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महाराष्ट्र: शरद पवार बोले- लोकतंत्र में कोई हमेशा सत्ता में नहीं रहता

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। राकांपा प्रमुख ने कहा कि नेताओं को मतदाताओं का महत्व न समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे शक्तिशाली नेताओं को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। पवार ने यह बात शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक संजय राउत द्वारा लिए गए इंटरव्यू में कहीं हैं।

तीन हिस्सों वाली साक्षात्कार श्रृंखला का पहला अंश मराठी दैनिक ‘सामना’ में शनिवार को प्रकाशित किया गया है। यह पहली बार है जब किसी गैर शिवसेना नेता को पार्टी के मुखपत्र के मैराथन इंटरव्यू श्रृंखला में जगह दी है।

देवेंद्र फडणवीस के बयान से अहंकार की झलक मिलती है
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पिछले साल के विधानसभा चुनाव के दौरान ‘मी पुन: येन’ (मैं दोबारा आउंगा) के राग की आलोचना करते हुए वरिष्ठ नेता पवार ने कहा कि मतदाताओं ने सोचा कि इस रुख में अहंकार की बू आ रही है और महसूस किया कि इन्हें सबक सिखाया जाना चाहिए।

मतभेदों की खबरों में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं
पवार ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे नीत महाविकास आघाड़ी के सहयोगियों- शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस में मतभेदों की खबरों में ‘रत्ती भर भी सच्चाई’ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार को लेकर पूछे गए सवाल पर पवार ने कहा, ‘लोकतंत्र में, आप यह नहीं सोच सकते हैं कि आप हमेशा के लिए सत्ता में रहेंगे। मतदाता इस बात को बर्दाश्त नहीं करेंगे कि उन्हें महत्व नहीं दिया जा रहा।

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन दुर्घटना नहीं
पवार ने कहा- किसी भी नेता को लोगों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। किसी को यह रुख नहीं अपनाना चाहिए कि वह सत्ता में लौटेगा। लोगों को लगता है कि इस रुख से अहंकार की बू आ रही है और इसलिए उनमें यह विचार मजबूत हुआ कि उन्हें सबक सिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन एक दुर्घटना नहीं थी।

महाराष्ट्र के लोगों ने परिवर्तन के लिए वोट किया
पवार ने कहा- महाराष्ट्र के लोगों ने राष्ट्रीय चुनाव के दौरान देश में प्रबल होती भावनाओं के अनुरूप मतदान किया। लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान मिजाज बदल गया। भले ही भाजपा ने लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वह विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह विफल हुई। यहां तक कि महाराष्ट्र के लोगों ने भी परिवर्तन के लिए मतदान किया।

लॉकडाउन के मुद्दे पर सीएम उद्धव से कोई मतभेद नहीं
राज्य में लॉकडाउन को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ उनके कथित मतभेद पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में पवार ने कहा, बिलकुल भी नहीं। क्या मतभेद? किस लिए? लॉकडाउन के पूरे समय, मेरी मुख्यमंत्री के साथ बेहतरीन बातचीत हुई और यह आगे भी जारी रहेगी।

पवार ने मीडिया पर भी कसा तंज
शरद पवार ने मीडिया मतभेद की खबरों पर मीडिया को दोष देते हुए कहा कि कोरोनावायरस के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से खबर जुटाने की गतिविधि कम हुई है और उनपर अखबारों के पन्ने भरने की जिम्मेदारी है।

बालासाहेब सत्ता की प्रेरक शक्ति थे
शिवसेना के संस्थापक बालठाकरे और उद्धव ठाकरे के काम करने की शैली के बारे में उन्होंने कहा, बालासाहेब भले ही कभी भी सत्ता पर काबिज नहीं रहे लेकिन वह सत्ता की प्रेरक शक्ति थे। वह महाराष्ट्र में अपनी विचारधारा की वजह से सत्ता में थे। पवार ने कहा, आज, सरकार विचारधारा की वजह से नहीं है। लेकिन उस शक्ति को लागू करने की जिम्मेदारी अब उद्धव ठाकरे के पास है।

चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की जरूरत
पूर्व रक्षामंत्री पवार ने कहा, केंद्र को वार्ता और राजनयिक माध्यमों से चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश करनी चाहिए। जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, तब वह प्रार्थना करने के लिए नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर गए थे। मोदी ने नेपाल की प्रशंसा की थी और उसे भारत का मित्र एवं पहला हिंदू राष्ट्र बताया था। अब नेपाल हमारे साथ नहीं है, बल्कि चीन की ओर है। उन्होंने कहा कि भारत ने बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए बढ़-चढ़कर योगदान दिया और अब पड़ोसी देश ने चीन के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। पवार ने मोदी सरकार का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा, चीन ने हमारे सभी पड़ोसियों को अपनी ओर कर लिया है। यह हालिया दौर का योगदान है।
पवार ने कहा, जब हम शत्रु के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में पहला नाम पाकिस्तान का आता है, लेकिन हमें पाकिस्तान की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। दीर्घकाल में देखा जाए, तो चीन के पास भारत के हितों के खिलाफ कदम उठाने की ताकत, सोच और कार्यक्रम है। चीन भारत के लिए बड़ा शत्रु है। पवार ने कहा, चीन भारत के लिए असल खतरा है जो आर्थिक रूप से मजबूत है।
उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उनसे हाथ मिलाने और उन्हें गले लगाने का जिक्र करते हुए कहा, मित्रता की तस्वीरें खींचकर, आप दोनों देशों के बीच की समस्याएं नहीं सुलझा सकते। पवार ने लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय बलों के बीच टकराव पर कहा, ‘जब मैं यह कहता हूं कि इस मामले पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, तो ऐसा इसलिए है, क्योंकि हम उनपर हमला कर सकते हैं, लेकिन जब उस हमले की जवाबी कार्रवाई होगी, तो पूरे देश को भारी कीमत चुकानी होगी।

नेहरू की बात का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्रियों पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को चीन और पाकिस्तान संबंधी मामलों से निपटने को लेकर हमेशा दोषी ठहराया जाता है। उन्होंने कहा कि लेकिन, नेहरू का मानना था कि चीन एक दिन महाशक्ति बनेगा और भारत को उससे मित्रवत संबंध बनाए रखने चाहिए क्योंकि यह तनाव दोनों देशों के लिए ही लाभकारी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नेहरू ने चीन के साथ पंचशील संधि की और क्षेत्र में शांति थी।

मनमोहन सिंह जैसे अर्थशास्त्रियों से बात करें पीएम मोदी
पवार ने कहा, दुर्भाग्य की बात यह है कि चीनी नेतृत्व ने अलग रुख अपनाया और युद्ध हुआ। इस पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने भारतीय अर्थव्यस्था की मौजूदा स्थिति पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करना चाहिए। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को एक समय संकट से उबारने का श्रेय मनमोहन सिंह और दिवंगत प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को दिया।