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नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा-आराधना करने से होती है माता की खास कृपा

मुंबई: चैत्र नवरात्रि का त्योहार आज यानी शनिवार से शुरू हो गया है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। ऐसे में चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022 को शुरू होगी और इसका समापन 11 अप्रैल 2022 को होगा।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है। नवरात्रि में घटस्थापना का काफी महत्व होता है। आज से नौ दिन तक मंदिरों और घर-घर में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग शक्ति स्वरूपों की पूजा की जाएगी।
दक्षिण मुंबई के भूलेश्वर इलाके में स्थित मुंबा देवी धाम बेहद प्रस‍िद्ध है। मुंबई के प्रसिद्ध मुंबा देवी मंदिर में भी नवरात्रि के पहले दिन माता की विशेष आरती की गई। इस बार नवरात्रि को लेकर लोगों में काफी उत्‍साह नज़र आ रहा है।
दरअसल, कोरोना महामारी के चलते बीते दो साल मंदिरों में भक्‍तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ था। लेकिन आज सुबह से ही मंदिरों के बाहर माता के दर्शन करने वालों की कतारें लगी हुई हैं।

जानें- पूजा विधि व कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: कलश स्थापना चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन की जाएगी। कलश स्थापना का शुभ समय 2 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक है। कुल अवधि 02 घंटे 18 मिनट की है।
इसे कलश स्थापना के नाम से भी जाना जाता है। कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। देवी दुर्गा की पूजा से पहले कलश की पूजा की जाती है। पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करने से पहले उस जगह को गंगाजल से पवित्र किया जाता है। फिर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। कलश स्थापना के बाद, गणेश जी और मां दुर्गा की आरती करते है जिसके बाद नौ दिनों का व्रत शुरू हो जाता है।

नवरात्रि पर राशि के अनुसार, ऐसे करें मां दुर्गा की आराधना-
अखंड ज्योति
यदि आप मां जगदंबे को प्रसन्न करने करने के लिए उनके समक्ष 9 मिट्टी के दीपक में अखंड ज्योति जलाएं, तो विशेष फल मिलता है। लेकिन ध्यान रखें कि ये अखंड ज्योति बुझनी नहीं चाहिए। वैसे तो हर साल चार नवरात्रि मनाए जाते हैं। लेकिन शारदीय व चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवित पूजा करने वाले भक्तों पर माता रानी अपनी कृपा दृष्टि सालभर रखती हैं।

लाल फूल और लाल चुन्नी का प्रयोग
लाल रंग मां दुर्गा का सबसे प्रिय रंग माना जाता है। इसलिए पूजा में लाल फूल, लाल चुन्नी और आसन के तौर पर लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल करें।

मकर राशि: इस राशि के स्वामी शनि हैं अतः किसी भी तरह के नीले पुष्प, कमल, गेंदा, गुलाब, गुड़हल आदि से माँ शक्ति की पूजा-आराधना करके माँ की कृपादृष्टि एवं शनि जनित दुष्प्रभावों से बचते हुए ईष्ट कामयाबी हासिल की जा सकती है।

कुंभ राशि: इस राशि के स्वामी भी शनिदेव ही हैं अतः नीले पुष्प,गेंदा,सभी प्रकार के कमल,गुड़हल,बेला,चमेली,रातरानी आदि से माँ भगवती की आराधना करके उनकी कृपा और शनिग्रह के दोष से मुक्त होते हुए मनोरथ भी पूर्ण किए जा सकते हैं।

मीन राशि: मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं,पीले कनेर की सभी प्रजातियां सभी प्रकार के कमल,गेंदा,गुलाब, गुड़हल की सभी प्रजातियों से पूजा करके माँ की कृपा प्राप्त करते हुए बृहस्पति जन्य दोषों से भी मुक्त हुआ जा सकता है।

तुला राशि: तुला राशि के स्वामी भी शुक्र है अतः श्वेत कमल श्वेत, कनेर, गेंदा, गुड़हल, जूही, हरसिंगार, सदाबहार, केवड़ा, बेला चमेली आदि पुष्पों से भगवती की आराधना करके उनकी अनुकूलता और शुक्र की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

वृश्चिक राशि: इस राशि के स्वामी मंगल हैं अतः किसी भी प्रजाति के लाल पुष्प,पीले पुष्प एवं गुलाबी पुष्प से पूजा करके मां दुर्गा की कृपा प्राप्त की जा सकती है लाल कमल से पूजा कर पाएं तो घर परिवार में समृद्धि तो बढ़ेगी ही मंगल की कृपा भी प्राप्त होगी।

धनु राशि: इस राशि के स्वामी बृहस्पति हैं अतः कमल पुष्प,कनेर,गुड़हल,गुलाब,गेंदा,केवडा और कनेर की सभी प्रजातियां के पुष्पों से मां का पूजन-अर्चन करके माँ का आशीर्वाद एवं बृहस्पति की भी और अधिक शुभता प्राप्त की जा सकती है।

कर्क राशि: कर्क राशि के स्वामी चंद्र हैं अतः श्वेत कमल,श्वेत कनेर,गेंदा,गुडहल,सदाबहार,चमेली, रातरानी और अन्य जितने भी प्रकार के श्वेत और गुलाबी पुष्प हैं उन्हीं से माँ की आराधना करके प्रसन्न करके चन्द्र जनित दोषों से मुक्त हुआ जा सकता है।

सिंह राशि: सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं जो सभी राशियों,ग्रहों, संवत्सरों और नक्षत्रों के भी स्वामी हैं इसलिए किसी भी तरह के पुष्प से कमल,गुलाब,कनेर,गुड़हल से माँ की पूजा करके कृपा पा सकते हैं,गुड़हल का पुष्प सूर्य और माँ दुर्गा को अति प्रिय है।

कन्या राशि: कन्या राशि के स्वामी बुध ही हैं अतः गुड़हल, गुलाब, गेंदा, हरसिंगार एवं किसी भी तरह के अति सुगंधित पुष्पों से मां दुर्गा की आराधना करके अपने मनोरथ पूर्ण करके बुध के साथ-साथ अन्य ग्रहों की अनुकूलता भी प्राप्त सकते हैं।