दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्य

‘दीदी’ ने बरसाई ममता और पिघल गए डॉक्टर…

डॉक्टरों के साथ मीटिंग में ममता बनर्जी

कोलकाता, कभी नरम तो कभी गरम, कभी सख्त तो कभी चिंतित, कभी-कभी देखभाल करने की भावनाएं दिखाने वालीं ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की अभिभावक के तौर पर सामने आती हैं। डॉक्टरों की हड़ताल के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। माता-पिता की तरह सख्त तेवरों के साथ डॉक्टरों को डराने और धमकाने के बाद आखिरकार ममता ने प्यार से उन्हें मना ही लिया।
बंगाल की सीएम और प्रशासन की हड़ताली जूनियर डॉक्टरों के बीच टकराव वाली स्थिति शुक्रवार दोपहर तक नजर आ रही थी, जब सीएम ने उत्तर 24 परगना के बीजपुर में अपना बाहरी व्यक्ति वाला भाषण दिया था। एक शाम में ही उन्होंने अपना दृष्टिकोण बदल दिया और सोमवार को डॉक्टरों के साथ हुई बैठक के बाद जो तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी, उससे साफ हो गया कि दोनों पक्षों की बैठक शानदार रही।

मीटिंग में कई सीनियर डॉक्टर भी रहे मौजूद
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया शुक्रवार को जो हुआ वह बहुत क्रिटिकल था। ममता बनर्जी गुरुवार को एसएसकेएम अस्पताल गईं, जहां उन्होंने पीड़ित मरीजों का इलाज करने के दौरान हड़ताली डॉक्टरों को बाहरी व्यक्ति वाला बयान दिया। शुक्रवार को उत्तर 24 परगना में उन्होंने लगभग दोपहर 2.30 बजे अपना वही ‘बाहरी’ वाला बयान दोहराया। शुक्रवार को ही कई सीनियर डॉक्टरों ने अपने जूनियर सहयोगियों के नक्शेकदम पर चलते हुए राज्य की स्वास्थ्य सेवा से इस्तीफा देने का मन बना लिया, उन्होंने सरकार के खिलाफ चल रहे विरोध के चलते सामूहिक इस्तीफे देना शुरू कर दिया।
हालांकि कुछ घंटों बाद कुछ ऐसे ही डॉक्टर जो सार्वजनिक क्षेत्र में अपना करियर बनाने पर विचार कर रहे थे वे बनर्जी की तरफ से नाबन्ना में बैठक के लिए मौजूद थे। अधिकारियों ने कहा कि उनमें से चार सीनियर डॉक्टर्स थे, जिन्हें सरकारी स्वास्थ्य विभाग के सेटअप का स्तंभ माना जाता है। अंतिम पांच लोगों के समूह में 83 वर्षीय डॉ. सुकुमार मुखर्जी भी थे।

‘चाहें तो सिर काट लें, लेकिन काम पर लौट आएं’
चिकित्सा शिक्षा के राज्य निदेशक प्रदीप मित्रा हड़ताली डॉक्टरों के साथ पहले से ही वार्ता कर रहे थे। एक साथ, ये आधा दर्जन वरिष्ठ चिकित्सक आंदोलनकारियों तक पहुंचने के लिए बनर्जी सरकार के मध्यस्थ बन गए। सीएम ने आखिरकार एक प्रमुख कोर समूह बनाया, जिसमें सम्मानित पेशेवर डॉक्टर्स थे और ममता को उन पर भरोसा था। इस कोर समूह ने चिकित्सा बिरादरी और सरकार के बीच की खाई को पाटने का काम किया।
छात्रों को बातचीत के लिए बुलाने की अपील कर रहे डीएमई की अपील को पांच सदस्यों के समूह ने दोहराया। शुक्रवार की रात 9 बजे तक सभी वार्ता के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहे थे। यह वही शाम थी जब ममता बनर्जी ने एक इंटरव्यू में कहा कि चाहें तो मेरा सिर काट लें, लेकिन काम पर लौट आएं।
…और पेशकश नहीं ठुकरा पाए डॉक्टर
शनिवार को शाम लगभग 6 बजे, सीएम ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे अस्वीकार करना मुश्किल था। उन्होंने इच्छुक जूनियर डॉक्टरों से मानवता के नाम पर काम पर वापस लौटने की अपील की और वादा किया कि कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी। सीएम ने कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा होगी। और यदि वे उसे अस्वीकार्य करते हैं तो वे राज्य के मुख्य सचिव या राज्यपाल (केशरीनाथ त्रिपाठी) से भी बात कर सकते हैं।
डॉक्टरों ने, इस समय तक, महसूस किया कि निरंतर हड़ताल उनके खिलाफ सार्वजनिक राय बदल रही थी। उन्होंने भी रविवार को किसी भी समय, किसी भी स्थान पर बात करने का वादा किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्टेज तैयार है, सीएम एनआरएस में बात करने के लिए यहां आएं।

डॉक्टरों का गर्मजोशी से स्वागत
सोमवार की बैठक में पुरानी ममता बनर्जी नजर आई। उन्होंने जूनियर डॉक्टरों का खुलकर और गर्मजोशी से अभिवादन किया। उन्होंने डॉक्टरों की सुरक्षा और देखभाल के बारे में चिंता व्यक्त की। इस दौरान ममता ने डॉक्टरों से ज्यादा सुना और कम बोलीं। वह जब भी बोलीं सीधे प्वाइंट्स पर बोलीं। ममता ने डॉक्टरों की ओर से आए कई सुझावों की सराहना की। अपने अधिकारियों से कहा कि वे उन्हें नोट करें और कार्रवाई करें।
डॉक्टरों के साथ हुई करीब सौ मिनट की बातचीत के बाद ममता ने उन्हें घर जैसा महसूस कराया और उन्हें चाय नाश्ते के लिए भी आमंत्रित किया। ममता ने कहा कि चाय और नाश्ते के लिए रुको, बैठक के मिनटों को टाइप करने में समय लगेगा। आप इसे तब चाय नाश्ता करेंगे तब तक यह हो जाएगा। मुझे कोई समस्या नहीं है।
डॉक्टरों को दिलाया सुरक्षा का भरोसा
यह सब ऐसा लग रहा था मानों एक डॉक्टर अपने मरीजों से बात कर रहा था और यह पता करने की कोशिश कर रहा था कि क्या गलत है और उसके निदान के लिए क्या दवा देना सही रहेगा। ममता ने इससे पहले कहा,मैंने पहले इसकी (डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा) निंदा की है। डॉक्टर और शिक्षक भगवान की तरह होते हैं। हम उनका सम्मान करते हैं। लोगों को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। हमें ऐसी अप्रिय घटनाओं को नाकाम करना होगा और कड़ी कार्रवाई करनी होगी।