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जम्मू-कश्मीर: मनोज सिन्हा ने ली उपराज्यपाल की शपथ, कहा- विकास को आगे ले जाना मेरा उद्देश्य

श्रीनगर: मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल (LG) के रूप में शपथ ली। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस ने उन्हें शपथ दिलाई। मुर्मू की जगह बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को नियुक्त गया है, जो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले हैं। 3 बार बीजेपी से सांसद रहे और मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में केंद्रीय राज्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि, अब जम्मू-कश्मीर के राजभवन की उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।

5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे एक साल पूरा हुआ है, इसी बीच बुधवार शाम को अचानक जीसी मुर्मू के इस्तीफे की खबर आई थी। गिरीश चंद्र को अब भारत के नए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के रूप में नियुक्त किया गया है।

5 अगस्त एक महत्वपूर्ण तारीख
शपथ लेने के बाद मनोज सिन्हा ने कहा, कश्मीर भारत का स्वर्ग है, मुझे यहां भूमिका निभाने का अवसर दिया गया है। 5 अगस्त एक महत्वपूर्ण तारीख है। सालों बाद जम्मू-कश्मीर मुख्यधारा में आया है। सालों बाद यहां कई परियोजनाएं शुरू हुईं। मेरी प्राथमिकता उन परियोजनाओं को आगे ले जाना है।

उन्होंने कहा, किसी के खिलाफ कोई पक्षपात नहीं होगा। संवैधानिक शक्तियों का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जाएगा। मैं लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि उनकी वास्तविक शिकायतों को सुना जाएगा और हम समाधान का रास्ता खोजने की कोशिश करेंगे। यहां विकास को आगे ले जाना मेरा उद्देश्य है।

मनोज सिन्हा बीजेपी के बड़े चेहरे
मनोज सिन्हा को एलजी की जिम्मेदारी मिलने के साथ जम्मू-कश्मीर के उच्चस्थ पद पर राजनीतिक एंट्री हुई है। मनोज सिन्हा पूर्व में गाजीपुर से सांसद रहे हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरे हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सिन्हा मंत्री रह चुके हैं और उनके पास रेलवे के राज्यमंत्री और संचार राज्यमंत्री का कार्यभार था। हालांकि, 2019 का लोकसभा चुनाव वो हार गए थे।

बता दें कि इससे पहले जब जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य था तब सत्यपाल मलिक यहां के राज्यपाल थे, लेकिन जब केंद्रशासित प्रदेश बना तो अधिकारी जीसी मुर्मू को भेजा गया। जीसी मुर्मू की गिनती भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास अधिकारियों में होती रही है।

बिहार चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री को बडे़ पद (उपराज्यपाल) से नवाज कर भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है।
पूर्वांचल से रोटी-बेटी के रिश्ते से जुड़े बिहार के भूमिहार समाज को सीधा संदेश देने की कोशिश की गई है। इसके अलावा इस निर्णय को वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए पूर्वांचल में जमीन मजबूत करने की कवायद से जोड़ा जा रहा है।
वर्ष 2017 में यूपी के मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल सिन्हा को जम्मू कश्मीर की नई जिम्मेदारी देकर पार्टी ने यूपी के सियासी समीकरण भी साधे हैं।
तीन दशक से राजनीति में सक्रिय पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की पूर्वांचल के हर वर्ग में स्वीकार्यता है। उत्तर भारत की शिक्षा के बड़े केंद्र बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे मनोज सिन्हा पूर्वांचल के साथ ही बिहार की सियासत में सक्रिय रहे हैं। छात्र राजनीति से सक्रियता के कारण वर्षों से बिहार की सियासत में भी दखल रखते रहे हैं।

80 के दशक में छात्र राजनीति से जुड़े
61 साल के मनोज सिन्हा 80 के दशक में छात्र राजनीति से जुड़े। बीएचयू आईआईटी से उन्होंने एमटेक की पढ़ाई की और 1982 में एवीबीपी की तरफ़ से छात्र संघ अध्यक्ष रहे। उनको क़रीब से जानने वाले बताते हैं कि आईआईटी में पढ़ने वाला लड़का, छात्रसंघ में चुनाव लड़े- उस ज़माने में ऐसा बहुत कम ही होता था। वो भी धोती कुर्ता पहनकर, जब शर्ट-पैंट का फ़ैशन हो। उनकी पढ़ाई और उनकी पहनावे की इस बेमेल जोड़ी को बीएचयू के उनके दोस्त आज भी याद करते हैं। सिन्हा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद भी कभी नौकरी नहीं की और कॉलेज के ज़माने में जो राजनीति में क़दम रखा, वो आज भी वहीं हैं।