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केंद्र सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन: अब सोशल मीडिया-ओटीटी, न्यूज पोर्टल को गलत कंटेंट 24 घंटे में हटाना होगा अनिवार्य

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने फेसबुक, ट्विटर जैसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के यूजर्स की शिकायतों के मद्देनजर नई गाइडलाइंस जारी की है। सरकार ने आईटी रूल्स, 2021 को अधिसूचित किया है। अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म को यूजर्स की शिकायतों की सुनवाई के लिए ग्रीवांस रीड्रेसेल मैकेनिज्म बनाना होगा। वहीं ओटीटी प्लेटफार्म को सेल्फ रेगुलेशन करना होगा।
केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस में इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि हम सोशल मीडिया का स्वागत करते हैं। लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को अब जवाबदेह बनाया जाएगा। उन्हें आईटी एक्ट के तहत लाया जाएगा। गलत कंटेंट 24 घंटे में हटाना होगा। भारत की संप्रभुता से जुड़े अपराध वाले, सुरक्षा, अन्य राज्यों के साथ संबंध से जुड़े पोस्टों को हटाया जाना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म को कड़े नियमों का पालन करना होगा। सोशल मीडिया यूजर्स और पीड़ितों की शिकायतों की सुनवाई करनी होगी। महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। चीफ कंप्लायंस आफिसर की नियुक्ति करनी होगी। देश में 53 करोड़ वाट्सअप यूजर्स है, 44.8 करोड़ यूट्यूब, 41 करोड़ फेसबुक, 21 करोड़ इंस्टाग्राम और 1.75 करोड़ ट्विटर यूजर्स हैं।
सरकार ने गुरुवार को कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को संप्रभुता, पब्लिक ऑर्डर और दुष्कर्म पर असर डालने वाले कंटेंट के ओरिजिनेटर के बारे में खुलासा करना होगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को अब यह तय करना होगा कि कंटेट हिंसक घटनाओं को बढ़ावा देने तथा भड़काऊ और फर्जी न हो।
नए नियमों के मुताबिक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। हर महीने हुई शिकायत पर कार्रवाई की जानकारी देनी होगी। आपत्तिजनक पोस्ट 24 घंटे में हटानी होगी। सबसे पहले पोस्ट डालने वाले की जानकारी देनी होगी। तीन स्तर पर निगरानी का तंत्र विकसित होगा। सोशल मीडिया को लेकर 3 महीने में नियम लागू होंगे।
सोशल मीडिया को 2 श्रेणियों में बांटा गया है, एक इंटरमीडरी और दूसरा सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया इंटरमीडरी। सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया इंटरमीडरी पर अतिरिक्त कर्तव्य है, हम जल्दी इसके लिए यूजर संख्या का नोटिफिकेशन जारी करेंगे।
एक शिकायत निवारण तंत्र रखना होगा और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफिसर का नाम भी रखना होगा। ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा। यूजर्स की गरिमा को लेकर यदि कोई शिकायत की जाती है, खासकर महिलाओं की गरिमा को लेकर तो आपको शिकायत करने के 24 घंटे के अंदर उस कंटेट को हटाना होगा।
कोर्ट के आदेश और सरकार द्वारा पूछा जाने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शरारती कंटेट का ओरिजनेटर बताना होगा।

ओटीटी पर उम्र के मुताबिक होगा कंटेंट
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भी नियमों और दायरे में ही काम करना होगा।
इस बार संसद के सत्र में दोनों सदनों में मिला कर 50 से ज्यादा प्रश्न पूछे गए। बार-बार कहने के बाद भी ओटीटी वालों ने अपने लिए कोई नियमावली नहीं बनाई।
स्व-नियमन के लिए एक संस्था बनानी होगी जिसमें कोई सेवानिवृत्त जज या इस स्तर का व्यक्ति प्रमुख हो।
ओटीटी के लिए कोई सेंसर बोर्ड नहीं है पर उन्हें अपनी सामाग्री को आयु वर्ग के अनुसार विभाजित करना होगा।
डिजिटल मीडिया पोर्टल्स को अफवाह और झूठ फैलाने का कोई अधिकार नहीं है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई नामी हस्ती हेड करेगी।
सेंसर बोर्ड की तरह ओटीटी पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था हो। एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा।
दोनों को ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम लागू करना होगा। अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा।