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महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला- कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीज की मौत हुई तो पोस्टमार्टम नहीं होगा

मुंबई: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच पूरे देश में सबसे ज्यादा पॉजिटिव केस महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं। अकेले महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या एक हजार को पार कर गई है, जबकि यहां मौत का आंकड़ा भी 50 से ज्यादा हो गया है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने तय किया है कि अस्पताल में कोरोना वायरस से संदिग्ध संक्रमित रोगी की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम नहीं किया जाएगा। इस संबंध में पुलिस फैसला कर सकती है।
दरअसल कोरोना के मरीज या संदिग्ध मरीज की मौत का पोस्टमॉर्टम नहीं कराने के पीछे सरकार का तर्क है कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर और पेरा मेडिकल कर्मचारी के साथ ही पुलिसकर्मियों के भी कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार होने का खतरा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह छूट दी जा रही है। महाराष्ट्र के गृह विभाग द्वारा जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में यह कहा गया है।
गौरतलब है कि पोस्टमार्टम मौत के कारणों का पता लगाने की एक प्रक्रिया है। अप्राकृतिक मौत के मामले में सीआरपीसी की धारा 174 के तहत पुलिस के लिए पोस्टमार्टम करना अनिवार्य है। लेकिन यहां विशिष्ट परिस्थिति बन रही है।
राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी जीआर में कहा गया है कि वर्तमान स्थिति के लिहाज से इस बात का डर है कि पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर, नर्स और पुलिसकर्मी भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए जब कोविड 19 से संदिग्ध संक्रमित रोगी की अस्पताल में मौत होती है तो संबंधित डॉक्टर से सलाह के बाद पुलिस के अधिकारी पोस्टमार्टम नहीं करने का फैसला ले सकते हैं।

इसके पहले क्या करना था?
कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद उसके शव का पोस्टमार्टम कराने से लेकर अंतिम संस्कार तक के लिए दिशा निर्देश जारी किए। इन निर्देशों का पालन करते हुए ही क्रियाकर्म कराए जाने को कहा गया है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

नहलाने पर सख्त रोक
स्वास्थ्य महकमे के निर्देशों के अनुसार आम लोगों को सख्त निर्देश हैं कि वे शव के चेहरे के अलावा कोई भाग नहीं देख सकते। इसके अलावा मृत शरीर को नहलाया नहीं जाएगा। गले लगाना या माथा चूमने की भी सख्त मनाही है क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है।

शव की सुरक्षा जरूरी
कोविड-१९ से पीडि़त व्यक्ति के शव को कीटाणुरहित लीक न होने वाले बैग या लिनन आदि में ही रखना है। कैथेटर, ट्यूब, ड्रेनेज, कैनुला आदि चिकित्सीय उपकरणों को एक फीसदी हाइपोक्लोराइट आदि से विसंक्रमित करना और सुरक्षित रखना या डिस्पोज करना है। मृत शरीर के तरल रिसाव वाले छिद्र (नाक, मुंह व कान आदि) को सबसे पहले बंद कर देना है। शव को 4 डिग्री से. पर सुरक्षित तरीके से फ्रिज में रखना होगा। शव पर किसी प्रकार का लेप नहीं लगाना है।

सफाई बेहद आवश्यक
मरीज जिस बेड पर था उसके चादर, गद्दा आदि को सुरक्षित रखकर साफ कराना या डिस्पोज करना होगा। फर्श, टेबिल, बेड के हत्थे आदि खुले स्थान को सोडियम हाइपोक्लोराइट से साफ करके 30-40 मिनट खुले में रखना होगा।

पोस्टमार्टम में सावधानी
संक्रमित व्यक्ति के शव का पीपीई किट पहनकर पोस्टमॉर्टम करना है। पोस्टमॉर्टम के समय प्रयोग उपकरणों व औजारों को सही से विसंक्रमित करना होगा। वहां कम से कम फोरेंसिक विशेषज्ञ व कर्मचारी आदि होने चाहिए। पोस्टमॉर्टम में मुख्य रूप से फेफड़े से नमूना लेते हुए कम एरोसेल जनरेशन सुनिश्चित करना होगा।

शवदाह में भी सावधानी
शव को परिवारीजनों को सौंपने पर खुले हिस्से को सोडियम हाइपोक्लोराइट से संक्रमण मुक्त करना होगा। शवदाह के दौरान अधिक भीड़ नहीं होनी चाहिए। शवदाह करने वाले कर्मचारियों को कोई विशेष खतरा नहीं है। शवदाह के बाद राख लेने में भी कोई दिक्कत नहीं है। श्मशान गृह के सभी कर्मचारियों और यात्रा में शामिल लोगों को मुंह ढकना और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना अनिवार्य है।