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कोविड-19 जांच में तेजी लाने के लिए महाराष्ट्र अपनाएगा ‘पूल टेस्टिंग’

मुंबई: कोविड-19 की टेस्टिंग में महाराष्ट्र पूरे देश में सबसे आगे है। पूरे महाराष्ट्र में करीब 40 हजार एवं सिर्फ मुंबई में 20 हजार से अधिक नमूने टेस्ट किए जा चुके हैं। कम खर्च में और अधिक टेस्ट करने के लिए महाराष्ट्र सरकार न सिर्फ स्वयं ‘पूल टेस्टिंग’ पद्धति अपनाना चाहती है, बल्कि पूरे देश में यह पद्धति अपनाने का सुझाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया है।
कोरोना प्रसार के शुरुआती दिनों में अधिक भयावह दिख रही पुणे एवं नागपुर जैसे महानगरों में अब स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन मुंबई एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में अभी भी कोविड-19 पॉजिटिव के अधिक मामले सामने आने के कारण स्थिति गंभीर दिखाई दे रही है। पूरे राज्य के 71 फीसदी मरीज इसी क्षेत्र में हैं। मुंबई का झोपड़पट्टी क्षेत्र स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। क्योंकि इन क्षेत्रों में न सिर्फ एक छोटे कमरे में कई-कई लोग रहते हैं, बल्कि वे सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करते हैं। इसलिए इन क्षेत्रों में कोरोना प्रसार की आशंका ज्यादा है। रविवार को भी एशिया की सबसे बड़ी एवं सघन झोपड़पट्टी धारावी में 15 नए कोविड-19 मामले पाए गए। इसके साथ ही अब धारावी से पाए गए कोविड-19 मामलों की संख्या 43 पर पहुंच गई है। यहां अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। धारावी में कोरोना संक्रमण के बढते मामलों से सरकार काफी परेशान है। शनिवार को यहां कोरोना संक्रमित चौथे मरीज की मौत हो गयी थी इसके बाद यहां सरकार ने घर-घर जाकर स्‍क्रीनिंग शुरु कर दी थी। इन क्षेत्रों में सरकार ने घर-घर जांच करने का फैसला किया है, लेकिन सिर्फ सवा दो वर्ग किलोमीटर में रहने वाली 12 लाख से अधिक आबादी की घर-घर जांच करना आसान नहीं है। इसके लिए सरकार ने पूल टेस्टिंग की योजना तैयार की है। इस तरीके की खोज जर्मनी की प्रोफेसर एरहार्ड एवं प्रोफेसर सैंड्रा सिजेक ने की थी। इसमें कुछ घरों के नमूने एक साथ लेकर उन्हें एक ही टेस्ट ट्यूब में डालकर उनकी सामूहिक टेस्टिंग की जाती है। यदि यह नमूना पॉजिटिव निकला, तो इसमें शामिल सभी लोगों की फिर से अलग-अलग टेस्टिंग की जाती है। अन्यथा उस पूरे समूह को निगेटिव मान लिया जाता है। इस तरह कम समय एवं कम खर्च में अधिक लोगों की टेस्टिंग की जा सकती है। मुंबई घनी आबादी वाला महानगर तो है। लेकिन सहकारी हाउसिंग संस्थाओं के कारण हर क्षेत्र का रिकॉर्ड सुव्यवस्थित होने के कारण यहां पूल टेस्टिंग करना एवं उनका रिकॉर्ड रखना आसान है। इसलिए राज्य सरकार ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्ज (आईसीएमआर) से टेस्ट की यह पद्धति अपनाने की अनुमति मांगी है। सरकार ने कोविड-19 की समस्या से निपटने के लिए पूरे राज्य को तीन हिस्सों में बांट दिया है। मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, पालघर एवं पुणे आदि क्षेत्रों में ही राज्य के 91 फीसद मामले पाए गए हैं। इनमें सभी जिलों में कोविड-19 के 15 से अधिक मामले पाए गए हैं। इन जिलों को रेड जोन में रखा गया है। रेड जोन वाले जनपदों में भी जिन क्षेत्रों में कोविड-19 के दो या तीन मामले मिल चुके हैं, उन्हें रेड जोन माना गया है। सरकार इन्हीं क्षेत्रों में सबकी जांच पर विशेष जोर देना चाहती है। इन क्षेत्रों में भी अभी 70 फीसद मामले कोरोना के लक्षणों से रहित हैं। 25 फीसद मामले अत्यंत सामान्य लक्षणों वाले एवं सिर्फ 5 फीसद मामले अति गंभीर हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के अनुसार महाराष्ट्र में कोरोना पॉजिटिव मामलों की बढ़त दर लगभग 13 फीसद है। जबकि पॉजिटिव पाए गए मामलों में मृत्युदर 5.5 फीसद। लेकिन मरने वालों में भी 90 फीसद मामले पहले से गंभीर बीमारी वाले या वृद्धों के हैं। इसलिए राज्य सरकार मान रही है कि यदि अभी उसके द्वारा निर्धारित रेड जोन में पूल टेस्टिंग की अनुमति मिल जाए तो राज्य में कोविड-19 पर काबू पाया जा सकता है।

भाजपा के पूर्व विधायक कृष्णा खोपड़े, ने कहा कि सतरंजीपुरा में कोरोना संक्रमण के मामले बड़ी संख्या में पाए गए हैं। हमें इस इलाके को सेना के हवाले कर देना चाहिये। मैंने नगर आयुक्त से भी इस बारे में चर्चा की है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के नागपुर के सतरंजीपुरा और मोमिनपुरा इलाकों रविवार को ही कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया था। जिसके बाद यहां बैरिकेडिंग की गयी थी।

बांद्रा लॉकडाउन
लॉकडाउन के कारण बांद्रा पूर्व के कलानगर इलाके बैरिकेडिंग की जा चुकी है और पूरे इलाके को सील कर दिया गया है। वहीं बांद्रा-वर्ली सी लिंक भी पूरी तरह से वीरान हैं, वाहनों की आवाजाही न के बराबर है।

लालबाग लॉकडाउन
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने सोमवार को लालबाग क्षेत्र में गणेश गली को ‘नियंत्रण क्षेत्र’ घोषित करते हुए सील कर दिया है। इसके अलावा धारावी इलाके को भी काफी संवेदनशील माना जा रहा है और यहां भी पुलिस ने पूरी तरह से बैरिकेडिंग कर दी है।

झुग्गियों में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट बंटवाना चाहती है बीएमसी
बीएमसी ने संक्रमण फैलने वाले इलाकों में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन सल्फेट (HCQS) टेबलेट बांटने का फैसला किया है। यह टैबलेट इलाके में रहने वाले लोगों को दिया जाएगा। हालांकि इसके लिए अभी आईसीएमआर की ओर से मिलने वाली गाइडलाइन का इंतजार है।