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SC से मोदी सरकार को झटका, कृषि कानूनों के अमल पर लगाई अंतरिम रोक

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने साथ ही इस मुद्दे के समाधान के लिए कमिटी गठित करने का आदेश पारित कर दिया है। समस्या के समाधान के लिए अब कमिटी बातचीत करेगी। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों से तीखे सवाल पूछे थे।

केंद्र ने कहा- आंदोलन में खालिस्तानी कर रहे हैं मदद
चीफ जस्टिस ने पूछा हमारे पास एक आवेदन है जिसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन इस प्रदर्शन में मदद कर रहे हैं। क्या अटॉर्नी जनरल इसे मानेंगे या इनकार करेंगे। इसपर अटॉर्नी जनरल जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा हमने कहा था कि प्रदर्शन में खालिस्तानियों की घुसपैठ है। इसपर कोर्ट ने कहा कि ऐसा है तो ऐसे में केंद्र सरकार कल तक हलफनामा दे। जवाब में अटॉर्नी जनरल हम हलफनामा देंगे और आईबी रेकॉर्ड भी देंगे।

…तो अब रामलीला मैदान में होगा प्रदर्शन!
किसान संगठनों के वकील विकास सिंह ने कहा कि किसान प्रदर्शन स्थल से उस जगह जा सकते हैं जहां से प्रदर्शन दिखे। अन्यथा प्रदर्शन का मतलब नहीं रह जाएगा। रामलीला मैदान दिया जाए प्रदर्शन के लिए। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामलीला मैदान या कहीं और पर प्रदर्शन के लिए पुलिस कमिश्नर से किसान इजाजत के लिए आवेदन दे सकते हैं ऐसा हम ऑर्डर करेंगे।

कानून को निलंबित करने की योजना है पर
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि कमिटी इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी। हम कृषि कानून को निलंबित करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन अनिश्चितकाल के लिए नहीं।

पीएम क्यों नहीं करते बात, CJI ने यह कहा
किसान संगठनों की तरफ पेश वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों ने कहा कि कई लोग बातचीत के लिए आए हैं लेकिन मुख्य व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं आए हैं। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम पीएम को बातचीत करने के लिए नहीं कह सकते हैं। वह इस मामले में पार्टी नहीं हैं।

हमारे पास तो ताकत उसके हिसाब से लेंगे ऐक्शन
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून की वैधता को लेकर चिंतित हैं। साथ ही नागरिकों के जीवन और संपत्ति को लेकर भी चिंतित हैं। हम समस्या के समाधान की कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास एक शक्ति है कि हम कानून को निलंबित कर दें और एक कमिटी का गठन करें।

अनिश्चितकाल के लिए करना चाहते हैं प्रदर्शन तो आपकी मर्जी
चीफ जस्टिस ने कहा कि यह कमिटी सबकी सुनेगा। जिसे भी इस मुद्दे का समाधान चाहिए वह कमिटी के पास जा सकता है। यह कोई आदेश नहीं जारी करेगा या आपको सजा नहीं देगा। यह केवल हमें अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। उन्होंने कहा कि हम एक कमिटी का गठन करते हैं ताकि हमारे पास एक साफ तस्वीर हो। हम यह नहीं सुनना चाहते हैं कि किसान कमिटी के पास नहीं जाएंगे। हम समस्या का समाधान करना चाहते हैं। अगर आप अनिश्चितकाल के लिए प्रदर्शन करना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं।

क्या सरकार खुद कानून के अमल पर लगाएगी रोक?
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह सरकार से निर्देश लें कि क्या सरकार खुद कानून के अमल पर रोक लगाने को तैयार हैं।

कोर्ट ने केंद्र को लगाई थी कड़ी फटकार
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि आपने इस मामले को सही से हैंडल नहीं किया। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि आप कानून के अमल पर रोक लगाइए अन्यथा हम लगा देंगे।

एक कमिटी बना सकता है सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा है कि कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का शीघ्र हल निकलना चाहिए। कोर्ट ने सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित भी किया था। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में एक कमिटी बनाने का निर्देश दे सकता है जो इस मसले का हल निकाल सके।

सरकार बोली- जल्दबाजी में नहीं बनाया किसानों का कानून
केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। सरकार ने इसमें कहा है कि कृषि कानूनों को जल्दी में पास नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह जाहिर करने की कोशिश की गई कि कानून जल्दी में पास किया गया है, जबकि ऐसा नहीं है। सरकार ने कहा कि इन कानूनों के लिए दो दशक से बात चल रही थी। ये किसान फ्रेंडली कानून हैं। केंद्र ने कहा कि देश भर के किसान इस कानून से खुश हैं, क्योंकि उन्हें ज्यादा विकल्प दिया गया है और उनका कोई अधिकार नहीं लिया गया है। किसानों के साथ लगातार गतिरोध खत्म करने की कोशिश की गई है।

‘सुप्रीम’ फैसले के बाद रुख तय करेंगे किसान, पीछे नहीं हटेंगे
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर सहित अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को 47 दिन पूरे हो गए। किसानों का रुख बेहद साफ है, वे किसी भी हालत में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान अब भी तीनों नए कृषि कानून को वापस कराने पर अड़े हुए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होता, वे मुड़कर पीछे नहीं देखेंगे। आठवें दौर की बातचीत के समय भी किसानों के इस रुख के कारण सरकार और किसान संगठनों के बीच नोकझोंक की भी बात सामने आई थी।

सड़क बन चुका है किसानों का घर
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने आरोप लगाया कि सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के अलग-अलग हथकंडे अपना रही है, लेकिन हम उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। हम यहां शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन कर रहे हैं। अपनी लड़ाई जीतकर आगे जाएंगे। किसान पूरी तरह एकजुट हो चुके हैं और उनका आंदोलन यहीं नहीं रुकेगा। किसानों के कई मसले हैं- स्वामीनाथन आयोग और कई ऐसी मांगें जोकि सालों से रुकी हुई हैं, किसान अपनी लड़ाई आगे इसी तरह लड़ता रहेगा। सड़क खाली किए जाने पर भी उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर बैठक में निर्णय लेंगे, लेकिन यह जरूर कहना चाहूंगा कि यह सड़क अब किसानों का घर बन चुका है। यहां इतनी तादाद में किसान मौजूद हैं कि मुझे नहीं लगता कि सरकार हमें कोई ऐसी जगह दे पाएगी, जहां आंदोलन किया जा सके और वहां हर सुविधा हो सके।