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मन की बात: PM की अपील-हिंसा छोड़ें,शांति से ही निकल सकता है किसी मुद्दे का हल

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नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मन की बात’ कर रहे हैं। गणतंत्र दिवस समारोह की वजह से इस रविवार प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो कार्यक्रम के समय में बदलाव किया गया है। सुबह 11 बजे की बजाय आज के लिए शाम 6 बजे का वक्त तय किया गया था। यह प्रधानमंत्री मोदी का 61वां ‘मन की बात’ कार्यक्रम है।
पीएम मोदी ने कहा, मेरे प्यारा देशवासियों आज 26 जनवरी है। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। यह इस साल और दशक का पहला कार्यक्रम है। आज गणतंत्र दिवस की वजह से समय बदलना पड़ा। दिन बदलते हैं समय बदलते हैं, साल बदल जाते हैं, लेकिन भारत के लोगों का उत्साह, हम भी कम नहीं, हम भी कर सकते हैं, देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना मजबूत होती जाती है। मन की बात कार्यक्रम में हम एक बार फिर एकत्रित हुए हैं। मन की बात लर्निंग, शेयरिंग का अच्छा प्लैटफॉर्म बन गया है।
पिछले कई सालों में हमने कई संकल्प लिए होंगे, जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक, बेटी बजाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे कई संकल्प हमने लिए है। हमें बिहार से शैलेष जी का खत मिला है। उन्होंने कहा कि आप मन की बात में कई अपील करते हैं। मैंने लोगों के घरों से सर्दी के कपड़े एकत्रित करके बांटने का संकल्प लिया। मैंने एक मन की बात चार्टर बनाने का संकल्प लिया है। क्या आप इस पर हस्ताक्षर करेंगे। मैं जब इसे पढ़ रहा था तो मुझे आश्चर्य हुआ। इसमें अनगिनत मुद्दों की चर्चा और हैशटैग है।
जल संरक्षण के लिए कई व्यापक प्रयास देश के कई कोने में चल रहे हैं। पिछले मानसून में शुरू किया गया जल संरक्षण अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। इसमें समाज के हर वर्ग ने अपना योगदान दिया। राजस्थान में लोगों ने बावलियों को साफ किया। किसी ने श्रमदान किया तो किसी ने धन का दान। कुछ ऐसी ही कहानी यूपी के बाराबंकी की है। यहां लोगों ने झील को नया जीवन दिया। एक के बाद एक कई गांव जुड़ते चले गए। अब झील पानी से लबालब है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा से भी ऐसी ही कहानी है। एक किलोमीटर दूर तक पाइप बिछाकर दो दशक पुरानी समस्या को दूर किया गया। देशभर में जलसंरक्षण से जुड़ी ऐसी अनगिनत कहानियां हैं। जल संरक्षण पर किए जा रहे कार्यों को जरूर शेयर करें।
आज मन की बात के माध्यम से असम की सरकार और लोगों को खेलो इंडिया के सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूं। इसमें 6 हजार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इसमें 80 रेकॉर्ड टूटे जिसमें से अधिकतर बेटियों के नाम रहे। खेल इंडिया से जुड़े सभी लोगों का अभिवादन करता हूं। यह खेल साल दर साल विकसित हो रहा है। तीन साल में इसमें खिलाड़ियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। इसके माध्यम से 32 सौ बच्चे आगे बढ़े हैं। इन खिलाड़ियों की कहानियां पूरे देश को प्रेरित करती हैं। तमिलनाडु के योगानाथन बीड़ी बनाने का काम करते हैं लेकिन उनकी बेटी ने गोल्ड जीता। डेविड बैकहम हैं, उन्होंने गोवाहाटी में साइकलिंग में गोल्ड जीता है। कुछ समय पहले जब मैं अंडमान गया था, डेविड के माता-पिता का साया बचपन में ही छिन गया था, चाचा ने इनका नाम फुटबॉलर के नाम पर रखा, लेकिन इन्होंने साइकलिंग को चुना। मुंबई की करीनी सांगता ने किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानने का जज्बा सबको प्रेरित करता है। हमने खेलो इंडिया के तर्ज पर खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी के आयोजन का फैसला किया है।
दोस्तों परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। देश का युवा आत्मविश्वास से बढ़ा हुआ है। एक तरफ परीक्षाएं और दूसरी तरफ सर्दी। थोड़ा बहुत एक्साइरसाइज जरूर करें। आजकल फिट इंडिया को लेकर काफी प्रयास दिख रहे हैं। फिट इंडिया स्कूल की मुहिम भी रंग ला रही है। 65 हजार स्कूल आवेदन करके सर्टिफिकेट हासिल कर चुके हैं। मैं सभी देशवासियों से अपील करता हूं कि वे दैनिक जीवन में व्यायाम को जरूर शामिल करें।
हाल ही में देश में अलग-अलग त्योहार मनाए जा रहे थे। ऐसे समय में दिल्ली एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बन रही थी। 1997 में जातीय संघर्ष के कारण ब्रू जनजातिय को मिजोरम से निकलना पड़ा था। उन्हें त्रिपुरा में कैंपों में रखा गया। उन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ा। 23 साल तक कैंपों में कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करना कष्टकारी रहा होगा। लेकिन इतने कष्ट के बावजूद उनका विश्वास भारतीय संविधान में बना रहा। अब समझौते के लिए उनकी दिक्कत दूर हो जाएगी। अब उन्हें त्रिपुरा में बसाया जाएगा। इसके लिए 600 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी। जमीन और घर दिया जाएगा। सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। मैं मिजोरम और त्रिपुरा के सरकार का आभार व्यक्त करता हूं।
इतने बड़े खेलों का आयोजन करने वाले असम में एक और बड़ा काम हुआ है। 8 मिलिटेंड ग्रुप के 600 उग्रवादियों ने सरेंडर किया है। हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में लौट आए हैं। जिन्होंने कभी हथियार उठा लिए थे उन्हें अब विश्वास हुआ है कि बातचीत और शांति से ही किसी मुद्दे का हल निकल सकता है। देश के किसी भी कोने में हिंसा और हथियार के दम पर समाधान खोज रहे लोगों से मैं गणतंत्र दिवस पर अपील करता हूं के वे लौट आएं। क्या आप ने किसी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहां हिंसा से कुछ समाधान निकलना हो।
आज गणतंत्र दिवस के मौके पर मुझे गगनयान के बारे में बताते हुए हर्ष हो रहा है। 2022 में हमारी आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। उस मौके पर हमें भारतवासी को अंतरिक्ष में ले जाने का संकल्प पूरा होगा। इस मिशन में अंतरिक्षयात्री के लिए 4 युवाओं का चयन कर लिया गया है, ये चारों वायुसेना के पायलट हैं। हमारे ये चारों मित्र ट्रेनिंग के लिए रूस जाने वाले हैं। इन्हें एक साल से अधिक समय तक प्रशिक्षित किया जाएगा।
कल शाम को पद्म सम्मानों की घोषणा की गई है। मेरा आग्रह है कि आप इनके बारे में जरूर पढ़ें। इस बार 46 हजार नामांकन आए। यह लोगों के विश्वास को बताता है। आज पद्म सम्मान पीपुल अवॉर्ड बन चुका है। पद्म पुरस्कार को लेकर नया विश्वास बना है। इसमें कई ऐसे लोग होते हैं जो जमीन से उठे हैं।