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शिंदे गुट को मिला ‘दो तलवार और एक ढाल’ वाला चुनाव चिन्ह…

मुंबई: महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ को चुनाव आयोग ने सिंबल आवंटित कर दिया है। शिंदे गुट को आयोग ने ‘दो तलवारें और एक ढाल’ वाला चुनाव चिन्ह दिया है। उन्होंने आयोग को अपनी पंसद के तीन चुनाव चिह्नों की सूची मंगलवार को सौंपी थी। आयोग ने चुनाव चिह्न के लिए पार्टी द्वारा शुरुआत में सौंपी गई सूची को खारिज कर दिया था। हालांकि, उन्होंने दूसरी बार तीन सिंबल पीपल का वृक्ष, तलवार और सूरज सौंपे थे लेकिन आयोग ने उन्हें ढाल के साथ वाली दो तलवारों वाला सिंबल आवंटित किया।
आयोग ने सोमवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को ‘मशाल’ चुनाव चिह्न आवंटित किया था। उसने ठाकरे गुट के लिए पार्टी के नाम के रूप में ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम आवंटित किया, जबकि एकनाथ शिंदे के गुट को ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) नाम आवंटित किया गया, लेकिन शिंदे खेमे के चुनाव चिह्न के रूप में ‘त्रिशूल’, ‘गदा’ और ‘उगते सूरज’ को खारिज कर दिया था। ठाकरे गुट ने भी त्रिशूल एवं उगते सूरज को चुनाव चिह्न के रूप में अपनी पसंद बताया था।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए शिवसेना के दोनों गुटों को पार्टी के नए चुनाव चिह्न और नाम को मंजूरी दे दी है।

बालासाहेब ठाकरे का नाम हमें मिला है, वह कौन हैं मुझे नहीं पता? आदित्य ठाकरे
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी को मिले नये नाम को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि ‘बालासाहेब ठाकरे’ का नाम हमें मिला है। उन्हें जिन ‘बालासाहेब’ का नाम मिला है, वह कौन हैं मुझे नहीं पता, क्योंकि वह कहीं से कुछ भी चुरा लेते हैं।

हर घर में ले जाएंगे ‘मशाल’
आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि नया प्रतीक, नया नाम ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ हमें उद्धव बालासाहेब ठाकरे पर बेहद गर्व है। उन्होंने महाराष्ट्र में हजारों लोगों की जान बचाकर मुख्यमंत्री के रूप में काम किया है। हम एक सच्चे ईमानदार सरकार रहे हैं, लोगों के लिए काम कर रहे हैं। आदित्य ने कहा, हर कोई जानता है कि उन्होंने कैसे काम किया है। इसमें हिंदूहृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे का भी नाम है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘मशाल’ ऐसी चीज है जिसे हम हर घर में गर्व के साथ ले जाएंगे।
एकनाथ शिंदे गुट को ‘बालासाहेबांची शिवसेना’ नाम तो मिल गया, लेकिन नाम में ठाकरे उपनाम शामिल न होने के चलते विरोधी गुट को सवाल करने का मौका मिल गया है। उद्धव गुट की शिवसेना नेता और पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर ने सवाल किया कि उनके बालासाहेब कौन हैं? क्या वह बालासाहेब थोरात हैं या फिर बालासाहेब विखे पाटील या बालासाहेब निंबालकर? कहीं, बालासाहेब शिर्के तो नहीं है? आखिर एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना किसकी है? ठाकरे उपनाम के बिना बालासाहेब का नाम पूरा नहीं होता। उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे नाम से पता चलता है कि शिवसेना किसकी है।
वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना केवल कांग्रेस और एनसीपी के आश्रय की वजह से जीवित है। उद्धव ने मुख्यमंत्री पद पाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के विचार को स्वीकारा और अपनी पार्टी और कार्यकर्ताओं को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है।