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महाराष्ट्र कोरोना संकट: एक दिन में 105 लोगों की मौत, संक्रमितों का आंकड़ा 56,948 हुआ!

मुंबई: पूरे देश के कोरोना मरीज़ों में से एक तिहाई मामले अकेले महाराष्ट्र से हैं, जिनमें से सबसे ज़्यादा देश की आर्थिक राजधानी मुंबई शहर से है. महाराष्ट्र में बुधवार को कोरोना संक्रमण के 1,044 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या 56,948 पहुंच गई. राज्य में पिछले 24 घंटे में 105 लोगों की जान चली गई जिसके बाद कोरोना वायरस से जान गंवाने वालों का आंकड़ा बढ़कर 1,897 हो गया है. राज्य में बीते एक दिन में 964 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई जिसके बाद ठीक होने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़कर 17, 918 हो गया है. राज्य में फिलहाल 37, 125 एक्टिव मामले हैं.
सिर्फ मुंबई में ही बीते एक दिन में 1,044 नए मरीज आने के बाद कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 34,018 हो गए. मुंबई में इसी अवधि में 32 और मरीजों की मौत हो गई जिसके बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1,097 हो गई. मुंबई में अब तक 8408 लोग ठीक हो चुके हैं वहीं शहर में एक्टिव मामले बढ़कर 24507 हो गए हैं.

गौरतलब है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की कोविड-19 के प्रकोप में बेहद खराब हालत हो चुकी है. मुंबई जिसे कि कभी न रुकने वाला शहर कहा जाता है वहां कोविड-19 के चलते जारी लॉकडाउन के कारण सड़कें वीरान हैं और लोग बढ़ते मामलों को देखते हुए अपने घरों में ही कैद हैं. हालांकि इसके बाद भी संक्रमण में किसी भी तरह की कमी नहीं आ रही है. यहां लॉकडाउन से अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है लेकिन लगातार बढ़ रहे मामलों का अंत नजर नहीं आ रहा है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई में स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी सुविधाएं ध्वस्त होने की कगार पर हैं. मुंबई के केईएम अस्पताल के एक डॉक्टर ने बीबीसी को बताया कि उनके सामने ही छह घंटे के अंदर 15-18 लोगों की मौत हो गई. डॉक्टर ने कहा कि उन्होंने एक ही शिफ्ट में एक साथ इतनी मौतें कभी नहीं देखीं.

केईएम अस्पताल के कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन
केईएम अस्पताल में मंगलवार को एक स्वास्थ्यकर्मी की मौत के बाद कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया. इन कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस संकट के दौरान बीएमसी उनके काम करने की स्थिति के प्रति उदासीन है. अस्पताल कर्मचारियों के संघ के एक नेता ने कहा कि कोविड-19 मरीजों की मौत की बढ़ती संख्या के कारण केईएम अस्पताल के शवगृह में जगह पूरी भर गई है और कई शव अस्पताल के गलियारों में पड़े हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षात्मक उपकरण और वित्तीय सहायता भी उपलब्ध नहीं कराई गई है.

मरीजों को नहीं मिल पा रही ऑक्सीजन
डॉक्टर ने कहा कि ये युद्ध क्षेत्र है. एक बिस्तर पर दो से तीन मरीज हैं, कुछ लोग जमीन पर हैं जबकि कुछ लोग कॉरीडोर में रखे गए हैं. हमारे पास अधिक ऑक्सीजन पोर्ट नहीं हैं तो ऐसे में ऐसे मरीज जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है हम उन्हें मुहैया नहीं करा पा रहे हैं.
मुंबई के सरकारी अस्पताल सायन के डॉक्टर ने बीबीसी को बताया कि वह एक ऑक्सीजन टैंक को दो से तीन लोगों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. बिस्तरों को पास पास रख दिया गया है जिससे ज्यादा लोग रखे जा सकें. उन्होंने बताया कि वहां सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है कि कहां पीपीई किट पहनी जाएंगी और कहां उतारी जाएंगी.
मुंबई में इस समय भीषण गर्मी है और यहां डॉक्टर्स ये किट्स पहनने के कुछ ही मिनटों में पसीने में भीग जाते हैं. पहले भी सायन और केईएम दोनों ही अस्पतालों के वीडियो सामने आए थे जहां लोगों का इलाज शवों के पास ही हो रहा था और वॉर्ड में बहुत ज्यादा लोग भरे हुए थे.

डॉक्टर्स को नहीं मिल पा रही छुट्टी
मुंबई की पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट ने भी बीबीसी को बताया कि मुंबई में कई बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं और डॉक्टर्स हैं पर वह इस महामारी के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सपनों का ये शहर, बुरे सपनों के शहर में तब्दील हो गया है.
सायन अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा हमें तुरंत मदद की जरूरत है, हम बिना छुट्टी के काम कर रहे हैं और हमने एक बाद भी खुद के क्वारंटाइन नहीं किया है.
पिछले सप्ताह महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि निजी अस्पतालों को अपने 80 प्रतिशत संसाधनों को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल करना चाहिए जबकि कीमतें सीमित कर दी जाएंगी.
शहर के कई इलाकों में फील्ड अस्पताल बनाए जा रहे हैं जहां एक साथ 4,000 लोगों को रखा जा सकता है. इसके साथ ही एक डैशबोर्ड बनाया जा रहा है जिसके जरिए ये पता चल सके कि किस अस्पताल में खाली बेड हैं.

धारावी में और बड़ी चुनौती
एशिया के सबसे बड़े स्लम कहे जाने वाले धारावी में तो हालात और खराब हैं. यहां एक वर्ग मील से भी कम के इलाके में 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यहां 50 लोग एक बाथरूम का इस्तेमाल करते हैं. यहां छोटे-छोटे कमरों में 10 से 12 लोग रहते, खाते और सोते हैं. ऐसे में यहां सोशल डिस्टेंसिंग बेहद ही बड़ी और मुश्किल चुनौती है.

मानसून बढ़ा सकता है मुश्किलें
बता दें कि कुछ ही समय में मॉनसून दस्तक देने वाला है जो कि मुंबई में चुनौतियों को और मुश्किल कर सकता है क्योंकि ऐसे समय में मलेरिया, टायफॉइड, पेट के इंफेक्शन जैसी बीमारियों का खतरा तो बढ़ता ही है इसके साथ ही साथ जरूरी काम में लगे लोगों के लिए भी ये बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है.