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मुंबई: कोरोना काल में भी टाटा स्मारक अस्पताल बना मरीजों का मसीहा!

मुंबई: एक तरफ जहां कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण मुंबई सहित महाराष्ट्र के तमाम अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल दिख रहा है, वहीं टाटा स्मारक केंद्र कैंसर पीड़ितों के लिए वरदान साबित हुआ है। परेल स्थित टाटा स्मारक अस्पताल में प्रबंधन, डॉक्टर्स और नर्सों ने दिन-रात अथक परिश्रम कर कैंसर पीड़ितों की न केवल देखभाल की, बल्कि निर्धारित लक्ष्य से अधिक ऑपरेशन भी किया, क्योंकि कैंसर पीड़ितों और डायबिटीज के पीड़ितों को कोविड-19 से अधिक खतरा रहता है, इसलिए भी अधिक सावधानी बरती गई। टाटा स्मारक अस्पताल और एक्टरेट दोनों संस्थानों ने सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियो थेरेपी, पोलिएटिव केयर तथा सभी नए नैदानिक जांच जारी रखा।
कोरोना महामारी के दौरान जो मरीज महानगर के किसी भी क्षेत्र में फंस गए थे उनको गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था किया। इस दौरान धर्मार्थ संगठनों, स्वयंसेवी संस्थानों एवं डोनर्स के सहयोग से कैंसर पीड़ितों के आवास भोजन व परिवहन की व्यवस्था की गई।
महानगर के बाहर से आने वाले, सड़कों पर सोने वाले कैंसर मरीजों को घाटकोपर के सर्वोदय अस्पताल, उत्कर्ष शेल्टर होम खारघर, होटल जेट- इंटरनेशनल अंधेरी, आहूजा कम्युनिटी हाल बांद्रा में रहने की व्यवस्था की गई।
वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी एवं अंतर्राष्ट्रीय मरीज सलाहकार एस एच जाफरी ने व्यक्तिगत रूप से उप महाप्रबंधक मध्य रेलवे से मिलकर कैंसर पीड़ितों को रेल मार्ग से उनके गांव भेजने की व्यवस्था की। टाटा स्मारक अस्पताल के निदेशक डॉ आर ए बड़वे, महाप्रबंधक रेलवे, थाना प्रभारी रघुवंशी बाईकुला तथा एस एच जाफरी के समन्वय से यह संभव हो सका। टाटा अस्पताल के कई कर्मचारी कोरोना वायरस पाज़िटिव भी हो गए थे, मगर वे कोरोना को मात देकर पुन: अपने कर्तव्य पथ पर चल पड़े और मरीजों की देखभाल किए। इस वैश्विक महामारी के दौरान भी टाटा स्मारक अस्पताल कैंसर पीड़ितों के लिए समर्पितभाव से निरंतर अपने दायित्व को निभाता रहा जिसकी भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है।