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शुरू हुई योगी सरकार 2 के भव्य शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी, सोनिया-अखिलेश-मायावती को भी न्योता..

लखनऊ,(राजेश जायसवाल): उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद अब योगी आदित्यनाथ एक बार फिर सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं. यहां 35 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया है. वे होली के बाद 25 मार्च को शपथ ले सकते हैं. इस शपथ समारोह को भव्य बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई है. लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम में ये समारोह रखा जाएगा.
बताया जा रहा है कि इस शपथ समारोह में 45 हज़ार लोग शामिल हो सकते हैं. 200 से ज़्यादा वीवीआईपी की एक लिस्ट भी तैयार कर ली गई है. खबर है कि योगी के शपथ समारोह में विपक्ष के नेताओं को भी निमंत्रण दिया जाएगा. सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती समेत विपक्ष के कई नेताओं को निमंत्रण भेजा जाएगा. इस सबके अलावा उन प्रदेश भर से लाभार्थियों को भी शामिल किया जाएगा जिन्हें केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों से फायदा पहुंचा है. सबकी नज़रे अब शपथ ग्रहण पर हैं.

शपथ समारोह से पहले नई सरकार को लेकर दिल्ली में मंथन जारी है. आज दिल्ली बीजेपी दफ्तर में एक बड़ी बैठक हुई है. सीएम योगी से लेकर अध्यक्ष जेपी नड्डा तक, कई दिग्गज मौजूद रहे हैं और सभी ने नई सरकार और उसके संभावित मंत्रियों पर विस्तार से चर्चा की है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्री के अलावा करीब 70,000 से अधिक दर्शक शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हों सकते हैं.

सूत्रों का दावा है मुख्यमंत्री योगी के साथ 20 से ज्यादा कैबिनेट और लगभग इतने ही स्वतंत्र प्रभार व राज्य मंत्री शपथ ले सकते हैं. हालाकि, इसकी आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं हो सकी है. बताया जा रहा है कि सरकार में 50 फीसदी मौजूदा मंत्रिमंडल को तरजीह मिलने की संभावना है. साथ ही 20 से ज्यादा नए विधायकों को भी मंत्रीमंडल में शामिल किया जायेगा.

जानें- योगी आदित्यनाथ का सियासी सफर
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में पांच जून 1972 जन्में अजय सिंह बिष्ट गोरखपुर पहुंचकर योगी आदित्यनाथ बन गए. देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के सिंहासन पर योगी आदित्यनाथ दूसरी बार विराजमान होने जा रहे हैं. महज 26 साल की उम्र में संसद पहुंचने वाले योगी आदित्यनाथ 45 साल की उम्र में यूपी के सीएम बने. 1998 में योगी ने गोरखपुर लोकसभा सीट से पहली बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और वो जीत गए.
12वीं लोकसभा चुनाव में वो सबसे कम उम्र के सांसद थे, उस समय उनकी उम्र केवल 26 वर्ष की थी. 1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे. 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लोकसभा सीट से लगातार 5 बार सांसद चुने गए हैं.
योगी आदित्यनाथ ने रविवार, 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. शपथ समारोह लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में हुआ. इनके साथ दो उप-मुख्यमंत्री भी बनाये गए. यूपी के राजनीतिक इतिहास में पहली बार दो उप-मुख्यमंत्री बने थे. वर्तमान राज्यपाल रामनाईक ने योगी आदित्यनाथ के सीएम और केशव प्रसाद मौर्य तथा डॉक्टर दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री पद तथा 44 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी.
योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के सामान्य राजपूत परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट और माता का नाम सावित्री देवी है. योगी ने 1989 में ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं पास की और 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की पढ़ाई पूरी की. इसी कॉलेज से उन्होंने एमएससी भी की. छात्र जीवन में ही वो राममंदिर आंदोलन से जुड़ गए थे.
90 के दशक में राममंदिर आंदोलन के दौरान ही योगी आदित्यनाथ की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम हुई. इसके कुछ दिनों बाद योगी अपने माता-पिता को बिना बताए गोरखपुर जा पहुंचे और जहां संन्यास धारण करने का निश्चय लेते हुए गुरु दीक्षा ले ली. महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के रहने वाले थे. जिन्होंने अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ बनाने का काम किया.
गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया. गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे, उसी सीट से योगी 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे और फिर लगातार 2017 तक पांच बार सांसद रहे.

सियासत में कदम रखने के बाद योगी आदित्यनाथ की छवि एक कठोर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर उभरी. योगी ने सांसद रहते हुए गोरखपुर जिले को अपने अंदाज में चलाने और त्वरित फैसलों से सबको चकित किया. इसी के चलते योगी के सियासी दुर्ग को न तो मुलायम सिंह का समाजवादी भेद पाया और न ही मायावती की सोशल इंजीनियरिंग काम आई. गोरखपुर में योगी का हिंदुत्व कार्ड ही हावी रहा.

हिंदू युवा वाहिनी बनाई
योगी आदित्यनाथ ने अपनी निजी सेना ‘हिंदू युवा वाहिनी’ का निर्माण किया जो गौ सेवा करने व हिंदू विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए बनाई गई. हिंदू युवा वाहिनी ने गोरखपुर में ऐसा माहौल तैयार किया, जिसके चलते आज तक उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सका. जिसके चलते योगी आदित्यनाथ ने एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छवि बना ली.
योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी खासियतों में एक है कि वह जनता से सीधा संवाद करने में विश्वास रखते हैं. 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो सीएम के लिए कई चेहरे दावेदार थे, लेकिन बाजी ‘योगी’ के हाथ लगी. योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने फैसलों से अपनी राजनीतिक इच्छा को जाहिर कर दिया. हालांकि, प्रदेश में हुए एनकाउंटरों के कारण विपक्ष ने उंगलियां भी उठाईं, लेकिन कानून-व्यवस्था पर सख्त योगी पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं हुआ. कोरोना संकट में सीएम योगी सीधे तौर पर सक्रिय नज़र आए हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता में और भी इजाफा हुआ है.

सीएम योगी पर हो चुका है हमला
7 सितंबर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था. इस हमले में वे बाल-बाल बच गए थे. वहीं आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान गिरफ्तार भी किया गया था, जब मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गई थी.

गांव में रहता है सीएम योगी का परिवार
योगी आदित्यनाथ के पिता फॉरेस्ट रेंजर के पद से 1991 में रिटायर हो गए थे. उसके बाद से वे अपने गांव में रह रहे थे. योगी आदित्यनाथ अपना परिवार छोड़कर गोरखपुर महंत अवैद्यनाथ के पास चले गए थे. सीएम योगी चार भाई और तीन बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. उनके दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं, जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार हैं.