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अब सिर्फ गरारा करने से हो जाएगा कोरोना टेस्‍ट, ICMR ने भी दी मंजूरी

मुंबई: राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने कोरोना के टेस्ट का एक ऐसा नायाब तरीका खोज लिया है, जिसमें सिर्फ गरारा करके किसी भी व्यक्ति का सैंपल लिया जा सकेगा। इसके लिए अब गले या नाक में रूई लगी सलाई डालने की जरूरत नहीं रहेगी। कोरोना टेस्ट की इस पद्धति को आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) ने मंजूरी भी प्रदान कर दी है।

क्‍या है स्टेराइल सैलाइन गार्गल टेक्निक?
सीएसआईआर की एक घटक प्रयोगशाला नागपुर स्थित नीरी ने एक ऐसा द्रव्य तैयार किया है, जिसे मुंह में लेकर 15-20 सेकेंड गरारा करके एक शीशी में रख लिया जाता है। गरारा किए इसी द्रव्य को लैब में ले जाकर उसका परीक्षण करने से व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने या न होने का पता चल जाता है। इसे स्टेराइल सैलाइन गार्गल टेक्निक नाम दिया गया है। नीरी का दावा है कि इस पद्धति से टेस्ट करना आसान हो जाएगा।
इसमें सैंपल रखने के लिए सिर्फ एक शीशी एवं द्रव्य की जरूरत पड़ेगी। एवं इसका परिणाम आरटी-पीसीआर टेस्ट जैसा ही विश्वसनीय भी होगा। रुई लगी सलाई के जरिए नाक एवं मुंह से निकाले जाने वाले सैंपल की भांति इसमें स्वैब कम मिलने का खतरा नहीं है। सलाई से निकाले गए सैंपल को लैब तक पहुंचाने जैसी मुश्किल भी इसमें नहीं है। सलाई से लिए जाने वाले सैंपल को एक ट्रांस्पोर्ट मीडिया सोल्यूशन की जरूरत पड़ती है। उसे एक निश्चित तामपान पर ही लैब तक पहुंचाना जरूरी होता है। जबकि स्टेराइल सैलाइन गार्गल टेक्निक में गरारा करके लिया गया नमूना सामान्य तामपान पर भी लैब तक पहुंचाया जा सकता है। यह तकनीक और टेस्टों से सस्ती भी है।
जानकारों का मानना है कि एक सरकारी लैब द्वारा खोजी गई यह पद्धति भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में बहुत कारगर हो सकती है। क्योंकि इस पद्धति से लिए गए नमूनों को एक साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। यह तकनीक संसाधनों की कमी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लाभप्रद हो सकती है। देखा गया है कि अभी प्रचलित एंटीजेन टेस्ट या आरटी-पीसीआर तकनीक में टेस्ट कराने वाला व्यक्ति अक्सर नाक एवं मुंह में रुई लगी सलाई डलवाने से डरने लगता है। जिसके कारण वह टेस्ट करवाने से ही कतरा जाता है। प्रचलित तकनीक महंगी भी है। लेकिन नीरी द्वारा खोजी गई स्टेराइल सैलाइन गार्गल टेक्निक को कोई भी व्यक्ति बिना डरे अपना सकता है, और यह तकनीक सस्ती भी है। इसलिए इसका उपयोग करके कोरोना की जांच का लक्ष्य और बड़ा किया जा सकता है।

बता दें कि देश में लगातार सामने आ रहे कोरोना के नए-नए स्वरूपों के दौर में कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट जल्दी मिल पाना भी एक चुनौती बना हुआ है। यह पद्धति इस समस्या से भी छुटकारा दिला सकती है।