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शिवसेना किसकी? अब 5 सदस्यीय संविधान बेंच के समक्ष होगी सुनवाई

मुंबई/नयी दिल्ली: शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच चल रहे विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने 23 अगस्त को बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला 5 जजों की संविधान बेंच को सौंप दिया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि संविधान बेंच तय करेगी कि स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित होने पर भी क्या वह विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई कर सकते हैं। संविधान बेंच के समक्ष यह मामला 25 अगस्त को लिस्ट होगी।
चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान बेंच यह तय करेगी कि शिवसेना के चुनाव चिह्न पर आयोग अभी अपनी सुनवाई जारी रखे या नहीं, क्योंकि आखिरकार चुनाव चिन्ह पर फैसला आयोग को ही लेना है, लेकिन 25 अगस्त की सुनवाई तक आयोग इस प्रक्रिया को रोके रखे। पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र और उसमें चुनाव आयोग की भूमिका पर भी संविधान बेंच विचार करे।

इस तरह चली सुनवाई…
मामले पर सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने अयोग्यता को लेकर स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया को पूरा करने से जुड़े कई बिंदुओं को रखा था और उन पर विस्तृत सुनवाई की मांग की थी। साल्वे ने कहा था कि जब तक विधायक पद पर है, तब तक वह सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने का अधिकारी है। वह पार्टी के खिलाफ भी वोट करे तो वह वोट वैध होगा। तब चीफ जस्टिस ने पूछा था कि क्या एक बार चुने जाने के बाद विधायक पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता। वह सिर्फ पार्टी के विधायक दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है।

वहीँ उद्धव गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मामला संविधान पीठ को मत भेजें। सिब्बल ने कहा था कि जो विधायक अयोग्य ठहराए जा सकते हैं, वह चुनाव आयोग में असली पार्टी होने का दावा कैसे कर सकते हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि ऐसा करने से किसी को नहीं रोका जा सकता।
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील अरविंद दातार ने कहा था कि अगर हमारे पास मूल पार्टी होने का कोई दावा आता है, तो हम उस पर निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य हैं। दातार ने कहा था कि विधानसभा से अयोग्यता एक अलग मसला है। हम अपने सामने रखे गए तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हैं।

उद्धव ठाकरे बोले- ‘महाविकास आघाड़ी’ साथ मिलकर काम करेगी
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि ‘महाविकास आघाड़ी’ साथ मिलकर काम करेगी। उन्होंने कहा कि इस समय शिवसेना संकट के दौर से गुजर रही है लेकिन यह संकट कोरोना के संकट से बड़ा नहीं है। महाविकास आघाड़ी ने साथ मिलकर कोरोना जैसे संकट का सामना किया था, जब सभी लोग घर में दुबके बैठे थे। लेकिन किसी भी तरह का अनुभव न होते हुए भी महाविकास आघाड़ी सरकार ने इस संकट का डटकर सामना किया और कोरोना के संकट से राज्य को उबारा था।
उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार विधानभवन में आयोजित महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों की बैठक में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि आज महाविकास आघाड़ी की बैठक में महत्वपूर्ण मुद्दों पर बैठक हुई है, इसकी जानकारी मीडिया को मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी बहुत जल्द अपनी नीतियां साफ करेगी और देश में लोकशाही की रक्षा के लिए अहम काम करेगी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि किसी भी कीमत पर तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि इस बैठक में महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों के नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की है। आगामी चुनाव साथ मिलकर लड़ने के संबंध में भी चर्चा की गई है। इस संबंध में बहुत जल्द तीनों सहयोगी दल के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।