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मुंबई: बिग-बी ने मुंबई में फंसे मजदूरों को विमान से भेजा यूपी!

मुंबई: कोरोना काल में फंसे श्रमिकों को बॉलीवुड के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन ने बड़ा तोहफा दिया है। उन्होंने 187 कामगारों को बुधवार को विमान से गोरखपुर भिजवाया है।
अमिताभ ने हाजी अली ट्रस्ट के सहयोग से मुंबई में फंसे 187 श्रमिकों को इंडिगो के बोइंग विमान से बुधवार को गोरखपुर भिजवाया। गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंचे श्रमिक जब बाहर निकले तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।

वाराणसी एयरपोर्ट पर अपने परिवार के साथ कमलेश वर्मा

सूत्रों के मुताबिक, अमिताभ बच्चन और हाजी अली ट्रस्ट ने न केवल गोरखपुर, बल्कि यूपी के कुछ और भी शहरों के मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए विमान का खर्च उठाया है।
प्रवासी श्रमिकों ने कहा कि अमिताभ बच्चन की वजह से न केवल वे अपने घर पहुंच गए, बल्कि उन्हें जहाज में बैठकर यात्रा करने का मौका भी मिला। सभी मजदूर निर्धारित समय पर बुधवार को मुंबई एयरपोर्ट पर चार्टर विमान में सवार हुए और गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंचे। विमान में सवार सभी श्रमिकों को ग्लब्स, सैनिटाइजर और खाने-पीने का सामान भी दिया गया था। विमान का पूरा खर्च अमिताभ बच्चन की टीम ‘मिशन मिलाप’ और मुंबई के हाजी अली ट्रस्ट ने उठाया।
चार्टर विमान से गोरखपुर पहुंचे मोहम्मद तौकीद ने अपनी खुशी का इजहार करते हुए बताया कि उन्होंने ट्रेन से आने का काफी प्रयास किया लेकिन जगह नहीं मिली। इसके बाद महानायक अमिताभ बच्चन के ट्रस्ट के बारे में पता चला। वहां पहुंचकर उन्होंने घर आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। रजिस्ट्रेशन के बाद आठ जून को फोन आया कि 10 जून को गोरखपुर जाने के लिए विमान का इंतजाम हो गया है, तैयारी कर लें।
तौकीद ने बताया कि घर पर ही गाड़ी आ गई और उससे वह मुंबई एयरपोर्ट पहुंच गए। वहां विमान में बैठे और दो घंटे में वह गोरखपुर आ गए। तौकीद ने बताया कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह विमान से भी यात्रा कर पाएंगे। आज वह बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि जहाज से उनके साथ काम करने वाले और आठ साथी भी गोरखपुर पहुंच गए।
एयरपोर्ट डायरेक्टर एके द्विवेदी ने बताया कि विमान में ज्यादातर प्रवासी कामगार थे। वह उस वक्त कुशीनगर में थे मगर मुंबई से इंडिगो के बोइंग विमान के लैंड करने की खबर मिली। जावेद नामक एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि उनके रिश्तेदार मुंबई की फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन में काम बंद होने के बाद वे घर लौटना चाहते थे मगर इंतजाम नहीं हो पाया। उनके सुपरवाइजर ने एक दिन पहले उन्हें बताया कि उन्हें बुधवार की सुबह विमान से गोरखपुर भेजा जाएगा।

एक तरह से कहा जाये तो बॉलीवुड के महानायक (बिग-बी) यानी अमिताभ बच्चन अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। कोरोना संकट के इस दौर में मुंबई में फंसे यूपी के 720 श्रमिकों को 4 उड़ानों से बुधवार को यूपी भेज दिया। वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर में 4 उड़ानों से प्रत्येक में 180-180 श्रमिक आए। वाराणसी में सबसे ज्यादा 2 उड़ानों से 354 प्रवासियों को महाराष्ट्र से लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर छोड़ा गया। अमिताभ ने कुछ संगठनों की मदद से प्रवासी श्रमिकों के किराए का पूरा पैसा खुद दिया। सभी के चेहरे पर अपने शहर पहुंचने का सुकून साफ झलक रहा था।

आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रवासियों की कहानी, उनकी जुबानी…
यूपी में भदोही के रहने वाले कमलेश वर्मा इलेक्ट्रिशियन हैं। वे मुंबई में काम करते हैं। लॉकडाउन में उनका काम ठप हो गया। पत्नी, चार बच्चे और बुजुर्ग मां भी साथ थीं। कमलेश बताते हैं कि 25 मार्च को जब लॉकडाउन लगा तो सोचा कि कुछ दिन बाद सब-कुछ सामान्य हो जाएगा। लेकिन, फिर तो हालात बिगड़ते चले गए। बचत खत्म हो चुकी थी। राशन भी खत्म हो चुका था। जैसे-तैसे परिवार का पेट भर रहा था। कुछ लोग मुंबई में फंसे लोगों को वापस यूपी भेजने के लिए डिटेलिंग कर रहे थे। मेरी सेटिंग नहीं थी। किसी तरह जुगाड़ बैठा तो 7 लोगों के 9 हजार देकर वापसी का इंतजाम हो पाया। बाद में पता चला कि अमिताभ बच्चन जी ने एक भी पैसा नहीं लिया है। फिर भी कोई बात नहीं। अमिताभ जी मदद नहीं करते तो कभी घर नहीं आ पाते। वैसे जहाज से आने में एक टिकट का ही 5 से 7 हजार लग जाता है।

