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महाराष्ट्र में सरपंच पद की नीलामी, 2 करोड़ में बिका पद! वीडियो वायरल होने के बाद आयोग ने चुनाव किया रद्द

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को नासिक के उमराने और नंदूरबार के खोंडामली की ग्राम पंचायतों के सरपंच पद और पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए बोली लगने की शिकायतें मिली थीं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शिकायतों के बाद निर्वाचन आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए बुधवार को चुनाव रद्द करने का फैसला किया।
रिपोर्टों के मुताबिक, नासिक के उमराने गांव में बोली दो करोड़ रुपये तक लगाई गई वहीं नंदूरबार के खोंडामली में नीलामी की रकम 42 लाख रुपये तक पहुंची। गांव की आबादी के हिसाब से ग्राम पंचायत में 9 से लेकर 18 सदस्य होते हैं।
राज्य निर्वाचन आयुक्त यूपीएस मदान ने 15 जनवरी को होने वाले चुनाव के पहले दो गांवों में चुनाव रद्द करने की घोषणा की है। आधिकारिक बयान के मुताबिक, आयोग ने जिला अधिकारियों, चुनाव पर्यवेक्षकों और तहसीलदारों तथा शिकायतों, रिपोर्टों और ऑडियो-विज़ुअल मीडिया रिपोर्टों के सत्यापन के बाद, इस प्रक्रिया को रद्द करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने दोनों जिलों के कलेक्टरों को भी शामिल व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज करने और आयोग के समक्ष रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया है।

उमराने का सरपंच पद 2 करोड़ में हुआ नीलाम!
सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में कथित तौर पर एक प्रसिद्ध प्याज बाजार में उमराने के सरपंच पद के लिए बोली लगाते हुए दिखाया गया। यह घटना 27 दिसंबर को हुई थी। पोस्ट के लिए बोली 1.1 करोड़ रुपये से शुरू हुई थी और अंतिम बोली लगाने वाले ने 2 करोड़ से अधिक की पेशकश की थी। वीडियो वायरल होने के बाद, नासिक कलेक्टर सूरज मंधारे ने संबंधित अधिकारियों से इस मामले की रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट को राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा गया।

खोंडामाली गांव में 42 लाख में बिका सरपंच का पद
इसी तरह का एक वीडियो खोंडामाली का भी वायरल हुआ था। यहां भी सरपंच पद की नीलामी हो रही थी। विजेता बोली 42 लाख रुपये की थी। यह राशि गांव के मंदिर निर्माण के लिए दिया जाना था। नंदुरबार के कलेक्टर राजेंद्र भारूद ने जांच रिपोर्ट आयोग को भेजी थी।

नासिक के डिप्टी कलेक्टर नितिन गावंडे, जो नासिक जिले में पंचायत समिति और ग्राम पंचायत चुनावों के समन्वयक डेप्युटी कलेक्टर नितिन गावंडे ने बताया कि पूरी चुनाव प्रक्रिया रद्द कर दी गई है। चुनाव के लिए अलग कार्यक्रम की घोषणा आयोग बाद में करेगा।

चौंकाने वाली बात यह है कि बोली की पूरी प्रक्रिया को किसी भी तरह से गुप्त नहीं रखा गया था और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद आयोग ने इसे संज्ञान में लिया था। राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे भारतीय दंड संहिता की धारा 171 (सी) के मुताबिक संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।