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एंटीलिया केस: सचिन वाझे का सहयोगी एपीआई रियाज काजी गिरफ्तार

CBI ने पूर्व गृहमंत्री देशमुख के निजी सहायकों को किया तलब, दो सहायकों को दिया सम्मन

मुंबई: एंटीलिया केस और मनसुख हिरेन मौत मामले में एनआईए ने बड़ा एक्शन लिया है। एंटीलिया केस की जांच कर रही एनआईए ने मुंबई पुलिस के अधिकारी रियाज काजी को रविवार को गिरफ्तार किया है। एजेंसी ने कहा कि मुंबई पुलिस के अधिकारी रियाज ने एंटीलिया केस की साजिश में सचिन वाझे की मदद की थी। सचिन वाझे भी एनआईए की हिरासत में हैं।
बता दें कि सचिन वाझे की तरह ही रियाज काजी भी एक असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर हैं। एंटीलिया केस के अलावा, सचिन वाझे मनसुख हिरेन की मौत मामले में भी जांच के दायरे में हैं। 5 मार्च को मुंबई में मनसुख हिरेन की लाश मिली थी। बताया जाता है कि 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास जिस गाड़ी को खड़ी की गई थी, वह मनसुख की ही थी। इसके बाद 13 मार्च को सचिन वाझे को गिरफ्तार किया गया।
मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वाझे को कोर्ट ने 23 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में रखने का आदेश दिया है। मनसुख हिरेन की हत्या और मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली संदिग्ध कार के मामले में सचिन वाझे आरोपी है। अदालत से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सचिन वाझे की न्यायिक हिरासत की मांग की थी ताकि पूछताछ की जा सके। एजेंसी की इस मांग को अदालत ने स्वीकार कर लिया है। अदालत में सुनवाई के दौरान सचिन वाझे के वकील ने उनकी जान को खतरा बताया। वाझे के वकील ने कहा कि उनकी जान को खतरा है, इसलिए जेल में उन्हें सुरक्षित सेल मुहैया कराई जानी चाहिए ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
दरअसल, मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक वाली कार और मनसुख हिरेन की हत्या मामले में गिरफ्तार पुलिस अधिकारी सचिन वाझे का खेल यहीं तक सीमित नहीं था। एनआईए के सूत्रों का कहना है कि वाझे आतंकी संगठन के नाम पर एक और बड़ी साजिश को अंजाम देने की प्लानिंग में जुटा था। इससे पहले की वाझे अपनी दूसरी साजिश को अंजाम दे पाता वह अपने ही बुने जाल में बुरी तरह से फंस गया और अब एनआईए की गिरफ्त में है।
एनआईए के सूत्रों ने बताया कि यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने वाझे को लॉजिस्टिक्स सपोर्ट दिया। उन्होंने यह भी बताया कि मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह का बयान चश्मदीद के तौर पर रिकॉर्ड किया गया है, संदिग्ध के तौर पर नहीं।

अधिकारियों ने बताया कि संजीव पलांडे और कुंदन को बंबई हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू की गई प्रारंभिक जांच के तहत पूछताछ के लिए सीबीआई टीम के समक्ष पेश होने को कहा गया है। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने पत्र लिखकर गंभीर आरोप लगाया था और कहा था कि जब देशमुख ने निलंबित पुलिसकर्मी सचिन वाजे से मुंबई के बार एवं रेस्तराओं से 100 करोड़ रुपये प्रति माह जबरन वसूलने को कहा था, तो उस समय पलांडे भी वहां मौजूद थे।
गौरतलब है कि वाजे उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के निकट एक गाडी में विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले में NIA की जांच का सामना कर रहा है। बताया जा रहा है कि उसने अपने बयान में कहा था कि इस तरह की एक अन्य बातचीत के दौरान कुंदन भी वहां उपस्थित थे। सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश पर देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच गत मंगलवार को शुरू की है।
बता दें कि जांच के लिए अधिकारियों का एक दल दिल्ली से मुंबई भेजा गया है। सीबीआई के द्वारा सचिन वाजे, परमबीर सिंह और मुंबई पुलिस के अन्य अधिकारियों से पहले पूछताछ हो चुकी है।

यह भी पढ़ें...टीआरपी केस: वाजे ने बार्क से ली थी 30 लाख रुपये की घूस
वहीँ टीआरपी केस की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़ा खुलासा किया है। दरअसल, इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में लगी ईडी को सचिन वाजे की संलिप्तता की जानकारी मिली है। बताया जा रहा है कि मुंबई क्राइम ब्रांच के एक पुलिस अधिकारी के माध्यम से ईडी को टीआरपी मामले में सचिन वाजे के भी संबंधित होने की जानकारी मिली है।
जांच एजेंसी की मानें तो सचिन वाजे ने बार्क (Broadcast Audience Research Council) से उसके अधिकारियों को परेशान नहीं करने के एवज में 30 लाख रुपये की घूस ली थी। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने एजेंसी के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि बार्क ने अपने बयान में सचिन वाजे को पैसे देने की बात कही है। बार्क ने अपने अकाउंट्स के माध्यम से इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने एक डमी कंपनी को कुछ पैसे ट्रांसफर करने का काम किया था।
इन डमी कंपनी की बात करें तो ये चार और शेल कंपनियों से घिरी थी। इस डमी कंपनी को पैसे ट्रांसफर करने के बाद, एक हवाला ऑपरेटर के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने का काम किया गया।इसके बाद वाजे के एक एसोसिएट जो खुद एक इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत था, उसे घूस की राशि देने का काम किया गया। ईडी ने बार्क के कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बयान दर्ज किए हैं, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की है।