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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: शिवसेना ने ठोका सीएम पद पर दावा, उद्धव बोले- तय हुआ था 50-50 फॉर्म्युला, इस पर नहीं झुकेंगे

मुंबई: महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर उद्धव ठाकरे ने अपने तेवर साफ कर दिए हैं। गठबंधन को नतीजों/रुझानों में बहुमत मिलने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ किया कि सीएम को लेकर बीजेपी के साथ 50-50 फॉर्म्युले पर बात हुई थी और उनकी पार्टी इस पर नहीं झुकेगी। ठाकरे जहां बीजेपी के साथ 50-50 के फॉर्म्युले पर सख्त दिखे, वहीं एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को लेकर उनका रुख नरम रहा।
बड़ा भाई-छोटा भाई का कोई फर्क नहीं
उद्धव ने कहा कि जनादेश सबकी आंखें खोलने वाली है। उन्होंने इसके लिए महाराष्ट्र की जनता को शुक्रिया कहा। शिवसेना प्रमुख के तेवरों से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में बीजेपी-शिवसेना में सीएम पद को लेकर जबरदस्त खींचतान देखने को मिल सकती है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब उद्धव से पूछा गया कि क्या इस बार शिवसेना का सीएम होगा तो उन्होंने कहा- आपके मुंह में घी शक्कर। उद्धव ने कहा कि बड़ा भाई-छोटा भाई का कोई फर्क नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिवसेना 50-50 फॉर्म्युले पर नहीं झुकेगी और फॉर्म्युला तय होने के बाद ही सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा।

50-50 फॉर्म्युला तय हुआ था’
उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह तो साफ नहीं किया कि 50-50 फॉर्म्युला है क्या, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी इस बार सीएम पद पर अपना दावा ठोक रही है। फॉर्म्युले का इशारा इस तरफ है कि ढाई-ढाई साल के लिए दोनों पार्टियां सरकार का नेतृत्व करेंगी।

शरद पवार की सफलता से तकलीफ नहीं
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि चुनाव में शरद पवार को जो सफलता मिली है, उससे उन्हें कोई तकलीफ नहीं हुई है। बता दें कि इस बार शरद पवार की एनसीपी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। हालांकि, उद्धव ने स्पष्ट किया कि सरकार बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की ही बनेगी। उद्धव ने साथ में यह भी कहा कि केंद्र के मुद्दों पर प्रचार नहीं होना चाहिए था, यह स्थानीय मुद्दों पर होना चाहिए था।

2014 में भी बीजेपी को नहीं मिला था बहुमत
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इसमें बीजेपी को 122 सीटें और शिवसेना ने 63 सीटें जीती थीं। महाराष्ट्र में सर्वाधिक सीटें जीतने के बाद भी बहुमत के आंकड़े 145 से दूर रहने पर बीजेपी को शिवसेना के साथ गठबंधन कर सरकार बनानी पड़ी थी।