बिग बी का एहसान कभी भूल नहीं पाऊंगा
भदोही के ज्ञानपुर के रहने वाले संतोष जायसवाल मुंबई में ऑटो चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन, लॉकडाउन में उनका रोजगार छिन गया। पत्नी, दो बच्चों के खाने का इंतजाम करने में वह कर्जदार हो चुके हैं। मजबूरी में बाहर निकलना पड़ता था तो डर रहता था कि कहीं मेरे बच्चे मेरी वजह से बीमार न हो जाएं। अमिताभ जी का एहसान जिंदगी भर नहीं भूला पाऊंगा। हर गरीब की दिल की दुआ उनको लगेगी। असली हीरो वही हैं।

हमें यहीं रोजगार मिले तो कभी लौटकर नहीं जाऊंगी
गोरखपुर की रहने वाली आशा मुंबई में शॉपिंग मॉल में काम करती थीं। लेकिन, लॉकडाउन के चलते मॉल बंद हुए तो आशा बेरोजगार हो गईं। वह अपनी कमाई से माता-पिता, भाई-बहनों का खर्च उठाती थीं। लेकिन, बेरोजगारी से वह मजबूर हो गईं। आशा कहती हैं कि टिकट के पैसे भी नहीं थे। अमिताभ बच्चन जी के लोगों ने संपर्क किया और मुझे यहां तक फ्री में पहुंचाया। पैसे होने के बावजूद हजारों लोग वापस घर नहीं आ पा रहे हैं। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं। अगर रोजगार यहीं मिल जाए तो अब मुंबई कभी नहीं जाऊंगी।

पति से कहूंगी कि गांव में रोजगार देख लें, अब मुंबई नहीं जायेंगे
वाराणसी के मुरधा बाजार की रहने वाली प्रियंका के पति मुंबई में फैक्ट्री में कामगार हैं। अनलॉक 1 में वहां सभी बाजार और फैक्ट्रियां खोल दी गई हैं। लेकिन सामान काफी महंगे हो गए हैं। आमदनी से ज्यादा खर्च हो रहा था। भविष्य को लेकर बहुत सारी चिंताए थीं। मगर, भगवान पर विश्वास था कि कोई मदद मिलेगी। अमिताभ बच्चन को दिल से दुआ की उन्होंने हमको हमारे गावं पहुंचा दिया। मेरे साथ एक भांजी भी वही रहती थी। पति से बोलूंगी कि गांव में ही कोई रोजगार देख लें।

किराए के लिए सेठ बना रहा था दबाव, खाने के भी लाले थे
जौनपुर के रहने वाले राजेश कुमार कई सालों से मुंबई में ऑटो चलाते थे। वे बताते हैं कि मेरा वहां रोज खाने कमाने वाला जीवन था। 8 महीनों से वहीं था। रोज यही सोचता था कि कुछ हो न जाए, नहीं तो परिजन मिल न पाएंगे। पैसे भी खत्म हो गए। किराए के लिए लगातार सेठ दबाव बनाता रहता। घर वापसी के किराए के लिए भी पैसे नहीं थे। अमिताभ जी को दिल से दुआ है। उन्होंने गरीबों की दिल की बात सुन ली। पहली बार प्लेन से सफर किया।

पहली बार प्लेन में बैठा, यह जीवन में यादगार रहेगा
जौनपुर के विनोद तिवारी करीब 12 सालों से मुंबई में रहकर टैक्सी चलाते थे। विनोद बताते हैं कि यहां एयरपोर्ट पहुंचा तब जान में जान आई। कोरोना वायरस के चलते महाराष्ट्र के हालत बहुत ज्यादा खराब हैं। काम-धंधा सब चौपट हो गया। खुद का खर्च जैसे-तैसे चला रहा था। गांव में पत्नी और बच्चों को भी खर्च नहीं भेज पा रहा था। हजारों रुपए का कर्जा हो चुका है। मेरे पास ट्रेन का किराया भी नहीं था। वहां डर लग रहा था कि कुछ हो गया तो अपने भी नहीं पहुंच पाएंगे। लेकिन बिग बी ने हमारी मदद की। पहली बार प्लेन में बैठा, वह भी फ्री में। यह पल जीवन भर याद रहेगा।