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यूपी पुलिस को विकास दुबे के दो सहयोगियों की ट्रांजिट रिमांड मिली

विकास दुबे के साथ अरविंद उर्फ गुड्डन त्रिवेदी (फाइल फोटो)

ठाणे: उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर में ढेर होने के बाद पुलिस ने उसके गुर्गों की धरपकड़ तेज कर दी है. ठाणे की एक अदालत ने सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को कुख्यात अपराधी विकास दुबे के दो सहयोगियों की चार दिन की ट्रांजिट रिमांड प्रदान की. इन्हें दो दिन पहले ही ठाणे में गिरफ्तार किया गया था. महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने शनिवार को बताया कि 11 जुलाई को उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि 8 पुलिसकर्मियों की हत्या मामले का एक वांछित (वॉन्टेड) आरोपी छिपने के लिए ठिकाने की तलाश में ठाणे में है. इसके बाद पुलिस सतर्क हो गई थी. गुड्डन त्रिवेदी ने ये माना है कि वो यूपी के राज्यमंत्री संतोष शुक्ला के मर्डर में विकास दुबे के साथ था. मुंबई में वो गलत तरीके से आया था और पूछताछ में झूठ बोल रहा था. कड़ाई से पूछताछ में उनसे अपनी असली पहचान बताई है.

ठाणे के ढोकली इलाके की एक चॉल से महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) ने शनिवार को अरविंद उर्फ गुड्डन त्रिवेदी (46) और उसके चालक सुशीलकुमार उर्फ सोनू तिवारी (30) को गिरफ्तार किया था.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने दोनों को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ए बी कादियान के समक्ष पेश किया, जिन्होंने 16 जुलाई तक की ट्रांजिट रिमांड प्रदान की. साथ ही आदेश दिया कि दोनों को उत्तर प्रदेश ले जाने से पहले उनकी कोरोना वायरस की जांच की जाए.

बता दें कि कानपुर के विकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले मुख्य आरोपी विकास दुबे का शुक्रवार को एनकाउंटर कर दिया गया. इससे पहले उसके 5 साथियों को मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया था.

विकास दुबे एनकाउंटर पर याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज
विकास दुबे एनकाउंटर मामले में नंदिता भारती की ओर से हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) में यूपी सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई था. इस याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

याचिका में याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि कोर्ट आयोग बनाकर सिटिंग जज या रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच कराए. वहीं, इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अडिशनल ऐडवोकेट जनरल विनोद कुमार शाही ने कोर्ट को बताया कि रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन कर दिया गया है. सीनियर आईएएस की अध्यक्षता में एसआईटी बना दी गई है और जांच भी शुरू हो गई है.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस करुणेश पवार ने याचिकाकर्ता से कहा, एसआईटी और आयोग से जांच जारी है. आपकी मांगें मानी जा चुकी हैं. ऐसे में यह याचिका खारिज की जाती है.