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महाराष्ट्र में आखिर कैसे रुकेगा कोरोना का कहर?

24 घंटे में सामने आए 1233 कोरोना पॉजिटिव, मुंबई में 10 हजार के पार मामले

मुंबई: महाराष्ट्र में बुधवार को कोरोनावायरस के 1233 नए मामले सामने आए हैं। पहली बार महाराष्ट्र में 24 घंटे के अंदर इतने ज्यादा मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या अब 16 हजार 758 हो गई है। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र कोरोना से अब तक 651 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले बुधवार को ही 35 लोगों ने इस वायरस की चपेट में आने से दम तोड़ दिया।
वहीं, मुंबई में कोरोना संक्रमितों की संख्या 10 हजार के पार हो गई है। यहां पर 10714 केस हो गए हैं। मुंबई में अबतक 412 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में 25 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों में 3-3 पुणे और अकोला से, 1-1 जलगांव और सोलापुर से हैं। उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक व्यक्ति की भी मुंबई में मौत हो गई।
बीएमसी के मुताबिक मुंबई के धारावी में कोरोना के 68 नए केस आए हैं। जबकि बुधवार को एक कोरोना संक्रमित की मौत भी हो गई है। धारावी झुग्गी वाले इलाके में अब तक कोरोना संक्रमण के 733 मामले सामने आ चुके हैं और 21 लोगों की मौत हो चुकी है। मुंबई में एक दिन में 769 कोरोना केस के केस आए हैं। ये मुंबई में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
मुंबई में लगभग 25,000 निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को कोरोना वायरस के रोगियों का इलाज करने वाले अस्पतालों को तत्काल प्रभाव से रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। डॉक्टरों से कहा गया है कि वे जिस अस्पताल में तैनात होंगे, वहां कम से कम 15 दिन अवश्य बिताएं। असाइन किए गए अस्पताल को रिपोर्ट नहीं करने वालों को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, जिसमें उनका प्रैक्टिस का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
कोविड-19 के मामले बढ़ने के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने रेलवे, सेना और अन्य केंद्रीय उपक्रमों के अस्पतालों से आग्रह किया है कि वे राज्य में मौजूद अपनी सुविधाएं सरकार के लिए उपलब्ध करवाएं। राज्य सरकार मामले बढ़ने के साथ ही गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) के बेड की संख्या में इजाफा करना चाहती है।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कोविड-19 मरीजों के इलाज और आईसीयू बेड की चिंता को लेकर निजी तौर पर उच्च अधिकारियों से चर्चा की है। बयान के मुताबिक, योजना के तहत, राज्य सरकार ने महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में रेलवे, मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, भारतीय सेना, नौसेना और केंद्र सरकार के अन्य उनक्रमों के अस्पतालों, संस्थानों और इमारतों की सुविधाएं उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
