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सीएम उद्धव ठाकरे ने साफ कहा कि विधानसभा को भंग करने का कोई प्रस्ताव नहीं: पटोले

मुंबई: कांग्रेस के महाराष्ट्र अध्यक्ष नाना पटोले ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया है कि विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। पटोले की टिप्पणी उन खबरों की पृष्ठभूमि में आई है जिनमें कहा गया है कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम की वजह से विधानसभा को भंग किया जा सकता है।
कांग्रेस नेता पटोले ने उद्धव ठाकरे के हवाले से कहा कि हम सरकार प्रभावी तरीके से चलाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के मद्देनजर मुंबई में हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की है, क्योंकि शिवसेना प्रमुख कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।
पटोले ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे ने जोर देकर कहा है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन मौजूदा संकट से निपट लेगा, और राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
बता दें कि महाविकास आघाडी (एमवीए) में शिवसेना के अलावा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। इससे पहले, शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्विट कर कहा था कि महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम की वजह से विधानसभा को भंग किया जा सकता है।
गौरतलब है कि उद्धव सरकार के मंत्री एवं शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ने बगावत कर महाराष्ट्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। इस बीच, महाराष्ट्र के मंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोरात ने कहा कि (राज्य में पार्टी के कुल 44 में से) 41 विधायक बुधवार को मुंबई में हुई विधायक दल की बैठक में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि तीन अन्य विधायक भी राज्य की राजधानी पहुंच रहे हैं। थोरात ने कहा कि कांग्रेस एकजुट है और सभी 44 विधायक एक साथ हैं।
वहीँ एकनाथ शिंदे ने कहा है कि उनके पास 46 विधायकों का समर्थन है। उन्होंने एक मराठी टीवी चैनल से कहा, मेरे पास (शिवसेना विधायकों की) जरूरत से ज्यादा संख्या है (जिससे विधानसभा में एक अलग समूह बनाया जा सकता है और दलबदल रोधी कानून के प्रावधान भी लागू नहीं होंगे)।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के 55 सदस्य हैं। पार्टी के खिलाफ बगावत करने वाले शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों को सूरत से लेकर एक चार्टर्ड विमान बुधवार तड़के असम के गुवाहाटी शहर पहुंचा है। इस बीच दावा किया गया है कि इन बागी विधायकों ने शिंदे को अपना नेता चुना है। इस प्रस्ताव वाले पत्र पर 34 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। इस पत्र की कॉपी राज्यपाल, विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और विधानसभा सचिव को भेज भी दी गई है।

शिवसेना ने व्हिप जारी किया
महाराष्ट्र में शिवसेना में जारी सियासी घमासान ने राज्य सरकार की स्थिरता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बीच शिवसेना ने अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी किया है। शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने पार्टी के सभी विधायकों को एक पत्र जारी कर उन्हें आज शाम होने वाली एक महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित रहने के लिए कहा है। पत्र में कहा गया है कि यदि कोई अनुपस्थित रहता है तो यह माना जाएगा कि विधायक ने स्वेच्छा से पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है। इस पत्र में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि कोई विधायक उचित कारण और पूर्व सूचना के बिना बैठक से अनुपस्थित रहता है तो उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, उनकी सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

‘वेट एंड वॉच’ में भाजपा
शिवसेना के सबसे ताकतवर नेता और एक जमाने में बालासाहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे के करीबी रह चुके एकनाथ शिंदे की बगावत ने उद्धव सरकार के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। लेकिन शिवसेना के नेता इस बगावत के लिए जिस भाजपा को जिम्मेदार बता रही है वह भाजपा अभी तक इस पूरे मामले में ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा के नेता महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर गहराई से नज़र बनाए हुए हैं। एकनाथ शिंदे के साथ विधायकों की संख्या और उनकी भविष्य की रणनीति, उद्धव ठाकरे की रणनीति, कांग्रेस और खासकर राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार की रणनीति के साथ ही भाजपा की नज़र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के स्टैंड पर भी बनी हुई है, हालांकि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी कोरोना पॉजिटिव होने के कारण अस्पताल में भर्ती हो गए हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि, यह पूरा मामला शिवसेना का आंतरिक मामला है। सत्ता के लिए शिवसेना ने हिंदुत्व का रास्ता छोड़कर, जनादेश का अपमान करके और हमें (भाजपा) धोखा देकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाया था। उन्होंने कहा कि इस अनैतिक और अस्वाभाविक गठबंधन को तो टूटना ही था। यह उद्धव ठाकरे की नाकामी है कि वो अपनी पार्टी तक को संभाल नहीं पाए।
भाजपा नाता के कहा कि अजित पवार प्रकरण में धोखा खा चुकी भाजपा इस बार कोई जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है, इसलिए इस पूरे घमासान की कमान अब तक शिवसेना के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे के हाथ में ही है।
एकनाथ शिंदे शिवसेना के अन्य बागी विधायकों के साथ सूरत के होटल से निकल कर गुवाहाटी पहुंच चुके हैं। शिंदे यह दावा कर रहे हैं कि पार्टी के 55 में से 40 विधायक उनके साथ हैं। वह 7 निर्दलीय विधायकों के भी अपने साथ होने का दावा कर रहे हैं। शिंदे ने उद्धव ठाकरे के साथ फोन पर बातचीत के दौरान वापस आने के लिए अपनी तरफ से कई शर्तें रखी हैं और वो उद्धव ठाकरे के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही एकनाथ शिंदे अपने अगले कदम का ऐलान कर सकते हैं और भाजपा तब तक इस पूरे घटनाक्रम पर पर्दे के पीछे से पैनी नज़रें गड़ाए बैठी है।

महाराष्ट्र में तेजी से बदल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल 4 विधायकों के साथ असम जाएंगे। वह एक चार्टर्ड विमान से सूरत एयरपोर्ट पहुंचे हैं। बता दें कि शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उनके साथ गुवाहाटी में 40 विधायक हैं।

अठावले बोले- महाराष्ट्र में बनने वाली है भाजपा की सरकार!
वहीं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने अपने अंदाज में उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए दावा किया है कि महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनने वाली है।
दरअसल, महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच मोदी सरकार में राज्यमंत्री रामदास अठावले ने निजी समाचार चैनल एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए उद्धव ठाकरे पर चुटकी ली। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा- जिन्होंने बंद कर दिए उद्धव ठाकरे की राजनीति के धंधे, उनका नाम है एकनाथ शिंदे। एकनाथ शिंदे और उनके साथ सभी विधायक हैं बालासाहेब के बंदे, अब वो नहीं रहे हैं अंधे।
आठवले ने आगे कहा कि शिवसेना में यह सब कुछ बहुत पहले से चल रहा था। जब से शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई है, उसके बाद से ही विधायक खुश नहीं थे लेकिन वो अपनी बात कह नहीं पा रहे थे। बालासाहेब ठाकरे का सपना कांग्रेस और एनसीपी के साथ रहने से पूरा नहीं होगा बल्कि वह बीजेपी के साथ रहने से ही पूरा होगा।
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि टूट के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि एक तो हिंदुत्व का मुद्दा था और दूसरा सरकार पर एनसीपी हावी रहती थी। इस कारण से विधायक खुश नहीं थे। बहुत सारे विधायकों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इसके संबंध में पत्र भी लिखा था और कहा था कि शिवसेना को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए।