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महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज

नयी दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों को लेकर लग रहे सारे कयासों आज खत्म जाएंगे। केंद्रीय चुनाव आयोग शनिवार दोपहर दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करने जा रहा है। शनिवार दोपहर 12 बजे केंद्रीय चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस है, जिसमें विधानसभा चुनाव को लेकर घोषणाएं की जाएगी।
2014 में हरियाणा और महाराष्ट्र का चुनावी गणित
हरियाणा की 90 में से 47 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। पहली बार हरियाणा में बीजेपी को अपने दम पर बहुमत मिला था और मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में वहां सरकार बनी। वहीं, महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में 122 सीटों पर जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। 25 सालों में पहली बार शिवसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और अपने दम पर कोई भी बहुमत तक नहीं पहुंच सका था। चुनाव के बाद दोनों ने एक बार फिर गठबंधन सरकार बनाई थी।

तारीखों का ऐलान से नतीजे तक, यह है पूरी प्रक्रिया
विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही दोनों राज्यों में आदर्श चुनाव संहिता लागू हो जाएगी। चुनाव घोषणा करने के सात दिन के अंदर आयोग को नोटिफिकेशन जारी करना होता है। नोटिफिकेशन जारी करने के बाद सातवें दिन नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। नामांकन भरने के अंतिम दिन के बाद अगले दिन चुनाव अधिकारी उम्मीदवारों के फॉर्म की छंटनी करता है। छंटनी करने बाद दो दिन का समय नाम वापसी के लिए दिया जाता है।
बता दें कि नाम वापस लेने के अगले दिन से उम्मीदवार को 14 दिन प्रचार के लिए मिलते हैं। चुनाव प्रचार खत्म होने के तीसरे दिन मतदान होता है। इसकी अगली सुबह चुनाव आयोग री-पोल के लिए एक दिन रिजर्व रखता है। री-पोल के तीसरे दिन मतों की गणना के साथ ही नतीजे घोषित किए जाते हैं। चुनाव आयोग चाहे तो नतीजे घोषित होने के दूसरे दिन ही नतीजों से संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। यानी चुनाव आयोग की भूमिका यहां खत्म हो जाती है। फिर सरकार बनाने के लिए राज्यपाल की भूमिका शुरू होती है।

महाराष्ट्र में बीजेपी के पक्ष में थे नतीजे
पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो महाराष्ट्र में साल 2014 में बीजेपी 122 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति न बनने के बाद 25 साल में पहली बार शिवसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था। हालांकि, दोनों में से किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और चुनाव बाद दोनों दलों ने फिर से गठबंधन कर सरकार बनाई। देवेंद्र फडणवीस सीएम बने थे। इस चुनाव में शिवसेना ने कुल 63 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस के खाते में 42 और एनसीपी के खाते में 41 सीटें रही थीं।

मौजूदा सियासी समीकरण
प्रदेश के मौजूदा सियासी समीकरण की बात करें तो एनसीपी और कांग्रेस इस बार साथ चुनाव लड़ने वाले हैं। पिछली बार दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार दोनों दल 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ने को सहमत हुए हैं। वहीं, बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत जारी है। माना जा रहा है कि एक-दो दिन में दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अंतिम सहमति बन जाएगी। सूत्रों की माने तो 126 सीटों पर शिवसेना, 144 सीटों पर बीजेपी और 18 सीटों पर अन्य सहयोगी पार्टियां चुनाव लड़ सकती हैं।

पहली बार अपने दम पर जीती बीजेपी
हरियाणा में भी इस साल विधानसभा चुनाव का कार्यकाल खत्म हो रहा है। पिछले विधानसभा में यहां बीजेपी ने 90 में से 47 सीटों पर जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। यह पहला मौका था जब बीजेपी ने अपने दम पर राज्य में सत्ता कायम की थी। वहीं, भजनलाल के बाद दूसरी बार प्रदेश को मनोहर लाल खट्टर के रूप में गैर-जाट सीएम मिला था। इस चुनाव में दूसरे नंबर पर आईएनएलडी रही, जिसे 19 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस 15 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही। वहीं अन्य उम्मीदवारों ने 9 सीटों पर जीत मिली।

कांग्रेस-बीजेपी के बीच मुकाबला
इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के दो फाड़ होने के बाद मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला ने आईएनएलडी से अलग होकर जननायक जनता पार्टी बना ली है। उन्होंने कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। ऐसे में पार्टी के जाट वोटरों के बंटने से बीजेपी को फायदा मिलने की बात कही जा रही है।

दलित वोटों पर BJP की नज़र
वहीं, कांग्रेस भी इस चुनाव में जाट वोटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जबकि बीजेपी हिंदू वोटरों और खासकर दलित मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। बीएसपी के मुकाबले में अकेले उतरने की घोषणा के बाद बीजेपी दलित वोटों को लेकर थोड़ी चिंतित है। हालांकि, बीएसपी की राज्य में स्थिति बहुत मजबूत नहीं देखी जा रही है इसलिए सूत्रों के मुताबिक बीजेपी दलित वोटरों पर इस बार खासतौर से फोकस कर रही है। बता दें कि पिछली बार प्रदेश की 17 रिजर्व एससी सीटों में से बीजेपी को 8 पर जीत मिली थी।

लीक से हटकर मुख्यमंत्रियों का चयन
लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनाव में दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने सरकार बनाई थी। चुनाव बाद पार्टी ने दोनों राज्यों को लीक से हटकर सीएम दिए थे। महाराष्ट्र में फडणवीस जहां प्रदेश के दूसरे ब्राह्मण सीएम बने, वहीं हरियाणा में भजनलाल के बाद दूसरी बार किसी गैर-जाट को सीएम की कुर्सी मिली। पिछली बार दोनों ही राज्यो में चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किए थे लेकिन इस बार दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री अपने-अपने चुनाव अभियानों की अगुवाई करते नजर आ रहे हैं।

मोदी सरकार 2.0 के फैसलों का पड़ेगा असर
ऐसे में दोनों ही प्रदेश की सरकारों का पिछले पांच सालों का प्रदर्शन भी चुनावी अदालत के कटघरे में होगा। इस बार भी लोकसभा चुनाव के ठीक बाद दोनों राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार 2.0 द्वारा लिए गए आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने, तीन तलाक और एनआरसी जैसे फैसलों का असर भी चुनावों पर देखा जा सकता है।