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Social Media पर फर्जी पोस्ट के खिलाफ मुंबई पुलिस के आदेश का उच्च न्यायालय ने किया समर्थन

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट या संदेश के प्रसार को रोकने के लिये मुंबई पुलिस का आदेश कोविड-19 के बारे में गलत सूचना से नागरिकों को बचाने के लिये जारी किया गया। न्यायमूर्ति आर. के. देशपांडे ने पंकज राजमचीकर नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका के जरिये 10 अप्रैल को जारी पुलिस के एक आदेश को चुनौती दी गई है। सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट या संदेश के खिलाफ यह आदेश मुंबई पुलिस के उपायुक्त (ऑपरेशन) ने जारी किया था। पुलिस के इस आदेश के जरिये व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक, टिक टॉक, इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया के इस तरह के अन्य मंचों पर संदेशों या पोस्ट के जरिये फर्जी सूचना के प्रसार को निषिद्ध कर दिया गया है। अदालत ने कहा कि यह आदेश जारी करने का उद्देश्य असल में लोगों को कोविड-19 के बारे में झूठी और गलत सूचना से बचाना है।

अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि याचिका में कोई तात्कालिकता नहीं है और इस विषय को अदालत की नियमित सुनवाई शुरू होने के समय के लिये निर्धारित कर दिया गया। पुलिस के आदेश में कहा गया है कि व्हाट्सऐप ग्रुप के एडमिन (संचालक) किसी उपयोगकर्ता द्वारा ग्रुप में फर्जी सूचना भेजने के लिये आपराधिक रूप से जिम्मेदार होंगे। इसमें किसी खास समुदाय के खिलाफ अपमानजनक एवं भेदभावपूर्ण संदेशों या लोगों के बीच दहशत या भम्र पैदा करने वाली सामग्री को भी प्रतिबंधित किया गया है।