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मुंबई: कांग्रेस-एनसीपी के हिस्से में इतने मंत्री पदों का आना भाग्य का भोग है: राउत

मुंबई: महाराष्ट्र में काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार उद्धव सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभागों का बंटवारा कर दिया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इसे मंजूरी भी दे दी। हालांकि शिवसेना के भीतर अभी भी घमासान जारी है। शिवसेना के कई दिग्गज नेता विभाग के बंटवारे से खुश लग रहे हैं। करीब दर्जन भर विधायकों ने अपनी असंतुष्टि जाहिर की है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद चल रही राजनीतिक गतिविधियों और नाराजगी पर शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी पर तंज कसते हुए बीजेपी को भी निशाने पर लिया है। उन्होंने लिखा है कि इनके (कांग्रेस-एनसीपी) हिस्से में इतने मंत्री पदों का आना भाग्य का भोग है, अन्यथा अगले 25 वर्ष तो उनके नसीब में विपक्ष में बैठना लिखा था। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में वजनदार विभाग की डिमांड कर रहे विधायकों की मानसिकता को अंधविश्वास बताया है। शिवसेना के नेता और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने यह लेख लिखा है।

कमरा नंबर 602 की तरह यह भी अंधविश्वास
सामना में छपे लेख में संजय राउत ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि कमरा नंबर 602 भी अंधविश्वास ही है। उन्होंने अंधविश्वास के विरोध में कानून बनाने वाले महाराष्ट्र की ऐसी मानसिकता पर आश्चर्य व्यक्त किया है।
बता दें कि महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार विभागों के बंटवारे के झमेले से अब तक खुद को मुक्त नहीं कर पाई है।
राउत ने लिखा है कि हमारे राजनीतिज्ञ पहले विधायक या सांसद बनने का सपना देखते हैं और फिर मंत्री बनने का और मंत्री बनने के बाद उन्हें वजनदार विभाग चाहिए!
उन्होंने यह भी लिखा है कि कोई कृषि मंत्रालय लेने से कतरा रहा था तो कोई शिक्षा विभाग, हर किसी को वजनदार विभाग ही चाहिए। महाराष्ट्र और देश के नजरिए से कृषि विभाग सबसे महत्वपूर्ण है, परंतु शरद पवार के बाद केंद्र में कोई जानकार कृषि मंत्री नहीं मिला। राउत ने लिखा है कि महाराष्ट्र में कृषि विभाग के लिए आज भी योग्य व्यक्ति नहीं है। उन्होंने कहा है कि विभागों के बंटवारे के दौरान ‘कृषि विभाग’ से दूरी बनाने की कोशिश सभी दलों ने की। राउत का मानना है कि किसानों पर भाषण, चिंता सभी व्यक्त करते हैं लेकिन ‘मुझे कृषि विभाग दो, मैं किसानों के बीच जाकर काम करना चाहता हूं।’, ऐसा कहने वाले नहीं बचे हैं।

एक ही व्यक्ति के पास रहना चाहिए वित्त और कृषि मंत्रालय
राउत का मानना है कि महाराष्ट्र में वित्त और कृषि विभाग एक ही मंत्री के पास रहे तथा इन दोनों विभागों के संयोग से किसानों का हित साधा जाए। अपने लेख में शिवसेना प्रवक्ता राउत ने पिछली फडणवीस सरकार पर गृह विभाग का इस्तेमाल विरोधियों को दबाने के लिए करने का भी आरोप लगाया। राउत का यह भी मानना है कि मुख्यमंत्री जब लोकनेता होता है तब राज शिष्टाचार, अधिकार, पद की सीमा से परे जाकर काम करता है। इसका उदाहरण उन्होंने राज्य के सीएम रहे वसंददादा पाटील को बताया। उनका मानना है कि महाराष्ट्र में कई मुख्यमंत्री हो चुके हैं, लेकिन बेहद गिने-चुने लोगों ने मुख्यमंत्री कार्यालय को सही तरीके से चलाया।

फडणवीस पर कसा तंज, सीएम ठाकरे को दी ये सलाह
राउन ने लिखा है कि फडणवीस के दौर में मंत्रालय में नायलॉन की जालियां लगवाई गई, ताकि त्रस्त और निराश लोग आत्महत्या का प्रयास करें तो बच जाए, उन जालियों से नए मुख्यमंत्री को निकलना होगा। मुख्यमंत्री समझदार हैं लेकिन उन्हें सावधान रहना होगा, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से ये सरकार सत्ता में आई है।

सरकार नहीं बनने पर कांग्रेस की बढ़ती परेशानी
राउत का मानना है कि कांग्रेस हाईकमान ने सरकार बनाने की मंजूरी नहीं दी होती तो कांग्रेस पार्टी अस्थिर हो जाती। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान वह पार्टी को मजबूत करेगी या नहीं पर भी सवाल पूछा है।

राउत ने बताई शिवसेना की चुनौतियां
राउत का मानना है कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री शिवसेना का है लेकिन 63 से 56 पर पहुंच चुकी शिवसेना के समक्ष चुनौती बड़ी है। उन्होंने उद्धव ठाकरे की सरकार पांच साल नहीं टिकेगी के विपक्ष के आकलन को अंधविश्वास बताया है।