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US Election 2020: 32 साल, तीसरा प्रयास, फिर जीता अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव, जानें- भारत के लिए बाइडेन की जीत के मायने

वाशिंगटन: कल शाम तक दुनिया भर की निगाहें अमेरिका चुनाव पर टिकी थीं। जैसे ही जो बाइडेन की जीत पक्की हुई, वैसे ही सभी का इंतजार खत्म हुआ और अमेरिका को नया बिग बॉस मिल गया। 20 जनवरी को शपथ लेने के साथ ही 77 साल के बाइडेन अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति होंगे। जो बाइडेन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बनने वाले हैं, जबकि भारतीय मूल की अमेरिकी कमला हैरिस यूएस की उप राष्ट्रपति बनने वाली है। बाइडेन ने कड़े मुकाबले में मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शिकस्त दी है। बता दें कि बाइडेन 32 साल में तीसरे प्रयास में राष्ट्रपति का चुनाव जीते हैं। पहले 2009 से 2017 तक राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। वे तीन दशक से लगातार अपनी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने की कोशिश करते रहे हैं।

जो बाइडेन की प्राथमकिता कोरोना नियंत्रण और नौकरियां
राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद जो बाइडेन की प्राथमकिता क्या होगी। बाइडेन कल अपनी स्पीच में बता चुके हैं। बाइडेन ने कहा था कि, हम चुनावी नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, काम शुरू करने के लिए इंतजार नहीं कर रहे। पहले दिन से हम कोरोना को नियंत्रित करने के लिए एक योजना लागू करने वाले हैं। देश में दो करोड़ बेरोजगार हैं। लाखों लोग रोजी-रोटी के लिए परेशान हैं। इसे ध्यान में रखते हुए आर्थिक योजना तैयार हैं।

भारत के लिए बाइडेन की जीत के मायने
1. जो बाइडेन ने साल 2006 में अपनी एक स्पीच में कहा था। “मेरा सपना है कि 2020 तक सबसे नजदीकी संबंध वाले दुनिया के दो देशों में अमेरिका और भारत का नाम हो”
2. जो बाइडेन के उपराष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का आधिकारिक तौर पर समर्थन किया था।
3. पाकिस्तान और चीन को लेकर जो बाइडेन का रुख एकदम साफ नहीं है। उनके प्रचार दस्तावेज में कहा गया है “दक्षिण एशिया में किसी तरह का आतंक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता चाहे सीमापार से हो, या कैसा भी।”
4. कमला कश्मीर पर खुलकर बोलती रही हैं। इसलिए आशंका है कि जम्मू-कश्मीर से धारा-370 के मुद्दे पर उनका रुख भारत के नजरिए से उपयुक्त न हो।

  1. भारत में CAA और धारा 370 पर जो बाइडेन का रुख स्पष्ट नहीं है। बाइडेन ने इन दोनों का कभी समर्थन नहीं किया।