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यासीन मलिक जिसके ‘देश विरोधी’ कारनामों की लंबी है फेहरिस्‍त, NIA के आरोप जानकर दंग रह जाएंगे!

नयी दिल्‍ली: आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के अध्‍यक्ष यासीन मलिक के ‘देश विरोधी’ कारनामों की लंबी फेहरिस्‍त रही है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बुधवार को अदालत से अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मौत की सजा देने की गुजारिश की। वहीं यासीन मलिक यह कहते हुए कि वह कुछ भी नहीं मांगेगा फैसला अदालत पर ही छोड़ दिया।

आइए जानते हैं- यासीन मलिक के कारनामों की पूरी कहानी…
अदालत की कार्यवाही में भाग लेने वाले वकील ने कहा कि यासीन मलिक का कहना है कि यदि मैं 28 साल में किसी आतंकवादी गतिविधि में शामिल हूं…यदि भारतीय खुफिया विभाग यह साबित करता है…तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। मैं फांसी स्वीकार करूंगा। मैंने 7 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। मौत की सजा दिए जाने की एनआईए की गुजारिश पर उन्होंने कहा कि मैं कुछ भी नहीं मांगूंगा। मैंने इसका फैसला अदालत पर छोड़ दिया है।

फांसी की जगह उम्रकैद क्‍यों?
टेरर फंडिंग का दोषी अलगाववादी नेता यासीन मलिक अब आजीवन कारावास में रहेगा। बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने शाम करीब छह बजे अपना निर्णय पढ़ना शुरू किया। 10 मई को टेरर फंडिंग मामले में यूएपीए के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था। मलिक ने अदालत से कहा था कि वह उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है।

क्या है पूरा मामला?
यह मामला आतंकी सरगना हाफिज सईद और हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्यों समेत जम्‍मू-कश्‍मीर के अलगववादी नेताओं की कथित साजिश से जुड़ा है। इन अलगाववादियों ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन (हिजबुल मुजाहिदीन, दुख्तारन-ए-मिल्लत, लश्कर-ए-तैयबा एवं अन्य) के सक्रिय सदस्यों के साथ देश विरोधी गतिविधियों के लिए देश-विदेश से फंडिंग जुटाने की साजिश रची थी। इसके लिए ‘हवाला नेटवर्क’ का भी इस्‍तेमाल किया गया था। अलगाववादियों की ओर से जुटाई गई रकम का इस्‍तेमाल जम्मू-कश्मीर को हिंसा की आग में झोंकने के लिए किया जाना था। यह रकम आतंकि गतिविधियों और कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए इस्‍तेमाल के लिए थी। जम्‍मू-कश्‍मीर के स्कूलों को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए इस रकम का इंतजाम किया गया।

आतंकी गतिविधियों में शामिल
एनएआई ने पूरी मजबूती के साथ अदालत में कहा है कि उसकी छानबीन से स्थापित हुआ कि जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का प्रमुख यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिवधियों में संलिप्त था। यासीन पर यूएपीए की धारा-16 (आतंकवादी कृत्य), धारा-17 (टेरर फंडिंग), धारा-18 (आतंकी साजिश) और धारा-20 (आतंकी संगठन का सदस्य होना) के तहत आरोप तय किए गए थे। यही नहीं यासीन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए (राजद्रोह) और 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) शामिल हैं।

कश्‍मीरी पंडितों का गुनहगार..?
समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए एसपीपी (विशेष लोक अभियोजक) ने अदालत को बताया कि कश्मीरी पडिंगों के पलायन के लिए यासीन मलिक कुछ हद तक जिम्मेदार है। हालांकि, अदालत ने कहा- चलिए इस सब में नहीं जाते हैं। फ‍िलहाल हम आतंकी फंडिंग के तथ्यों पर ही टिके रहें क्‍योंकि यह इसी का केस है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में यासीन मलिक दोषी ठहराया था।

पाकिस्‍तान से आती है रकम
एनआईए का कहना था कि अलगाववादी जम्‍मू-कश्‍मीर में आम लोगों.. विशेषकर युवाओं को प्रदर्शन और सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए उकसाते हैं। अलगाववादी भारत सरकार के प्रति जम्मू-कश्मीर के लोगों में असंतोष पैदा करते हैं। अलगाववादियों को पाकिस्तान से धन मिल रहा था। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से और स्थानीय चंदे से धन जुटाया जाता था।

यासीन मलिक तो केवल एक कड़ी…
हालांकि, यासीन मलिक खुद को शहीद दिखाने की कोशिशें कर रहा है। इससे पूर्व मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं कर रहा है। सनद रहे आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, अब्दुल राशिद शेख समेत कई अलगाववादियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।

