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नये संसद भवन में ‘नारी शक्ति वंदन’, पीएम मोदी बोले- ऐसे पवित्र काम के लिए ईश्वर ने मुझे चुना

महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक लोकसभा में पेश…

नयी दिल्ली: लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार को नये संसद भवन में आरंभ हुई और इसके साथ ही भारत के संसदीय इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हुआ। सरकार ने सबसे पहले लोकसभा, राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने संबंधी ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ पेश किया। विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां) संशोधन विधेयक, 2023’ पेश किया।

विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, पहली दशकीय जनगणना के पश्चात ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। प्रावधान यह भी है कि सीटों के परिसीमन के बाद ही कानून पर अमल होगा। दरअसल जो जनगणना वर्ष 2021 में पूर्ण होनी थी वह अब तक नहीं हुई। न ही सीटों के परिसीमन की कवायद शुरू हुई है। इस लिहाज से आगामी आम चुनाव यानी वर्ष 2024 तक कानून बनने के बावजूद महिलाओं को आरक्षण मिलना दूर की कौड़ी ही साबित होगी। जानकार तो यहां तक कहते हैं कि वर्ष 2029 तक भी अगर यह लागू हो जाये तो बड़ी बात है। इन्हीं मुद्दों पर विपक्ष इसे ‘चुनावी जुमला’ कह रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है। राजनीति में जिस प्रकार एससी-एसटी वर्ग को संवैधानिक अवसर मिला है, उसी प्रकार ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी इस विधयेक के जरिये समान मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, विधेयक के मौजूदा प्रारूप में लिखा है कि ये जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किया जाएगा। इसका मतलब, मोदी सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाज़े बंद कर दिये हैं।

उधर, बिल पेश करते वक्त मेघवाल ने कहा कि विधेयक के कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि महिलाओं की आरक्षित सीट में भी अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण होगा। इसी दौरान अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि विधेयक पर चर्चा बुधवार को शुरू होगी।

मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर विधेयक की प्रति नहीं दिये जाने का आरोप लगाते हुए शोर-शराबा किया। इस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि नयी प्रौद्योगिकी से लैस स्क्रीन पर सब कुछ अपलोड किया जा चुका है। विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया और सदस्यों से कहा कि वे अपनी-अपनी सीट पर यंत्र में विधेयक को देख सकते हैं।

वहीं, लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर जारी डिबेट के बीच सोनिया गांधी ने कहा स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने वाला कानून सबसे पहले मेरे पति राजीव गांधी लाए थे, जो राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था।

ऐसे पवित्र काम के लिए ईश्वर ने मुझे चुना: पीएम मोदी
आरक्षण संबंधी मुद्दे पर पीएम मोदी ने कहा- महिला आरक्षण विधेयक पहले भी कई बार संसद में पेश किया जा चुका है, लेकिन महिलाओं को अधिकार देने जैसे कई पवित्र कार्यों के लिए ईश्वर ने मुझे चुना है।

सभी सांसदों, देशवासियों को ‘मिच्छामी दुक्कड़म’
पीएम मोदी ने मंगलवार को नये संसद भवन में कार्यवाही की शुरुआत को आजादी के अमृतकाल का ‘उषा काल’ करार दिया। इस अवसर को आजादी के अमृतकाल का उषाकाल बताते हुए मोदी ने कहा, गणेशजी शुभता और सिद्धि के देवता हैं। इस पावन दिवस पर हमारा यह शुभारंभ संकल्प से सिद्धि की ओर एक नये विश्वास के साथ यात्रा को आरंभ करने का है। उन्होंने कहा कि आज ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहने का भी दिन है, अगर जाने-अनजाने किसी को भी दु:ख पहुंचाया है तो यह पर्व मन से, कर्म से, वचन से उसकी क्षमा याचना का अवसर है। उन्होंने कहा- मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ, पूरे हृदय से सभी सांसदों और देशवासियों को मिच्छामी दुक्कड़म।

हमारा आचरण बताएगा…हम वहां बैठेंगे कि यहां
चुनावों को थोड़ी दूर बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा- मैं पक्का मानता हूं कि यहां हमारा व्यवहार निर्धारित करेगा कि कौन यहां (सत्ता पक्ष की तरफ) बैठने के लिए व्यवहार करता है, कौन वहां (विपक्ष में) बैठने के लिए। आने वाले महीनों में इस अंतर को देश देखेगा। हमारे विचार अलग हो सकते हैं, विमर्श अलग हो सकते हैं, लेकिन संकल्प एकजुट होते हैं।

पुराना संसद भवन अब ‘संविधान सदन’!
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि पुराने संसद भवन को अब ‘संविधान सदन’ के नाम से जाना जाएगा। अध्यक्ष ने यह भी घोषणा की कि अब लोकसभा की कार्यवाही में उपयोग किए जाने वाले ‘सदन’, ‘लॉबी’ और ‘गैलरी’ जैसे शब्द नयी इमारत को संदर्भित करेंगे। उन्होंने कहा, ‘जिस भवन (पुराना भवन) में हम सुबह एकत्र हुए थे, उसे अब संविधान सदन के नाम से जाना जाएगा। इससे पहले पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुझाव दिया था कि पुराने संसद भवन का नाम ‘संविधान सदन’ रखा जाना चाहिए।

पुराने भवन के ‘सेंट्रल हॉल’ में वक्तव्य के बाद पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्रियों- अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तथा अन्य नेता नये संसद भवन पैदल पहुंचे। राजग सांसद ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ जैसे नारे लगाते हुए चल रहे थे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी अलग से, पैदल चलकर नए संसद भवन पहुंचे। बाद में, विपक्षी सांसदों को भी पैदल जाते देखा गया। इससे पहले रंग-बिरंगे परिधान पहने राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों ने पुराने संसद भवन में सामूहिक तस्वीर खिंचवाई।

उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पहली पंक्ति में बैठे। उनके अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, सपा सांसद 93 वर्षीय शफीक-उर-रहमान बर्क, शरद पवार (राकांपा), फारूक अब्दुल्ला (नेकां) और भाजपा अध्यक्ष नड्डा भी पहली पंक्ति में बैठे नेताओं में शामिल रहे।