राज्य सरकार ने कहा कि वह पिछले कुछ महीनों से कोरोना वायरस से निपटने में जुटे हैं और इसकी रोकथाम के लिए कई उपाय किए गए हैं। बयान के मुताबिक, परीक्षणों की संख्या में व्यापक वृद्धि की गई है, ऐसे में मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। स्वस्थ होने वाले और अस्पताल से छुट्टी पाने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा था कि कुल 2,819 मरीज विभिन्न अस्पतालों से ठीक होकर जा चुके हैं। बयान में कहा गया, केंद्र ने मई में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया है, राज्य सरकार ने मुंबई और पुणे में पृथक-वास और आईसीयू सुविधाएं तैयार की हैं।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कोविड-19 मामलों की लगातार बढ़ती संख्या से शहर के पब्लिक और प्राइवेट, दोनों तरह के हॉस्पिटल संक्रमित मरीजों से भर गए हैं। दो करोड़ की आबादी वाले मुंबई में नए मरीजों को एडमिट करने के लिए बेड की कमी हो गई है और उनकी देखरेख करने की खातिर पर्याप्त डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ भी कम पड़ रहे हैं।
प्राइवेट और पब्लिक, दोनों हॉस्पिटल्स से मिली जानकारी से पता चला है कि शहर में कोविड-19 के साथ अन्य बीमारियों का इलाज करने के लिए बेड, ICU बेड और डॉक्टर कम पड़ रहे हैं। लॉकडाउन के बावजूद मुंबई में कोरोना वायरस के औसतन 400 मामले रोज आ रहे हैं। इससे शहर की कोविड-19 के साथ अन्य रोगों से पीड़ित मरीजों को एडमिट करने की क्षमता भर गई है।
स्थिति इतनी विकट हो गई है कि अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीज अस्पताल में एडमिट होने के लिए जूझ रहे हैं। कोविड-19 मरीजों के लिए हालात और भी भयावह हैं। इसका नमूना यह है कि गोवंडी की एक 45 वर्षीय महिला को संक्रमण के लक्षण के बावजूद तीन दिन तक अस्पताल में शिफ्ट नहीं किया गया क्योंकि कोई बेड ही खाली नहीं था। इसी तरह एक 63 वर्षीय महिला को अस्पताल में बेड न होने की वजह से पूरी रात अपनी बिल्डिंग के पास की सड़क पर बैठकर बितानी पड़ी। उन्हें आखिरकार अंधेरी के सेवन हिल्स अस्पताल ले जाया गया।
1 मई तक BMC के RN कूपर हॉस्पिटल में कोविड-19 के उपचार के लिए सिर्फ 11 बेड थे। वहीं KEM हॉस्पिटल में महज छह बेड थे। कस्तूरबा हॉस्पिटल सिर्फ 12 बेड हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी स्थिति कुछ खास अलग नहीं है। PD हिंदुजा में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए 42 बेड रिजर्व हैं और वे सभी फुल हो गए हैं। वोकहार्ट हॉस्पिटल के पास कोविड-19 मरीज के लिए सिर्फ एक बेड है। बांद्रा के लीलावती हॉस्पिटल में भी सिर्फ एक बेड उपलब्ध है।
विक्रोली के सुश्रुषा में 73 बेड और सेवेन हिल्स रिलायंस के पास 42 बेड उपलब्ध हैं। इस स्थिति को पब्लिक और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ICU केयर फैसिलिटीज के आंकड़े और भी बदतर बना देते हैं। KEM हॉस्पिटल, MCGM सेवेन हिल्स, नायर हॉस्पिटल, HBT ट्रॉमा, कस्तूरबा हॉस्पिटल, ST जॉर्ज, BPT वडाला और भाभा हॉस्पिटल बांद्रा जैसे 8 नामित डिस्ट्रिक्ट कोविड केयर हेल्थ सेंटर (DCHC) में से सिर्फ 6 ICU बेड हैं।
अधिक गंभीर मरीजों को रखने के लिए बने डिस्ट्रिक्ट कोविड हॉस्पिटल्स में भी इसी तरह की स्थिति है। कुल 20 तय किए गए अस्पतालों में से 11 की ICU बेड कैपेसिटी भर गई है और बाकी के 9 के पास सिर्फ 63 ICU बेड उपलब्ध हैं। बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार अधिक बेड के लिए जगह बना रहे हैं लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इससे समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा, अब अधिक बेड होने का मतलब फैक्चर्ड हाथ पर बैंड लगाने जैसा है। हमारे पास आने वाले नए मरीजों के लिए पर्याप्त चिकित्सा कर्मी, डॉक्टर और नर्स नहीं हैं। हमारे डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ सभी काम कर रहे हैं और दिन में 16 घंटे की शिफ्ट कर रहे हैं। बीएमसी डॉक्टर ने कहा, बेड जोड़ना हल नहीं है; हमें और अधिक स्वास्थ्यकर्मियों की आवश्यकता है।