भारत को बदनाम करने की साजिशें!
आतंकी संगठन जेकेएलएफ का चेयरमैन यासीन मलिक ने 1983 में उपद्रवियों के साथ साजिश रचकर श्रीनगर के शेरे कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में उस पिच को खोद दी थी जहां भारत और वेस्टइंडीज के बीच मैच होने जा रहा था। यासीन ने कश्‍मीर को हिंसा की आग में झोंकने के लिए 1980 में तला पार्टी के नाम का अलगाववादी गुट तैयार किया। तला पार्टी 1986 में इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग के रूप में परिवर्तित हो गई।

यासीन मलिक की पाकिस्‍तान परस्‍ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह हाजी ग्रुप में शामिल होकर आतंकी ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान भी गया था। इस ग्रुप में यासीन मलिक, हमीद शेख, अश्फाक मजीद वानी और जावेद मीर शामिल थे। हमीद और अश्फाक दोनों ही मारे जा चुके हैं। वर्ष 1987 के बाद यासीन मलिक और उसके गुर्गों ने कश्मीर की आजादी के नारे लगाए। हिंसा के इसी दौर में कश्मीरी हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा गया। जिससे उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

या‍सीन के खिलाफ एक और मामला अदालत में विचाराधीन है। इसमें आरोप है कि यासीन मलिक ने अपने साथियों संग मिलकर आठ दिसंबर 1989 को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद का अपहरण किया था। यासीन को अगस्त 1990 में हिंसा फैलाने के विभिन्न मामलों में पकड़ा गया और 1994 में वह जेल से छूटा। उसने अपना आतंकी चोला बदलने की कोशिश की और एलान किया कि वह अब बंदूक नहीं उठाएगा लेकिन कश्मीर की आजादी के लिए उसकी लड़ाई जारी रहेगी।

आतंकी सरगनाओं से रिश्‍ते
यासीन के गुनाहों की फेहरिस्‍त काफी लंबी है। यासीन ने साल 2013 में पाकिस्तान में हाफिज सईद के साथ मिलकर कश्मीरियों के मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए धरना दिया था। साल 1987 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले अलगाववादी संगठनों ने जमात-ए-इस्लामी का चुनाव लड़ा था। इसमें मलिक और यूसुफ शाह पोलिंग एजेंट थे। यूसुफ शाह अब हिजबुल मुजाहिदीन का सुप्रीम कमांडर सैयद सलाहुद्दीन है। यासीन ने 2009 में उसने पाकिस्तान की मुशाल मलिक से शादी की थी।

एयरफोर्स अधिकारियों पर हमले का आरोप
यासीन मलिक पर साल 1990 में पांच एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या का भी आरोप है। बता दें कि 25 जनवरी 1990 को सुबह साढ़े सात बजे रावलपोरा में एयरफोर्स अधिकारियों पर हुए आतंकी हमले तीन अधिकारी मौके पर ही बलिदानी हो गए थे जबकि दो अन्य ने बाद में दम तोड़ दिया था। वाहन का इंतजार कर रहे वायुसेना के अधिकारियों पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी। इस हमले में महिला समेत 40 अधिकारी गंभीर रूप से जख्‍मी हो गए थे!

जिस कोठरी में यासीन बंद है उसमें कई हाई प्रोफाइल शख्स ने काटी है सजा!
देश से जम्मू कश्मीर को अलग रखने की चाहत करने वाला कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की बची जिंदगी अब अकेले ही तिहाड़ जेल की कोठरी में कटेगी। सजा के बाद 56 वर्षीय यासीन को न केवल दुनिया से काट दिया गया, बल्कि उसे जेल की नंबर 7 कोठरी में भी अकेले ही बंद किया गया है।
बता दें कि दिल्ली की स्पेशल कोर्ट में बुधवार को सजा सुनाई गई। इस जेल में करीब 13,000 कैदी हैं लेकिन यासीन की कोठरी में दूसरा कोई नहीं रहेगा। जेल के अधिकारी संदीप गोयल ने बताया कि वह जेल नंबर 7 में है और वहीं रहेगा। वह अपने सेल में अकेला है। जिस कोठरी में यासीन बंद है उसमें कई हाई प्रोफाइल शख्स ने सजा काटी है।
गौरतलब है कि तिहाड़ का सेल नंबर 7 हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। दरअसल, अब तक यहां कई हाई प्रोफाइल कैदियों को बंद किया गया है, जिसमें पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा, सहारा प्रमुख सुब्रत राय आदि।
12 अक्टूबर को तिहाड़ जेल के 12 अधिकारियों को पूर्व यूनिटेक प्रमोटर्स के साथ मिली भगत में पकड़ा गया था। इनपर आरोप है कि चंद्रा ब्रदर्स को इन्हीं अधिकारियों का साथ मिला था, जिसके बाद अजय चंद्रा, संजय चंद्रा जेल के भीतर से ही अपना बिजनेस चला रहे थे।