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पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने की ‘स्वयं पुनर्विकास योजना’ के लिए वित्तीय मदद उपलब्ध कराने की मांग

मुंबई: स्वयं पुनर्विकास योजना के अंतर्गत आने वाली गृह निर्माण संस्थाओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए राज्य पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शशिकांत दास से मुलाकात की। राज्य सहकारी बैंकों और जिला सहकारी बैंकों को आरबीआई से इस मामले में अनुमति दिए जाने की मांग करते हुए फड़नवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आगामी 2022 तक सभी को घर देने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है।
फडणवीस ने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनके पास घर होते हुए भी बेघर है, क्योंकि इन सभी का घर जर्जर इमारतों में शामिल हो चुका है, जिसके पुर्नविकास में बड़ी कठिनाइयां आ रही है। सिर्फ मुंबई में 5800 ऐसी इमारत हैं, जिनके पुनर्विकास का काम प्रस्तावित है। जब मैं राज्य का मुख्यमंत्री था, उस समय जर्जर इमारतों के पुर्नविकास के मुद्दों विभिन्न स्तरों से उठाते हुए कई गृहनिर्माण संस्था से जुडी संगठनों ने पुनर्विकास के लिए उत्सुकता दिखाई थी, जिसे लेकर मुंबई मध्यवर्ती बैंक ने स्वयंपुनर्विकास योजना को आर्थिक मदद करने के लिए सरकार के पास एक प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद तत्कालीन प्रधान सचिव और म्हाडा को इस पर अध्ययन करने के लिए कहा गया था। म्हाडा और सचिव के अध्ययन के बाद 8 मार्च 2019 को राज्य मंत्रिमंडल में स्व-पुनर्विकास योजना का निर्णय लिया और एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया। इस समिति की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिलने के बाद, इसे स्वीकार कर लिया गया और 13 सितंबर 2019 को ऐसी परियोजनाओं के वित्तपोषण के संबंध में एक जीआर जारी किया गया। इस योजना के तहत पुनर्विकास करने वाली संस्था को चार प्रतिशत ब्याज रियायत और 10 प्रतिशत अतिरिक्त एफएसआई देने का निर्णय लिया गया था।
पूर्व सीएम ने कहा कि अभी तक योजना को जमीन पर लागू नहीं किया गया, जिसे लेकर मुंबई जिला मध्यवर्तीय बैंक के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुझे रिज़र्व बैंक के एक परिपत्र के साथ मुलाकात की। नाबार्ड को इन परियोजनाओं के वित्तपोषण पर प्रतिकूल विचार व्यक्त करने के लिए कहा गया है। कई इमारतें ढह गई हैं या ढहने की स्थिति में हैं। कुछ आंशिक अवस्था में हैं। हालांकि इस योजना को वापस नहीं लिया जा सकता है, जबकि रिजर्व बैंक ने निजी वित्तपोषण कंपनियों को अनुमति दी है, जिला बैंकों को ऐसी अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं है। यदि ऐसा होता है, तो सभी के लिए आवास का सपना निश्चित रूप से साकार होगा।