्य में ऐसे लगभग 200 मरीजों का उपचार चल रहा है। चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रमुख, डॉक्टर तात्याराव लहाने ने कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में अब तक उपचार कराने वाले ऐसे 200 मरीजों में से आठ की म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) की वजह से मौत हुई है। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों को मधुमेह की शिकायत है, उनमें इसके संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहता है। जब मरीज को ऑक्सीजन प्रणाली पर रखा जाता है तो उसमें वायु को नम रखने वाला जलयुक्त उपकरण लगा होता है, ऐसी स्थिति में मरीज के कवक संक्रमण की चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है।

केंद्र ने ब्लैक फंगस को लेकर कही थी ये बात
कोविड-19 के मरीजों के बीच म्यूकॉरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस की खबरों पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि यह प्राकृतिक है और म्यूकॉरमाइकोसिस व कोरोना के बीच कुछ खास संबंध नहीं है। उन्होंने कहा था कि म्यूकॉरमाइकोसिस संक्रमण केवल उन लोगों को प्रभावित करता है जिनके रक्त में शुगर का स्तर अधिक होता है। उन्होंने कहा था कि निगरानी की जा रही है और म्यूकोरमाइकोसिस का उपचार उपलब्ध है।

उत्तर प्रदेश में भी ‘ब्लैक फंगस’ ने दी दस्तक
महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात के बाद अब इस बीमारी ने उत्तर प्रदेश में भी दस्तक दे दी है। लखनऊ के 8 कोविड पेशेंट में म्युकरमाइकोसिस नाम का जानलेवा फंगस पाया गया है।
लखनऊ के अलावा वाराणसी और मेरठ में भी ब्‍लैक फंगस के मामलों की बात कही जा रही है। वाराणसी में ब्‍लैक फंगस या म्युकरमाइकोसिस से पीड़ित एक महिला मरीज मिली। ब्‍लैक फंगस की पहली शिकार महिला कोविड संक्रमित थीं। कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने के दो दिन पहले तनिमा मित्रा की एक आंख लाल होने लगी। जबकि मेरठ में ब्लैक फंगस से पीड़ित दो कोविड मरीज मिले। ये मरीज मुजफ्फरनगर और बिजनौर जिले के रहने वाले बताए जा रहे हैं।