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शरद पवार बोले- राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बन सकता है तो मस्जिद के लिए क्यों नहीं?

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने एक नया शिगूफा छोड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाया जा सकता है तो मस्जिद के लिए क्यों नहीं?
बीजेपी ने इस बयान को लेकर शरद पवार पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया है। शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र में बीजेपी को पटखनी देने वाले एनसीपी नेता शरद पवार ने अब उत्तर प्रदेश की राह पकड़ ली है। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की है। इसके साथ ही उन्होंने बाबरी मस्जिद के लिए ट्रस्ट क्यों नहीं? कहकर नए विवाद को हवा दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की एक तरफ दिल्ली में जहां बैठक हुई वहीं दूसरी तरफ एनसीपी नेता शरद पवार ने मस्जिद के लिए भी ट्रस्ट की मांग करके एक नया विवाद खड़ा कर दिया। शरद पवार लखनऊ में अपनी पार्टी के राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे।
शरद पवार ने कहा कि अगर राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बन सकता है तो मस्जिद के लिए क्यों नहीं? इस पर बीजेपी का कहना है मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए श्री राम की बाबर से तुलना करना ठीक नहीं है।
राम मंदिर के लिए ट्रस्ट का गठन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया है, जबकि कोर्ट ने मस्जिद के लिए ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है। इसके बावजूद शरद पवार का इस तरह सवाल उठाना मुस्लिमों के प्रति उनकी चिंता है या नई राजनीतिक चाल?
राजनैतिक विश्लेषक विश्वनाथ सचदेव का कहना है कि चिंता तो ये है कि मुसलमानों में यह अहसास होना चाहिए कि उन्हें भी कुछ मिल रहा है। अगर अयोध्या के पास मस्जिद बन रही है तो कैसे बनेगी, इसकी एक संतुष्टि उन्हें मिल जानी चाहिए। लेकिन राजनीतिक उद्देश्य तो जुड़े होते ही हैं। आज के दौर में जरूरी है कि राजनीति को इग्नोर न किया जाए। हर राजनीतिक पक्ष अपने को मजबूत बनाने की कोशिश में है। अगर शरद पवार ऐसा सोचते हैं कि मुसलमानों का समर्थन उन्हें मिल सकता है तो उसमें गलत क्या है?
सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर देश भर में मुस्लिम समाज आंदोलन कर रहा है लेकिन एक ऐसे कद्दावर नेता की कमी खल रही है जो मोदी की टक्कर का हो। महाराष्ट्र में जिस तरह शरद पवार ने शिवसेना को साथ लेकर बीजेपी को किनारे लगाया है उससे पवार में उन्हें एक उम्मीद की किरण दिखाई दे सकती है। शरद पवार भी इस बात को समझते हैं। उनका यह बयान उसी तरफ बढ़ता राजनीतिक कदम हो सकता है।