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मुंबई: BJP का उद्धव सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, फडणवीस और अन्य पार्टी नेताओं ने रखी ये मांग…

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और पार्टी के अन्य नेताओं ने राज्य भाजपा कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। वे राज्य सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के किसानों, मजदूरों और श्रमिकों के लिए 50,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की मांग कर रहे थे।
कोरोना वायरस संकट को अवसर के रूप में बदलने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपए के ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ की घोषणा की गई।
इस पैकेज का वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के सामने ब्योरा रखा था। सीतारमण ने पैकेज को अलग-अलग किस्तों में लोगों के सामने रखा और बताया कि किस सेक्टर को कितने रुपए की मदद दी गई।
बता दें कि पीएम मोदी के इस पैकेज में गांव जा रहे प्रवासी मजदूरों को काम मिल सके। ग्रामीण क्षेत्रों में काम की कमी ना आए और आमदनी का साधन मिले इसके लिए 40 हजार करोड़ रुपए का अधिक आवंटन किया जा रहा है। इससे 300 करोड़ व्यक्ति कार्यदिवस उत्पन्न होंगे। जनस्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। इसके लिए रिफॉर्म्स किए जाएंगे। ग्रामीण स्तर पर ऐसी सुविधाएं देने की आवश्यकता है जो महामारी की स्थिति में लड़ने की क्षमता हो। इसके लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में वेलनेस सेंटरों को बढ़ावा दिया जाए। सभी जिला स्तर के अस्पतालों में संक्रामक रोगों से लड़ने की व्यवस्था की जाएगी। लैब नेटवर्क मजबूत किए जाएंगे। सभी जिलों में प्रखंडस्तर पर एकीकृत लैब बनाए जाएंगे।

बीजेपी का आरोप- संकट को संभाल पाने में राज्य सरकार फेल
बीजेपी का आरोप है कि राज्य सरकार कोरोना के इस संकट को संभाल पाने में पूरी तरह से नाकाम रही है, राज्य सरकार ने सही तरीके से इस संकट को नहीं संभाला जिसके तहत महाराष्ट्र के भीतर देश में सबसे ज्यादा मरीज बढ़ रहे हैं साथी ही उद्योग धंधों पर इसका सीधा असर पड़ा है और प्रवासी मजदूरों को भी सही तरीके से नहीं संभाला गया। जिसके कारण लोग सड़कों पर जाने को मजबूर हो गए।

देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से की थी मुलाकात
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर सरकार की नाकामियों को लेकर एक ज्ञापन दिया था जिसके बाद उन्होंने कहा, सरकार इस संकट को सही तरीके से संभाल नहीं पा रही है। सरकार हर मोर्चे पर फेल है, पूरे राज्य भर में सरकार की नाकामियों के खिलाफ बीजेपी के नेता से लेकर कार्यकर्ता काले कपड़े में पूरे प्रदेश भर में अपने घरों के बाहर या घर की छतों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और सरकार की नाकामियों को उजागर करेंगे और सरकार की गलतियों को लोगों के सामने रखेंगे।

शिवसेना की भाजपा को चेतावनी- पड़ेगा भारी विरोध प्रदर्शन
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ भाजपा का विरोध प्रदर्शन पार्टी पर ही उल्टा पड़ेगा। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार के महामारी से निपटने के तरीके की तुलना केरल के मॉडल से करने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल की आलोचना की।
संपादकीय में कहा गया कि ऐसा लगता है कि पाटिल ने केरल मॉडल का अध्ययन नहीं किया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन केंद्र के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करते और उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंस में भाग लेना समय की बर्बादी है। मराठी दैनिक अखबार ने भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि महाराष्ट्र में प्रदर्शन करने के बजाय पाटिल और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को केरल में प्रदर्शन करना चाहिए।
शिवसेना ने सवाल किया कि अगर विपक्ष को राज्य की चिंता है और उसके पास महामारी से लड़ने के लिए कोई सुझाव है तो उन्हें मुख्यमंत्री के साथ इस पर चर्चा करनी चाहिए। क्या विपक्षी दल को ऐसा करने में शर्म है या वह अपना आत्मविश्वास खो चुका है?
संपादकीय में इस बात पर जोर दिया गया है कि राज्य में हर दिन भले ही कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन ज्यादातर मरीज संक्रमण से स्वस्थ भी हो रहे हैं।

एनसीपी की तरफ से ‘अभिप्राय’ अभियान की शुरुआत
बीजेपी के इस प्रदर्शन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एनसीपी की तरफ से ‘अभिप्राय’ नाम से एक दूसरे अभियान की शुरुआत भी 22 मई से ही होने जा रही है। जिसके तहत एनसीपी के मुखिया शरद पवार सहित उपमुख्यमंत्री अजित पवार और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल महाराष्ट्र भर के एनसीपी के 5 लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करेंगे और पिछले 6 महीने के भीतर सरकार द्वारा किए गए कामों को जनता के बीच ले जाने का आग्रह करेंगे। साथ ही कोरोना के समय में सरकार ने किस तरीके से इतने बड़े संकट को हैंडल किया और प्रवासी मजदूर हो या फिर तमाम सारे दूसरे मोर्चे पर सरकार ने किस गंभीरता से काम किया यह सारी बातें लोगों के बीच में पहुंचाएंगे। एनसीपी की कोशिश है कि बीजेपी के विरोध प्रदर्शन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए ‘अभिप्राय’ एक कारगर उपाय है और इसके जरिए एनसीपी के कार्यकर्ता लोगों के बीच में पहुंचकर बीजेपी द्वारा फैलाई जा रही गलतफहमियों को कम करेंगे।