उत्तर प्रदेशब्रेकिंग न्यूज़

यूपी के मेरठ में हाईवोल्टेज करंट की चपेट में आई कांवड़ियों की गाड़ी; पांच की मौत, 5 घायल!

मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में शनिवार देर शाम कांवड़ियों के एक समूह को ले जा रहे एक वाहन के नीचे लटक रही हाईटेंशन लाइन से टकरा जाने के कारण करंट लगने से पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए। घटना मेरठ के भवनपुर के राली चौहान गांव की है, जहां कांवड़िये हरिद्वार में गंगा नदी से जल लेकर लौट रहे थे तभी हाईवोल्टेज (11केवी पॉवर लाइन) करंट वाहन में प्रवाहित हो गया। झटका लगने के बाद श्रद्धालु नीचे गिर गए। स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और बिजली आपूर्ति बंद करने के लिए पावर स्टेशन को फोन किया।

मेरठ के डीएम दीपक मीणा ने बताया कि 10 कांवडि़यों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनमें से पांच की इलाज के दौरान मौत हो गई है, मामले की जांच जारी है।

घटना के बाद मची चीख पुकार के बाद खबर मिलते ही डीएम, एसएसपी मौके पर पहुंच गए। आक्रोशित कावड़ियों ने जाम लगाकर हंगामा किया। विद्युत विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही का बड़ा आरोप लगाया गया। स्थानीय लोगों का समूह भी मौके पर जमा हो गया और प्रदर्शन किया। उन्होंने घटना को लेकर कार्रवाई की मांग की। परिस्थिति के मद्देनजर कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंची है।

मौके पर पहुंचे सीओ देवेश प्रताप चौहान ने बताया कि उन्हें घायल कावड़ियों ने बताया था कि उन्होंने विद्युत विभाग के जेई से कहा था कि वो कांवड़ लेकर आ रहे हैं। 11केवी की लाइन से बिजली सप्लाई बंद कर दी जाए। जेई ने कहा कि बिजली कट गई है। इसके बाद युवक कांवड़ लेकर आए, लेकिन बिजली कटी नहीं थी और यह दुःखद हादसा हुआ है। इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे गावं में मातम पसरा हुआ है महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल है।

बता दें कि कांवड़ यात्रा शिवभक्तों की वार्षिक तीर्थयात्रा है। लाखों तीर्थयात्री गंगा नदी से जल लाते हैं और इसे अपने स्थानीय शिव मंदिरों या विशिष्ट मंदिरों में चढ़ाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर तक अपने कंधों पर ले जाते हैं। तीर्थयात्री, जिन्हें कांवड़िया कहा जाता है, केसरिया पोशाक पहनते हैं और अक्सर भक्ति प्रदर्शित करते हुए नंगे पैर चलते हैं। कांवड़ यात्रा को लेकर शिवभक्तों में खासा उत्साह देखने को मिलता है।

कैसे शुरू हुई कांवड़ यात्रा की परंपरा?
मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। परशुराम गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लेकर आए थे और यूपी के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’ का गंगाजल से अभिषेक किया था। उस समय सावन मास ही चल रहा था, इसी के बाद से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।