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महाराष्ट्र: BJP के ‘छोटे भाई’ शिवसेना ने कार्टून से किया करारा प्रहार, आखिर भाजपा को क्यों पड़ रही निर्दलीयों की ज़रूरत?

मुंबई: शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादकीय में लिखा है कि चुनाव परिणाम संकेत दे रहे हैं कि जनता अब सत्ता में बैठे लोगों का ‘अहंकार’ बर्दाश्त नहीं करेगी। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि शिवसेना का ये संदेश अपने ‘बड़े भाई’ यानी भारतीय जनता पार्टी की तरफ़ इशारा है।
नतीजों के बाद शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। अब शिवसेना सत्ता में 50-50 भागीदारी के फ़ॉर्मूले पर ज़िद पकड़ चुकी है। इसका एक मतलब ये है कि आधे कार्यकाल तक भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री हो और आधे कार्यकाल के लिए शिवसेना का। लेकिन देवेन्द्र फडणवीस ने जब गुरुवार देर शाम पत्रकारों से बात की तो ऐसा लगा कि किसी वाद-विवाद में नहीं पड़ना चाहते। उन्होंने 50-50 फ़ॉर्मूले का ज़िक्र तो किया मगर उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि ये फ़ॉर्मूला आखिर लागू कैसे होगा? अलबत्ता उन्होंने 15 निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क में होने की सूचना ज़रूर साझा की।

वैसे बीजेपी गठबंधन ने सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 145 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है लेकिन राज्य का अगला मुख्यमंत्री शिवसेना से होगा या बीजेपी से इस पर दोनों पार्टियों की ओर से सामने आ रहे बयान से असमंजस की स्थिति बरक़रार है।
चुनाव के रुझानों में तस्वीर साफ़ होने के बाद गुरुवार शाम को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी मुख्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और 50-50 के फ़ॉर्मूले पर ज़ोर डाला। उन्होंने कहा,50-50 के फ़ॉर्मूले पर बात हुई थी, जो तय हुआ है, वही होगा।

अब कोई छोटा भाई नहीं- उद्धव
अब तक राज्य में शिवसेवा को बीजेपी का ‘छोटा भाई’ कहा जाता रहा है लेकिन उद्धव ठाकरे ने साफ़ कहा, अब बड़ा भाई या छोटा भाई जैसा कुछ बचा नहीं है। पावर शेयरिंग पहले से तय थी। मुख्यमंत्री कौन होगा और पावर शेयरिंग का समीकरण क्या होगा ये दोनों पार्टियों के बड़े नेता तय करेंगे। ज़रूरत हुई तो बीजेपी अमित शाह भी यहां आएंगे।

दूसरी ओर बीजेपी की सीटों की संख्या में 2014 चुनाव के मुकाबले कमतर होने के एक दिन बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक कार्टून पोस्ट करके बीजेपी पर निशाना साधा। इस कार्टून में एक बाघ (शिवसेना पार्टी चिह्न) को दिखाया गया है, जिसने घड़ी (एनसीपी चुनाव चिह्न) का एक लॉकेट पहना हुआ है और कमल (बीजेपी पार्टी चिह्न) को सूंघ रहा है। पोस्ट का शीर्षक ‘बुरा ना मानो दिवाली है’ दिया गया है।
यह भले ही मजाक में लिखा गया हो लेकिन इससे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के उस बयान की याद ताजा हो जाती है कि जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस साथ आएं। चव्हाण ने गुरुवार को ‘रोचक संभावना’ की बात की थी कि बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस साथ आएं।
बता दें कि 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी ने 105 सीटें जीती हैं जबकि शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। एनसीपी 54 सीटों पर जबकि कांग्रेस 44 सीटों पर जीती है। 2014 विधानसभा चुनाव की तुलना में शरद पवार की एनसीपी की सीटें बढ़ी हैं जबकि बीजेपी की सीटें कम हुई हैं। तब बीजेपी को 122, शिवसेना को 63, कांग्रेस को 42 और एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं।

मुंबई के वर्ली में लगे ‘भावी मुख्यमंत्री आदित्य ठाकरे’ के बैनर

इस बीच शुक्रवार को शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के प्रथमपृष्ठ पर एक बड़ा शीर्षक था, जिसमें दावा किया गया था कि उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना के पास महाराष्ट्र में सत्ता की चाबी है। शिवसेना ने सामना में चुनाव के नतीजों को ‘महाजनादेश’ मानने से साफ इनकार कर दिया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव से पहले ‘महाजनादेश यात्रा’ की थी। सामना के संपादकीय में कहा गया है, ‘अति नहीं, उन्माद नहीं वरना समाप्त हो जाओगे, ऐसा जनादेश ईवीएम की मशीन से बाहर आया।’
संपादकीय में कहा गया है कि गठबंधन को जीत तो मिली है लेकिन सीटें कम हुई हैं। वहीं, कांग्रेस-एनसीपी मिलकर 100 सीटों तक पहुंच गईं। एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है।