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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा तो भी शिवसेना-एनसीपी के पास रहेगा मौका

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी, सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना

नयी दिल्ली: सरकार गठन को लेकर तक़रीबन 20 दिनों से चल रही खींचतान के बाद महाराष्ट्र में अब राष्ट्रपति शासन लग सकता है? राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद सूबे में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। इस बीच शिवसेना ने इस सिफारिश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। शिवसेना की ओर वकील सुनील फर्नांडिज ने अर्जी दायर की है। शिवसेना ने अपनी याचिका में गवर्नर की ओर से पार्टी को सरकार गठन के लिए दिए गए समय को न बढ़ाने पर सवाल उठाए हैं।

राज्यपाल ने लिखा- संविधान के मुताबिक सरकार के आसार नहीं
सूत्रों के मुताबिक राजभवन ने होम मिनिस्ट्री को राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजते हुए कहा कि महाराष्ट्र में संविधान के मुताबिक सरकार गठन मुश्किल है। इस पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने संविधान के अनुच्छेद 356 को इस्तेमाल करते हुए सूबे में प्रेजिडेंट रूल की अनुशंसा की है।

कैबिनेट मीटिंग के बाद ब्राजील गए पीएम मोदी
बता दें कि कैबिनेट मीटिंग के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ब्रिक्स देशों की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील रवाना हो गए हैं। सबसे बड़े दल के तौर पर सरकार बनाने से बीजेपी के इनकार के बाद गवर्नर ने रविवार को शिवसेना को सरकार गठन के लिए एक दिन का समय दिया था।

शिवसेना के बाद एनसीपी को मिला मौका
रविवार से सोमवार तक शिवसेना के सरकार न बना पाने के बाद सोमवार शाम को गवर्नर ने तीसरे सबसे बड़े दल एनसीपी को मौका दिया था। एनसीपी को मिला यह समय आज रात 8:30 बजे समाप्त हो रहा है। हालांकि एनसीपी की ओर से भी अब तक आधिकारिक तौर पर सरकार बनाने को लेकर कोई दावा नहीं किया गया है।
इस बीच एनसीपी नेता नवाब मलिक सरकार गठन को लेकर कहा है कि हम कांग्रेस से बातचीत के बाद इस पर फैसला लेने वाले हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल मुंबई आ रहे हैं और तीनों नेता एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से चर्चा करेंगे, जिसके बाद सरकार गठन को लेकर अंतिम फैसला हो सकता है।

संजय निरुपम ने फिर चेताया, सरकार बनाना हमारी जिम्मेदारी नहीं
मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने एक बार फिर से पार्टी को शिवसेना के साथ जाने को लेकर चेतावनी दी है। संजय निरुपम ने ट्वीट किया- ‘कांग्रेस पर महाराष्ट्र में सरकार गठन की कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं है। हमारे ऊपर कोई भी आरोप लगाया जाना आधारहीन है। यह बीजेपी और शिवसेना की असफलता है, जिन्होंने प्रदेश को राष्ट्रपति शासन की ओर ले जाने का काम किया है।’

कांग्रेस के बिना मुश्किल है सरकार बनाना
उधर, शिवसेना के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने कांग्रेस के रुख को लेकर कहा है कि हम उनके बारे में कुछ नहीं कह सकते। जोशी ने कहा कि जनता शिवसेना की सरकार चाहती है। गौरतलब है कि 288 विधानसभा सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना की 56 और एनसीपी की 54 सीटें हैं। ऐसे में 145 सीटों के आंकड़े के लिए दोनों दलों को कांग्रेस की जरूरत है।

पहले कब-कब लागू हुआ राष्ट्रपति शासन
महाराष्ट्र में पहली बार 17 फरवरी 1980 को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। तब मुख्यमंत्री शरद पवार के पास विधानसभा में पूर्ण बहुमत था, बावजूद सदन भंग कर दिया गया था। इसके बाद 17 फरवरी से 8 जून 1980 तक, 112 दिन महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू रहा था। राज्य में दूसरी बार 28 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। तब कांग्रेस ने सरकार में शामिल सहयोगी दल एनसीपी समेत अन्य दलों से किनारा कर लिया था। नतीजतन सदन को भंग करना पड़ा था। उस वक्त 28 सितंबर से 30 अक्टूबर 2014 तक, 32 दिन के लिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था।