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महाराष्ट्र: पवार नहीं बनेंगे यूपीए के नए अध्यक्ष, बोले- मीडिया फैला रही गलत खबर

मुंबई: कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व वाली यूपीए के नये अध्यक्ष के तौर पर शरद पवार के नाम को लेकर जारी अटकलों पर खुद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने यह कहकर कि इस बाबत मीडिया गलत खबर फैला रही है, रोक लगा दी है।
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के 80 वें वर्षगांठ के कुछ दिन पहले अचानक देश के सियासी हलकों में इसकी चर्चा होने लगी थी कि सोनिया गांधी इस पद से इस्तीफा दे सकती हैं और एनसीपी चीफ शरद पवार को नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
वरिष्ठ नेता पवार ने कहा कि अगले कुछ दिनों में किसानों के आंदोलन उग्र होने की संभावना है और उन्होंने केंद्र सरकार से किसानो की सहिष्णुता का अंत नहीं होने देने की अपील की।
इसके पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने गुरुवार को कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार में देश का नेतृत्व करने के सारे गुण हैं। राउत ने कहा कि पवार के पास बहुत अनुभव है और उन्हें देश के मुद्दों का ज्ञान है तथा वह जनता की नब्ज जानते हैं। उन्होंने कहा, उनके पास राष्ट्र का नेतृत्व करने की पूरी काबिलियत है।

कांग्रेस को ही मिटाने का एक बड़ा प्लान: निरुपम
इन खबरों के चलते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम बिफर उठे। उन्होंने ट्विटर पर इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई है। निरुपम ने कहा है कि दिल्ली से मुंबई तक राहुल गांधी के खिलाफ जो अभियान चल रहा है, उसी का हिस्सा है, शरद पवार को यूपीए का चेयरमैन बनाने का शिगूफा। उसी अभियान के तहत 23 हस्ताक्षर वाली चिट्ठी लिखी गई थी। फिर राहुल जी के नेतृत्व में कनसिस्टेंसी की कमी ढूंढ़ी गई है। निरुपम ने कहा एक बड़ा प्लान है, कांग्रेस को ही मिटाने का।

राजनीति में कुछ भी संभव है: संजय राउत
शरद पवार के खंडन पर संजय राउत का कहना था कि अगर शरद पवार यूपीए के अध्यक्ष बन जाते हैं, तो यह हमारे लिए खुशी की बात है। लेकिन मुझे ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है। शरद पवार ने भी इस खबर का खंडन किया है। शरद पवार महाराष्ट्र और देश के एक महान नेता हैं। हम सभी उनके नेतृत्व में काम कर रहे हैं। अगर शरद पवार ने खुद यह कहा है, तो इस पर चर्चा करना उचित नहीं है। हालांकि उन्होंने इस संभावना से इंकार नहीं करते हुए कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है। किसी को नहीं मालूम कि आगे क्या होगा? और अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आता है, तो हम इसका समर्थन करेंगे।

शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता सांसद संजय राउत ने एक बार फिर एनसीपी प्रमुख शरद पवार का पक्ष लिया है।
दरअसल, बीते कुछ दिनों से पवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का प्रमुख बनाए जाने की अटकलें तेजी से सियासी गलियारों में फैल रही हैं। इसी को लेकर राउत ने शनिवार को कहा कि छोटे राजनीतिक कद के नेताओं ने शरद पवार को शीर्ष पर जाने से रोका।

बता दें कि आज एनसीपी चीफ शरद पवार का जन्मदिन है। वह 80 वर्ष के हो गए हैं। कांग्रेस के पूर्व नेता पवार ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का गठन किया था। राउत ने नासिक में पत्रकारों से कहा कि पवार की योग्यता और गुण उनकी राजनीतिक यात्रा में एक अवरोधक बन गए। उन्होंने कहा कि छोटे कद के नेताओं को उनसे डर था और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वह शीर्ष पर न पहुंचें। उन्होंने दावा किया कि अगर कांग्रेस में चुनाव हुए होते तो 80 फीसदी वोट पवार के पास होते।
शिवसेना नेता ने बड़ी बातें कहते हुए कहा कि पवार को बहुत पहले ही प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिलना चाहिए था। आज वह 80 वर्ष के हैं। लेकिन वह ऐसे नेता हैं जिसके लिए उम्र कोई बाधा नहीं है।

राजनीतिक दलों का सफाया नहीं किया जा सकता
कांग्रेस के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा कि राजनीतिक दलों का सफाया नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक समय में भाजपा के केवल दो सांसद थे। उन अटकलों पर कि पवार संप्रग के अध्यक्ष बन सकते हैं, राउत ने कहा कि अगर महाराष्ट्र का कोई नेता कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन का प्रमुख बन जाता है, तो हमें खुशी होगी।

केंद्र सरकार दो कदम पीछे हटी तो भी उसकी प्रतिष्ठा प्रभावित नहीं होगी
दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन पर राउत ने कहा कि यदि केंद्र सरकार दो कदम पीछे हट जाएगी तो इससे उसकी प्रतिष्ठा प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने कहा कि संसद में इन कानूनों पर पुन: बहस करें। समझें कि किसान इन कानूनों को निरस्त करने के लिए क्यों कह रहे हैं।
इस बीच एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि एनसीपी स्पष्ट करना चाहती है कि यूपीए के सहयोगियों के साथ इस संदर्भ में कोई चर्चा नहीं हुई है। तपासे ने कहा कि ऐसा लगता है कि मीडिया में चल रही इस तरह की खबरों को जानबूझ कर फैलाया गया है ताकि लोगों का ध्यान किसान आंदोलन से हटाया जा सके।