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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नई शर्तों को साथ फिर से गुलजार हो सकेंगे मुंबई में डांस बार..!

मुंबई , आज सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के डांस बार को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अपने फैसले में अदालत ने डांस बार खोलने के लिए लाइसेंस हासिल करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार द्वारा निर्धारित की गई कठोर शर्तों में ढील दी और डांस परफॉर्मेंस के लिए साढ़े पांच घंटे के समय को बरकरार रखा। कोर्ट ने ऑर्केस्ट्रा और डांसरों को टिप देने की अनुमति दी है लेकिन बार के अंदर डांसरों पर पैसे उड़ाने पर प्रतिबंध लगाया है।
न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने महाराष्ट्र के होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य पर प्रतिबंध और महिलाओं की गरिमा की रक्षा संबंधी कानून, 2016 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया है। इसमें सीसीटीवी लगाने की अनिवार्यता और बार रूम तथा डांस फ्लोर के बीच विभाजन जैसे प्रावधान शामिल हैं।
न्यायालय ने डांस बार में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली डांसरों को टिप के भुगतान की तो अनुमति दी परंतु कहा कि उन पर पैसे लुटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थाओं से एक किलोमीटर दूर डांस बार खोलने की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिया।
पीठ ने इन डांस बार के शाम छह बजे से रात साढ़े ग्यारह बजे तक ही कार्यक्रम आयोजित करने की समय सीमा निर्धारित करने संबंधी प्रावधान सही ठहराया है।
अपने फैसले में अदालत ने कहा, डांस बार पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। महाराष्ट्र में साल 2005 के बाद से कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है। इनके लिए नियम बनाए जा सकते हैं लेकिन पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
अदालत ने इस प्रावधान को रद्द कर दिया कि महाराष्ट्र में डांस बार धार्मिक स्थानों और शैक्षणिक संस्थानों से एक किलोमीटर दूर होने चाहिए। अदालत ने सरकार के उस नियम को बरकरार रखा है जिसमें कहा गया है कि बार डांस में काम करने वाली महिलाओं का कांट्रैक्ट होना चाहिए ताकि उनका शोषण न हो। हालांकि बार डांसरों को प्रतिमाह तनख्वाह देने के नियम को खारिज कर दिया है। इसके अलावा अदालत ने उस नियम को भी खारिज कर दिया है जिसमें डांसिग स्टेज पर शराब न परोसने का नियम था।
अदालत ने यह फैसला महाराष्ट्र में डांस बार के लाइसेंस एवं संचालन पर प्रतिबंध लगाने वाले 2016 के महाराष्ट्र कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन पर दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने कहा था कि नया कानून संवैधानिक दायरे में आने के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियों और महिलाओं का शोषण भी रोकता है।
राज्य सरकार के नए अधिनियम को इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समय के साथ अश्लील डांस की परिभाषा भी बदल रही है और ऐसा लगता है कि मुंबई में मोरल पुलिसिंग हो रही है।