उत्तर प्रदेशदिल्लीशहर और राज्य

PM मोदी की काशी में खुलेगा UP का पहला मदर मिल्क बैंक, 6 महीने तक सुरक्षित रहेगा दूध

वाराणसी, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अब कोई बच्चा मां के दूध से वंचित नहीं रहे, नवजात बच्चों को मां का दूध मिल सके इसके लिए प्रदेश का पहला मदर मिल्क बैंक खुलने जा रहा है। शिशु मृत्यु दर कम करने में मिल्क बैंक अच्छे सहायक हो सकते हैं। इससे नवजात को मां का दूध मिल सकेगा और उनकी जान बचाई जा सकेगी। इसका निर्माण बीएचयू के मॉडर्न मैटरनल ऐंड चाइल्ड हेल्थ विंग में होगा। इसको लेकर कवायद तेज हो चुकी है।
डॉक्टरों के अनुसार, मदर मिल्क बैंक बन जाने से वंचित शिशुओं को मां का दूध मुहैया हो सकेगा। जन्म के समय कमजोर बच्चों के लिए यह वरदान से कम नहीं होगा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष प्रफेसर मधु जैन इसे शिशु स्वास्थ्य की दिशा में एक बड़ा कदम और सकारात्मक पहल मान रही हैं। उनका कहना है कि मदर मिल्क बैंक के बन जाने से शिशु मृत्युदर को कम किया जा सकेगा। इसके लिए वहां के अधिकारियों, नैशनल हेल्थ मिशन और उस संस्था से बातचीत की जा चुकी है, जो इसमें सहयोग करेगी। मदर मिल्क बैंक के लिए निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
प्रोफेसर मधु जैन ने बताया कि यह मिल्क बैंक प्रसूताओं की काउंसलिंग भी करेगा, ताकि उन्हें बच्चों को स्तनपान कराने के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस पहल का फायदा शिशु मृत्युदर में कमी के रूप में सामने आएगा। मां के दूध में मौजूद पोषक तत्व नवजातों को बीमारियों और संक्रमण से भी बचाते हैं। प्रफेसर जैन ने बताया कि आशा और एएनएम की मदद से गांव-गांव तक यह बात पहुंचाई जाएगी कि मां का दूध शिशु के लिए कितना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि मदर मिल्क बैंक खुल जाने के बाद जो सबसे बड़ी जरूरत होगी वह है मां के दूध की। यह दूध उन माताओं से लिया जाएगा, जिनके बच्चे नहीं बचते, या फिर जिन्हें बहुत अधिक दूध होता है। इस बात के लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा। मदर मिल्क बैंक में इलेक्ट्रिक पंप होता है। इससे डोनर से दूध एकत्र किया जाता है। इस दूध का माइक्रोबायॉलॉजिकल टेस्ट होता है। दूध की गुणवत्ता सही होने पर उसे कांच की बोतलों में लगभग 30 मिलीलीटर की यूनिट बनाकर 0. 20 डिग्री सेंटिग्रेट तापमान पर रख दिया जाता है। बैंक में दूध छह माह तक सुरक्षित रह सकता है।

हर साल दो लाख से ज्यादा बच्चे मां का दूध ना मिलने से मर जाते हैं
यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तैयार जुलाई, 2018 में जारी एक रिपोर्ट ‘कैप्चर द मोमेंट’ बताती है कि जन्म के बाद नवजात को ब्रेस्ट फीडिंग या स्तनपान से वंचित रखना जानलेवा हो सकता है। इन्हीं दो संगठनों द्वारा 2016 में जारी एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत, इंडोनेशिया, चीन, मैक्सिको और नाइजीरिया में अपर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क या मातृ दुग्ध के कारण हर वर्ष 2,36,000 नवजात की मौत हो जाती है। यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बच्चे को मां का दूध न मिलना, उनके लिए जानलेवा हो सकता है। रिपोर्ट की मानें तो शिशुओं को मां का दूध न मिलना एक बड़ी समस्या है। ऐसे बच्चों की तादाद देश में करीब 40 से 41 फीसदी है, जिन बच्चों को पैदा होने के एक घंटे के अंदर मां का दूध (स्तनपान) नसीब होता है। इस तरह के मदर मिल्क बैंक से ऐसी स्थिति में काफी सहायता मिलती है।