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महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में OBC कोटे को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

मुंबई: महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में लंबे समय से लंबित ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण को सर्वोच्च न्यायालय ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह स्थानीय निकायों के लंबित चुनावों के लिए दो सप्ताह में अधिसूचना जारी कर चुनाव प्रक्रिया शुरू करे।
सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय पांच सदस्यीय बांठिया आयोग की सिफारिशें मानते हुए दिया गया है। ओबीसी समाज को राजनीतिक आरक्षण की मंजूरी मिल जाने के बाद अब इसे दिलवाने के लिए सत्ता पक्ष व विपक्ष में श्रेय की जंग भी शुरू हो गई है।
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ था। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर रोक के बाद से ही सरकार में रहने वाला दल व विपक्ष, दोनों ही अपने-अपने हित में इस मुद्दे को भुनाने का प्रयास करते आ रहे थे।

CM एकनाथ शिंदे ने जताई खुशी
एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के नए सीएम एकनाथ शिंदे ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि वह ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार की ओर से वकीलों व विधि विशेषज्ञों से मिलने आए थे। बुधवार को यह फैसला आने के बाद शिंदे ने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी समाज के लिए राजनीतिक आरक्षण की मंजूरी दी है। हम वंदनीय हिंदूहृदय सम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के सच्चे शिवसैनिक हैं। एक बार जो वचन दे देते हैं, उसका पालन करते हैं।

फडणवीस बोले- गठबंधन सरकार ने अपने वचनों का पालन किया
राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा है कि ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण दिलवाकर हमारी गठबंधन सरकार ने अपने वचनों का पालन किया है।
राज्य में शिंदे सरकार बनने के बाद 12 जुलाई को ही बांठिया आयोग ने अपनी सिफारिशें सर्वोच्च न्यायालय के सामने पेश की थीं। आयोग ने अपनी सिफारिशें अनुभवजन्य (इंपीरिकल) डाटा के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण देने की सिफारिश की थीं। जिसके आधार पर सर्वोच्च न्यायालय का आज का फैसला आया है। न्यायालय ने बांठिया आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही स्थानीय निकायों में ओबीसी को आरक्षण देने का आदेश दिया है।
कुछ दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के दबाव में राज्य चुनाव आयोग ने 92 नगर परिषदों एवं चार नगर पंचायतों के चुनाव घोषित करने के बाद उन पर रोक लगा दी थी। क्योंकि सत्ता पक्ष एवं विपक्ष, दोनों ही ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराए जाने का विरोध कर रहे थे। अब सर्वोच्च न्यायालय ने स्थानीय निकायों के सभी लंबित चुनावों की अधिसूचना दो सप्ताह के भीतर जारी कर जल्द से जल्द चुनाव कराने के आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिए हैं। लेकिन न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि पहले घोषित हो चुके चुनावों में प्रत्याशियों को इस निर्णय का लाभ नहीं मिलेगा।

यह फैसला आने के बाद अगले कुछ महीनों में राज्य में कई बड़ी महानगरपालिकाओं के चुनाव भी घोषित हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है। इनमें मुंबई और ठाणे जैसी बड़ी महानगरपालिकाएं भी शामिल हैं। जिनके परिणाम राज्य की राजनीति को भी प्रभावित करेंगे। विपक्षी दलों में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विशेष तौर पर इस निर्णय का श्रेय लेना चाह रही है। जिसके जवाब में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राकांपा नेता छगन भुजबल द्वारा ओबीसी आरक्षण के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की है।

महाराष्ट्र में 38 फीसद हैं ओबीसी
राज्य में ओबीसी की संख्या 38 फीसद है। इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए ही राज्य के सभी राजनीतिक दल इस आरक्षण का श्रेय लेना चाह रहे हैं। पूर्व की महाविकास आघाड़ी सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में यह आरक्षण दिलवाने के लिए ही पूर्व मुख्य सचिव जयंत कुमार बांठिया की अध्यक्षता में 11 मार्च, 2022 को बांठिया आयोग का गठन किया था। आयोग ने राज्य की मतदाता सूची को आधार बनाते हुए अनुभवजन्य (इंपीरिकल) डाटा तैयार किया था।